रजनीकांत ने आख़िरकार राजनीतिक पार्टी की लॉन्चिंग के समय की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा कि वह 31 दिसंबर को राजनीतिक दल की घोषणा करेंगे और जनवरी में इसकी लॉन्चिंग की जाएगी। इसकी जानकारी उन्होंने ट्वीट कर दी।
रजनीकांत के राजनीतिक दल बनाए जाने को लेकर लंबे समय से कयास लगाए जा रहे थे और अब इस घोषणा के साथ ही सभी कयासों पर विराम लग जाएगा। कयास पर तो विराम लग जाएगा लेकिन दक्षिण की राजनीति में अब हलचल तेज़ होने के आसार हैं। हालाँकि ऐसी हलचल की शुरुआत तभी हो गई थी जब पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले रजनीकांत की राजनीति में आने की अटकलें लगाई जा रही थीं। वैसे, ये अटकलें तभी तेज़ हो गई थीं जब जयललिता के निधन के बाद लगा था कि तमिलनाडु की राजनीति में एक खालीपन आ जाएगा।
दक्षिण में और ख़ासकर तमिलनाडु में फ़िल्मी हस्तियों और राजनेताओं का जैसा चोली-दामन का संबंध रहा है उसी कारण से पिछले दो दशकों से यह अटकलें थीं कि सुपरस्टार रजनीकांत राजनीति में आएँगे लेकिन वह परोक्ष रूप से राजनीति में नहीं आए। लेकिन, जयललिता की मृत्यु के बाद उन्हें लगा कि तमिलनाडु में वह अपनी राजनीतिक ज़मीन तलाश सकते हैं।
फ़िल्मी सितारे एम.जी. रामचंद्रन यानी एमजीआर या एन.टी. रामा राव यानी एनटीआर तमिलनाडु की राजनीति में अपना करिश्मा दिखा चुके हैं और इसीलिए माना जा रहा है कि शायद रजनीकांत भी कुछ वैसा ही करिश्मा दिखा पाएँ।
रजनीकांत के चाहने वाले उन पर राजनीति में सक्रिय होने का दबाव बनाते रहे हैं। इसी साल सितंबर महीने में तमिलनाडु के कई शहरों और गाँवों में उनके चाहने वालों ने 'अभी नहीं तो कभी नहीं' वाले पोस्टर लगाकर यह जताने की कोशिश की कि तमिल फ़िल्मों के सुपरस्टार के लिए समय हाथ से निकलता जा रहा है।
मई, 2021 में तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव होने हैं। रजनीकांत के प्रशंसक मानते हैं कि मुख्यमंत्री बनने के लिए उनके पास इस समय सबसे अच्छा मौका है। अगर रजनीकांत ने इस मौके का सही फायदा उठाया तो वे एमजीआर, करुणानिधि और जयललिता की तरह तमिलनाडु की राजनीति में छा सकते हैं।
69 वर्षीय रजनीकांत की यह ताज़ा घोषणा तब हुई जब एक दिन पहले ही उन्होंने अपने फोरम रजनी मक्कल मंद्रम के वरिष्ठ पदाधिकारियों से मुलाक़ात की थी। बाद में बुधवार को उन्होंने कहा कि वह चुनावी राजनीति के लिए अपनी योजनाओं पर जल्द ही घोषणा करेंगे।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'ज़िला पदाधिकारियों ने अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने कहा है कि मैं जो भी फ़ैसला लूँगा वह उन्हें स्वीकार होगा, मैं जल्द से जल्द अपने फ़ैसले की घोषणा करूँगा।'
बता दें कि तमिलनाडु में क़रीब 6 महीने में ही विधानसभा के चुनाव होने हैं। यह पहला चुनाव होगा जब एआईएडीएमके की नेता जयललिता और डीएमके के एमके करूणानिधि के निधन के बाद होगा। दोनों दिग्गज नेताओं के नहीं होने से प्रदेश की राजनीति में एक खालीपन सा है।
अभिनेता के तौर पर रजनीकांत दक्षिण में ही नहीं बल्कि पूरे देश में काफ़ी प्रसिद्ध हैं। ऐसे में रजनीकांत को शायद लगता है कि उनकी प्रसिद्धि उनकी राजनीति करियर में बड़ी छलांग लगाने में अहम भूमिका निभाएगी।
हालाँकि उनके द्वारा अभी तक कुछ भी साफ़ नहीं किए जाने की वजह से कयास तो यहाँ तक लगाए जाते रहे हैं कि वह किसी दल में शामिल हो सकते हैं। रजनी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गहरी दोस्ती है और इसी वजह से यह भी तय माना जाता रहा है कि वह किसी के भी ख़िलाफ़ जा सकते हैं लेकिन बीजेपी के ख़िलाफ़ नहीं। लेकिन रजनीकांत अब तक इन सभी अटकलों को खारिज करते रहे हैं। वह यह भी साफ़ कर चुके हैं कि न तो उनका किसी दल से जुड़ाव है और न ही बीजेपी की तरफ़ झुकाव है। यानी अब 31 दिसंबर को ही साफ़ हो पाएगा की उनकी वास्तविक रणनीति क्या है।