एआईसीसी मुख्यालय में गुरुवार को राजस्थान पर करीब चार घंटे तक चली बैठक के बाद सभी नेताओं ने राजस्थान से जुड़े मामले पर फैसले लेने का अधिकार पार्टी हाईकमान पर छोड़ दिया है। सचिन पायलट का आने वाले दिनों में राजस्थान की राजनीति में क्या रोल होगा यह फैसला अब हाईकमान करेगा। इस बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राजस्थान कांग्रेस के नेताओं को एकजुट होकर चुनाव लड़ने को कहा है। साथ ही कहा है कि अब किसी भी तरह के मतभेद की बात सामने नहीं आने चाहिए। बयानबाजी करने वालों पर कार्रवाई होगी। बैठक में मौजूद नेताओं ने उन्हें एकजुट होकर आगामी राजस्थान विधानसभा का चुनाव लड़ने का भरोसा दिलाया है।
सचिन पायलट ने कहा, मिलकर भाजपा को हराएंगे
राजस्थान पर हुई इस अहम बैठक के जरिए कांग्रेस आलाकमान ने राज्य के दोनों प्रमुख नेताओं सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की दूरी खत्म करने की कोशिश की है। अशोक गहलोत जहां वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बैठक से जुड़े थे वहीं सचिन पायलट मौजूद थे। बैठक को लेकर सचिन पायलट ने माडिया से बात करते हुए कहा कि पार्टी नेतृत्व मुझे जो भी जिम्मेदारी देगा, मैं उसे निभाने के लिए तैयार हूं। सचिन पायलट ने कहा कि हमारी बैठक करीब चार घंटे तक चली। हमने विधानसभा चुनाव से जुड़े हर मुद्दे पर बात की है। हम मिलकर चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने बताया कि एंटी इनकमबेंसी को तोड़ने पर चर्चा हुई है। राजस्थान विधानसभा चुनाव में हम मिलकर भाजपा को हराएंगे।
अब क्या चाहते हैं सचिन पायलट?
राजस्थान की राजनीति के जानकारों के मुताबिक सचिन पायलट फिर से राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और चुनाव प्रचार समिति के प्रमुख का पद चाहते हैं। इसके जरिए वह आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी अहम भूमिका चाहते हैं। वहीं पार्टी नेतृत्व उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाना चाहता है या चुनाव प्रचार समिति का प्रमुख का पद देना चाहता है। सचिन पायलट अब उपमुख्यमंत्री का पद नहीं चाहते हैं। उनके करीबी कहते हैं कि पायलट ने पार्टी के भीतर एक सम्मानजनक पद की इच्छा जाहिर की है। हालांकि उन्होंने इसे सबके सामने उजागर नहीं किया है। दूसरी तरफ राजस्थान में कांग्रेस गहलोत के चेहरे पर चुनाव में उतरेगी इसका साफ संकेत पार्टी नेतृत्व ने दे दिया है। अब देखना है कि पायलट को लेकर अगले कुछ दिनों में कांग्रेस क्या फैसला करती है और क्या पायलट पार्टी के फैसलो को मानते हैं?
अपनी ही सरकार के खिलाफ पदयात्रा की थी
पिछले महीनों में सचिन पायलट लगातार राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ परेशानी का कारण बनते रहे हैं। पिछली वसुंधरा राजे सरकार पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों के खिलाफ कथित निष्क्रियता को लेकर वह गहलोत सरकार की सार्वजनिक रूप से आलोचना करते रहे हैं। राजस्थान लोक सेवा आयोग को भंग करने की उनकी पुरानी मांग है। भ्रष्टाचार को लेकर भी वह आरोप लगा चुके हैं। अपनी मांगों को लेकर उन्होंने अपनी ही सरकर के खिलाफ धरना दिया था और पदयात्रा भी निकाली थी। अब देखना होगा कि गहलोत सरकार और कांग्रेस नेतृत्व राजस्थान में पार्टी का अंदरुनी कलह खत्म करने के लिए सचिन पायलट की इन मांगों को पूरा करेगी या नहीं।