राजस्थान के करौली में हुई भयावह घटना में, एक 19 वर्षीय दलित लड़की के साथ कथित तौर पर गैंगरेप किया गया, चेहरे पर तेजाब फेंका गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई। करौली के नादौती थाना क्षेत्र के भीलापाड़ा रोड पर गुरुवार को उसका शव एक कुएं में मिला था। राजस्थान विधानसभा में यह मामला उठा है और भाजपा ने सत्तारूढ़ कांग्रेस पर तमाम आरोप लगाए। भाजपा, कांग्रेस, बसपा और आम आदमी पार्टी के मैदान में उतरने से यह एक राजनीतिक मुद्दा भी बन गया है। राज्य में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं।
हैवानियत का शिकार दलित लड़की
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक जिस परिवार के साथ यह घटना हुई है, उस परिवार की एक महिला ने बताया कि “वो दो-तीन आदमी थे, वे चुपचाप आए, उसके मुंह पर कपड़ा डाला और उसे एक कार के अंदर बांध दिया। ...और अब वह मर चुकी है। उस महिला ने आरोप लगाया कि गैंगरेप के बाद सीने में गोली मारी गई और चेहरे पर तेज़ाब डाला गया था।''
जिस क्रूर तरीके से लड़की की हत्या की गई - ऐसा लगता है कि उसकी पहचान छिपाने के लिए उसके चेहरे को तेजाब डालकर विकृत किया गया था। घटना ने परिवार और क्षेत्र के निवासियों को झकझोर कर रख दिया है।
लड़की की मां ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि “मैं और मेरे चार बच्चे (11-12 जुलाई की रात) घर पर थे। जब वे लोग आए तो हम सभी घर के बाहर सो रहे थे।जब मैंने कुछ शोर सुना तो मैं जाग गई। जब मैंने उन लोगों को मेरी बेटी को ले जाते देखा तो मैंने चिल्लाना शुरू कर दिया। लेकिन किसी ने मेरी बात नहीं सुनी, कोई पड़ोसी मदद के लिए नहीं आया। कार का इंजन चालू था, उन्होंने उसे अंदर धकेल दिया और भाग गए।'' एफआईआर में दर्ज है कि पड़ोसियों के घर में कूलर और पंखे हैं, शायद इसीलिए परिवार ने लड़की की चीख नहीं सुनी। लड़की की मां ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि रात होने के कारण उन्हें कोई चेहरा याद नहीं है।
पीड़िता बीए की छात्रा थी, जबकि उसकी दो बहनें और एक भाई सभी नाबालिग हैं। उनके पिता पिछले छह साल से दुबई में मजदूरी कर रहे हैं।
बच्चों के नाबालिग होने के कारण ही पीड़ित लड़की की माँ ने जयपुर से एक रिश्तेदार को बुलाया, जो बुधवार सुबह लगभग 10 बजे उनके गाँव पहुँचा। लड़की की मां ने बताया कि “ फिर हमने और लगभग 10 लोगों ने उसे घंटों तक खोजा लेकिन वह कहीं नहीं मिली। शाम को, हमने पुलिस स्टेशन से संपर्क किया। परिवार ने बताया कि पुलिसकर्मियों ने अगली सुबह तक इंतजार करने के लिए कहा, यह कहते हुए कि वह घर लौट आएगी… उन्होंने एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया और हमें धमकी दी। इसलिए हमारे पास घर लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।” गुरुवार की सुबह बच्ची की मां को कुएं में शव देखे जाने की जानकारी मिली। दोपहर के आसपास शव को बाहर निकाला गया।
स्थानीय पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 174 के तहत अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया। प्रथम दृष्टया, पुलिस ने माना कि लड़की की डूबने से मौत हुई है। सीएमओ पुष्पेंद्र गुप्ता के मुताबिक, गुरुवार शाम 5 बजे से 7 बजे के बीच हिंडौन के सरकारी अस्पताल में पोस्टमार्टम किया गया।
मामले को छुपाने का आरोप लगाते हुए, भाजपा के राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा घटनास्थल पर पहुंचे और परिवार के साथ धरने पर बैठ गए और दोबारा पोस्टमार्टम कराने की मांग की। गुरुवार देर रात दूसरा पोस्टमॉर्टम किया गया। जहां पहला पोस्टमार्टम हिंडौन के सरकारी अस्पताल के चार डॉक्टरों द्वारा किया गया था, वहीं दूसरे पोस्टमार्टम के लिए जिला कलेक्टर के आदेश पर एक अलग टीम का गठन किया गया था और तीनों डॉक्टर करौली जिला मुख्यालय से आए थे।
परिवार के साथ बैठी भाजपा की पूर्व हिंडौन सिटी विधायक राजकुमारी जाटव ने दावा किया, ''चूंकि कुछ महीनों में चुनाव होने हैं और विधानसभा सत्र चल रहा है, इसलिए कांग्रेस सरकार मामले को दबाना चाहती है। अगर हमने मुद्दा नहीं उठाया होता तो प्रशासन ने परिवार के साथ मामला सुलझा लिया होता और अंतिम संस्कार भी कर दिया गया होता।'
सीएमओ गुप्ता ने पहली पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पर कहा कि सीने में गोली लगने की चोट थी, चेहरा और हाथ जले हुए थे। शरीर की जाँच की गई कि बलात्कार हुआ है या नहीं। जबकि गोली लगने की पुष्टि हो गई है। शरीर से एक गोली बरामद की गई है। मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद ही रेप की पुष्टि हो सकेगी। उन्होंने कहा कि परिवार के आग्रह के बाद दूसरे पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी की गई। हालाँकि परिवार ने दावा किया कि पोस्टमॉर्टम में कई विवरण सामने नहीं आए। गुप्ता ने कहा कि उन्होंने पहले पोस्टमॉर्टम के बाद ही परिवार को लड़की के शरीर से एक गोली मिलने, एसिड हमले और बलात्कार की आशंका के बारे में पुष्टि की थी। .
बहरहाल, लड़की की मां की लिखित शिकायत पर आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 376 डी (सामूहिक बलात्कार), 326 ए (तेजाब के उपयोग से जानबूझकर गंभीर चोट पहुंचाना), 363 (अपहरण) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। अज्ञात आरोपियों के खिलाफ धारा 366 (किसी महिला को शादी के लिए मजबूर करने या उसे अपवित्र करने के लिए उसका अपहरण करना) भी लगाई गई है।
जबरदस्त राजनीतिः इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार दोपहर को भाजपा, कांग्रेस, बसपा और आप के कार्यकर्ताओं की अस्पताल में भीड़ जमा हो गई। एक तंबू के नीचे बसपा नेता राज्यसभा सांसद रामजी गौतम के आने का इंतजार कर रहे थे, दूसरे तंबू के नीचे आप नेताओं ने अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ नारे लगाए, जबकि परिवार के लोग अस्पताल में भाजपा कार्यकर्ताओं से घिरे हुए थे। जैसे ही बसपा नेताओं ने परिवार को ले जाने की कोशिश की, भाजपा सदस्यों ने यह कहते हुए विरोध किया कि जो कोई भी परिवार से मिलना चाहता है उसे यहां आना होगा। एक बसपा नेता ने परिवार को समझाने की कोशिश की और कहा कि "गांव से पहले हमारा समुदाय है।" लेकिन इसका भी भाजपा कार्यकर्ताओं सहित परिवार के आसपास के लोगों ने विरोध कर दिया। परिवार को बीएसपी टेंट में लाने की कोशिशें नाकाम होने के बाद सांसद रामजी गौतम पहुंचे और लड़की की मां के पास बैठ गए। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा की कुछ स्थानीय निवासियों से उस समय बहस हो गई जब उन्होंने उनसे कहा कि वे इस मामले में कुछ नहीं कर रहे हैं। लोकल लोगों और भाजपा कार्यकर्ताओं ने भगवान और रामजी गौतम को महिला के बगल में बैठने के बमुश्किल एक मिनट बाद वहां से जाने के लिए मजबूर किया।
भाजपा ने जांच करने और रिपोर्ट सौंपने के लिए तीन सदस्यीय तथ्य-खोज टीम का गठन किया। जिसमें राजसमंद लोकसभा सांसद दीया कुमारी, भरतपुर लोकसभा सांसद रंजीता कोली और राजस्थान राज्य महिला आयोग की पूर्व प्रमुख सुमन शर्मा शामिल थीं। जिन्होंने परिवार और तत्कालीन डीजीपी उमेश मिश्रा से मुलाकात की।
करौली की एसपी ममता गुप्ता ने कहा, "परिवार के साथ बातचीत अभी भी जारी है।" रेप के आरोप पर उन्होंने कहा कि एफएसएल रिपोर्ट का इंतजार है। परिवार के इस आरोप पर कि जब वे एफआईआर दर्ज कराने गए तो पुलिसकर्मियों ने उन्हें धमकी दी, उन्होंने कहा, "हम इसकी जांच कराएंगे और अगर ऐसा कुछ पाया गया तो कार्रवाई करेंगे।"