राज्यसभा चुनाव के लिए राजस्थान से कांग्रेस उम्मीदवारों के चयन के बाद पार्टी की राज्य इकाई के नेताओं ने खुलकर नाराजगी जाहिर की है। इन नेताओं की नाराजगी इस बात को लेकर है कि पार्टी ने किसी भी स्थानीय नेता को राज्यसभा में क्यों नहीं भेजा।
राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है और यहां से उसने मुकुल वासनिक, रणदीप सिंह सुरजेवाला और प्रमोद तिवारी को राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया है।
मुकुल वासनिक महाराष्ट्र के रहने वाले हैं जबकि रणदीप सिंह सुरजेवाला का ताल्लुक हरियाणा से और प्रमोद तिवारी का संबंध उत्तर प्रदेश से है। इस लिहाज से यह तीनों ही नेता राजस्थान के लिए बाहरी हैं।
कांग्रेस हाईकमान के द्वारा किए गए इस चयन के खिलाफ सबसे पहले विधायक संयम लोढ़ा ने आवाज उठाई। उन्होंने ट्वीट कर पूछा, “कांग्रेस को यह बताना चाहिए कि राजस्थान के किसी भी कांग्रेस नेता या कार्यकर्ता को राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी नहीं बनाने के पीछे क्या वजह है।”
संयम लोढ़ा निर्दलीय विधायक हैं और कांग्रेस की सरकार को कुछ अन्य निर्दलीय विधायकों की तरह ही समर्थन दे रहे हैं। वह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार भी हैं।
संयम लोढ़ा के अलावा पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भरत सिंह ने भी उम्मीदवारों के चयन को लेकर नाराजगी जताई है। भरत सिंह ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर कहा है कि यह नेता विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़ने से डरते हैं और राजनीति में राज्यसभा के जरिए बने रहना चाहते हैं।
इसके अलावा राजस्थान में कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी की खबरें हैं। पार्टी के एक पूर्व पदाधिकारी वरूण पुरोहित ने फ्री प्रेस जर्नल से कहा, “सैकड़ों कार्यकर्ता ऐसे हैं जो कई सालों से पार्टी के लिए पूरी निष्ठा के साथ काम कर रहे हैं लेकिन उन्हें मौका नहीं दिया जाता।” उन्होंने कहा कि इस तरह के फैसलों से कार्यकर्ता निराश होते हैं।
जबकि दूसरी ओर बीजेपी ने राजस्थान के ही नेता घनश्याम तिवारी को उम्मीदवार बनाया है।
खेड़ा, नगमा भी नाराज
सोमवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने उम्मीदवारों के चयन को लेकर नाराजगी जताई थी। पूर्व अभिनेत्री और कांग्रेस के नेता नगमा ने भी उन्हें टिकट न दिए जाने को लेकर पूछा था कि क्या वह इमरान प्रतापगढ़ी से कम काबिल हैं। इमरान प्रतापगढ़ी को पार्टी ने राज्यसभा चुनाव में महाराष्ट्र से उम्मीदवार बनाया है।
छत्तीसगढ़, हरियाणा में भी यही हाल
राज्यसभा चुनाव में टिकट वितरण का यही हाल छत्तीसगढ़ और हरियाणा में भी है। छत्तीसगढ़ और हरियाणा से भी राज्य इकाई के नेताओं को मौका नहीं मिला है।
छत्तीसगढ़ से रंजीत रंजन और राजीव शुक्ला को राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया गया है। रंजीत रंजन का संबंध बिहार से जबकि राजीव शुक्ला का संबंध उत्तर प्रदेश से है। बीजेपी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि यह राज्य का अपमान है कि किसी स्थानीय नेता को कांग्रेस ने राज्यसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया।
द हिंदू अखबार के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में कई नेता इस बात को लेकर नाराज हैं कि उम्मीदवारों को थोप दिया गया है।
जबकि हरियाणा से अजय माकन को टिकट दिया गया है जो दिल्ली कांग्रेस के नेता हैं।
कांग्रेस में असंतुष्ट नेताओं के गुट G-23 से आने वाले वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा को भी टिकट नहीं दिया गया है।
2014 के बाद से लगातार चुनावी शिकस्त खा रही कांग्रेस राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवारों के चयन के बाद बुरी तरह घिरती नजर आ रही है।