बीजेपी ने आगामी राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए सोमवार को उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी। सूची में 41 उम्मीदवारों के नाम हैं, जिनमें सात सांसद भी शामिल हैं।
सांसद नरेंद्र कुमार को मंडावा से, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को झोटवाड़ा से, दिया कुमारी को विद्याधर नगर से, बाबा बालकनाथ को तिजारा से, डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को सवाई माधोपुर से, भागीरथ चौधरी को किशनगढ़ से और देवजी पटेल को सांचोर विधानसभा सीट से उतारा गया है।
बीजेपी ने इसकी सूची जारी करते हुए बयान में कहा है कि एक अक्टूबर को जेपी नड्डा की अध्यक्षता में बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में इसका फ़ैसला लिया गया। बैठक में पीएम मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह और समिति के अन्य सदस्य शामिल हुए।
बयान में कहा गया है कि केंद्रीय चुनाव समिति ने 41 उम्मीदवारों के नामों को अपनी स्वीकृति दे दी है। जिन नामों की स्वीकृति दी गई है उसमें 7 बड़े नेता हैं और दरअसल वे सांसद हैं। कहा जा रहा है कि बीजेपी बड़े नेताओं को उतारने से संकेत मिलते हैं कि पार्टी की स्थिति ठीक नहीं है और इसी वजह से सांसदों को विधानसभा चुनाव के लिए उतारा गया है। बीजेपी ने यही रणनीति मध्यप्रदेश में भी अपनाई है।
एमपी में भाजपा के शिवराज सिंह चौहान विपरीत हालात का सामना कर रहे हैं। चुनावी सर्वे और कहा जा रहा है कि बीजेपी के आंतरिक सर्वे भी बीजेपी के लिए मुश्किल हालात बता रहे हैं इसलिए इसने इस बार कई केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव में उतारा है। बीजेपी ने राज्य में जो दूसरी सूची जारी की उसमें तीन केंद्रीय मंत्रियों- नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद सिंह पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते को क्रमशः दिमनी, नरसिंहपुर और निवास सीट से चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर -1 सीट से टिकट दिया गया है। इसके अलावा बीजेपी ने एमपी में भी कुल सात सांसदों को टिकट दिया है।
राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी लड़ाई होगी। राज्य में सत्ता विरोधी लहर एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है। 1993 के बाद से राज्य में बारी-बारी से कांग्रेस और भाजपा जीतती रही हैं।
बता दें कि राजस्थान में वसुंधरा राजे नाराज़ बताई जाती हैं। जब भाजपा की परिवर्तन यात्रा वसुंधरा राजे के लिए जाना जाने वाले हाड़ौती क्षेत्र में पहुँची तो वसुंधरा गायब थीं। मंच पर भाजपा कार्यकर्ता असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के साथ परंपरागत राजस्थानी पगड़ी और तलवार भेंट कर फोटो सेशन कराते दिखे। वसुंधरा गायब थीं। वसुंधरा पिछले कुछ दिनों से राजस्थान के राजनीतिक पटल से गायब थीं। हाड़ौती में कोटा, बूंदी और झालावड़ आते हैं। वसुंधरा झालावाड़ से 33 वर्षों से या तो विधायक रहीं या सांसद रहीं, वह इतने महत्वपूर्ण कार्यक्रम से गायब रहीं।
कहा जा रहा है कि बीजेपी राजस्थान में विकल्प की तलाश में है और वसुंधरा राजे को किनारे लगाया जा रहा है। हालाँकि बीजेपी की ओर से ऐसा कुछ आधिकारिक तौर पर नहीं कहा गया है। पार्टी की ओर से यही कहा जा रहा है कि इस बार विधानसभा के चुनावों में मुख्यमंत्री का चेहरा कोई नहीं होगा और सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा।