पंजाब कांग्रेस में एक बार फिर शुरू हुई सियासी उठापटक के बाद बाग़ी विधायकों और मंत्रियों ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के ख़िलाफ़ खेमेबंदी तेज़ कर दी है। पंजाब कांग्रेस के 80 विधायकों में से 34 ने मंगलवार को एक अहम बैठक की और कैप्टन अमरिंदर सिंह को बदलने की मांग की। इस बैठक में चार मंत्री भी शामिल रहे। इन विधायकों और मंत्रियों ने कहा कि उन्हें अब अमरिंदर सिंह पर भरोसा नहीं रहा है।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, यह बैठक कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा के सरकारी आवास पर हुई। हालांकि इस बैठक में सिद्धू और प्रदेश कांग्रेस के चार कार्यकारी अध्यक्ष मौजूद नहीं रहे लेकिन बैठक में शामिल कुछ विधायकों ने बाद में कांग्रेस मुख्यालय में सिद्धू से मुलाक़ात की।
प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने इस बारे में ट्वीट कर कहा कि उन्हें बाजवा की ओर से तुरंत बैठक का संदेश आया था और वह उनसे और बाकी सहयोगियों से प्रदेश कांग्रेस के दफ़्तर में मिले। सिद्धू ने इसकी फ़ोटो भी जारी की है।
अमरिंदर के ख़िलाफ़ बग़ावत का बिगुल बजाने वाले चार मंत्री सहित छह विधायकों ने बुधवार को पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत से देहरादून में मुलाक़ात की है। इनमें अमरिंदर सिंह के कट्टर विरोधी विधायक परगट सिंह भी शामिल हैं। परगट सिंह को सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस के महासचिव (संगठन) जैसे अहम पद पर बैठाया है।
बाजवा के अलावा कैबिनेट मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, सुखजिंदर सिंह रंधावा और सुखबिंदर सिंह सरकारिया ने भी अमरिंदर के ख़िलाफ़ बग़ावत का बिगुल बजा दिया है।
इस बैठक को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बयान जारी किया गया है। बयान में 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले इस तरह की कोशिशों की मजम्मत की गई है और पार्टी नेतृत्व से इस मामले में तुरंत क़दम उठाने की मांग की गई है।
अमरिंदर पर बोला हमला
कैबिनेट मंत्री बाजवा ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से बातचीत में दावा किया कि उनके पास 46 विधायकों का समर्थन है, कई और विधायकों के फ़ोन भी आ रहे हैं। बाजवा ने अमरिंदर पर हमला बोला और कहा कि कोई काम नहीं हुआ है और वादों को भी पूरा नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे में अमरिंदर को बदलने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा है। बाजवा के अलावा बाक़ी मंत्रियों ने भी अमरिंदर सरकार पर आरोप लगाए।
कैबिनेट मंत्री बाजवा का सिद्धू के साथ बैठक करना, 46 विधायकों के समर्थन का दावा करना, सिद्धू का परगट सिंह को अहमियत देना इस बात को साफ करता है कि सिद्धू कैंप अब अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाना चाहता है।
अगर कुछ और विधायकों ने कैप्टन के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला तो पार्टी हाईकमान के लिए विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कोई फ़ैसला करना बेहद मुश्किल हो जाएगा। लेकिन सिद्धू के समर्थक मंत्री और विधायकों के जोश को देखकर लगता है कि वे हाईकमान को अमरिंदर सिंह को हटाने का फ़ैसला लेने के लिए मजबूर कर सकते हैं।