पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह बनाम नवजोत सिंह सिद्धू का झगड़ा सुलझाने में कांग्रेस हाईकमान के छक्के छूट गए। जैसे-तैसे यह लड़ाई शांत हुई थी कि कैप्टन दिल्ली पहुंच गए और यहां उन्होंने सिद्धू की बयानबाज़ी को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से शिकायत की।
इसी बीच, सिद्धू ने 4 लोगों को अपना सलाहकार नियुक्त कर दिया। इनमें से एक सलाहकार मलविंदर सिंह माली ने अपनी एक फ़ेसबुक पोस्ट में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पर जोरदार हमला बोला है। हालांकि यह पोस्ट उन्होंने सलाहकार नियुक्त किए जाने से कुछ घंटे पहले लिखी थी। लेकिन सवाल यह है कि अमरिंदर सिंह के ख़िलाफ़ ऐसी पोस्ट लिखने वाले शख़्स को सिद्धू ने अपना सलाहकार क्यों बनाया।
माली ने अपनी पोस्ट में लिखा है, “पंजाबियों, होशियार और ख़बरदार हो जाओ। कैप्टन, अमित शाह और मोदी की तिकड़ी के द्वारा पंजाब के अंदर अविश्वास, सांप्रदायिक तनाव, डर और दहशत पैदा करने के संकेत हैं और यह पंजाबियों और किसानों के लिए ख़तरे की घंटी है।”
माली आगे लिखते हैं कि सोनिया गांधी ने कैप्टन को नवजोत सिंह सिद्धू के साथ मिलकर चलने और अमरिंदर से कैबिनेट में बदलाव संबंधी प्रस्ताव देने के लिए कहा लेकिन कैप्टन ने पंजाब के अंदर मोदी और अमित शाह की सियासत लागू करने का अपना एजेंडा केंद्र सरकार को सौंप दिया है। याद रखना होगा कि अमरिंदर सिंह सोनिया गांधी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से भी मिले थे।
माली लगातार मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के ख़िलाफ़ टिप्पणियां करते रहे हैं, इसलिए जब सिद्धू ने उन्हें अपना सलाहकार बनाया तो कांग्रेस के ही कई नेताओं ने इस पर नाराज़गी जाहिर की थी। माली के बारे में कहा जाता है कि वे अपनी ख़राब जुबान के लिए पहचाने जाते हैं। कांग्रेस नेता अनीश सिडाना ने माली को सलाहकार बनाने पर सवाल उठाया।
सिर्फ़ सलाहकार हूं: माली
माली इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री गुरुचरण सिंह टोहड़ा, कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रकाश सिंह बादल के साथ भी काम कर चुके हैं। माली का कहना है कि वे सिर्फ़ सलाहकार बने हैं और किसी पार्टी में शामिल नहीं हुए हैं। माली ने कहा कि उनका कांग्रेस के आंतरिक मामलों से कोई लेना-देना नहीं है और वे सिर्फ़ सिद्धू को उनके पंजाब एजेंडे के बारे में सलाह देंगे।
बढ़ेगा विवाद?
अमरिंदर सिंह के सोनिया गांधी को सिद्धू की बयानबाज़ी के बारे में बताने पर सोनिया ने पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत से कहा था कि वह इस बात को सुनिश्चित करें कि अमरिंदर सिंह और सिद्धू अपनी सीमाओं में रहकर काम करें लेकिन एक-दूसरे का सहयोग भी करें। लेकिन माली अगर लगातार इसी तरह कैप्टन के ख़िलाफ़ बोलते रहे तो हरीश रावत के लिए सिद्धू और कैप्टन को साथ ला पाना मुश्किल होगा।