मान सरकार के लिए बड़ी चुनौती है पंजाब में अमन-चैन बनाए रखना

09:17 am Apr 30, 2022 | सत्य ब्यूरो

पटियाला में हिंदू व खालिस्तान समर्थक सिख संगठनों के बीच हुई झड़प के बाद एक बार फिर तमाम तरह की आशंकाएं सिर उठाने लगी हैं। बीते साल दिसंबर में लुधियाना की जिला अदालत में हुए धमाके के बाद एक बार फिर पंजाब का माहौल तनावपूर्ण होता दिख रहा है। 

पंजाब बेहद संवेदनशील सूबा है और लंबे वक्त तक सिख आतंकवाद की चपेट में रहा है जिसकी वजह से हजारों सिखों और हिंदुओं को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। 

पंजाब में पहली बार सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी के लिए इस तरह की हिंसक झड़पों को रोकना और कानून का शासन मजबूत करना एक बहुत बड़ी चुनौती है।

आईएसआई की नजर 

पंजाब एक सरहदी सूबा है और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई पर यह आरोप लगता रहा है कि वह पंजाब का माहौल खराब करने की कोशिश में जुटी रहती है। बीते साल हुए किसान आंदोलन के चलते पंजाब का सियासी पारा काफी हाई रहा था। किसान आंदोलन में खालिस्तान समर्थकों की घुसपैठ होने के आरोप केंद्र सरकार ने लगाए थे। 

भगवंत मान सरकार को बेहद संवेदनशील इस राज्य में पुलिस और कानून व्यवस्था को बेहद चुस्त दुरुस्त रखना होगा वरना राज्य का माहौल खराब हो सकता है।

पन्नू की नापाक कोशिश 

प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस का नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू विदेश में बैठकर लगातार सिखों को भड़काता रहता है। वह पंजाब में बैठे सिखों के लिए अलग देश यानी खालिस्तान बनाने के लिए भारत से लड़ने की बात कहता है। इसके जवाब में पंजाब के हिंदू संगठन उसे ललकारते हैं और इस वजह से पंजाब में खालिस्तान समर्थक सिख संगठन और हिंदू संगठनों के बीच तनातनी की स्थिति बनी रहती है।

गुरपतवंत सिंह पन्नू

पटियाला में हुई झड़प में भी सीधा मामला यही था। पन्नू सिख रेफरेंडम 2020 के नाम पर भी भारत के सिखों के बीच अलगाववाद को हवा दे चुका है। 

भगवंत मान सरकार के पास कामकाज का अनुभव नहीं है और भगवंत मान को भी राजनीति में आए 12 साल ही हुए हैं। पंजाब को संभालने के लिए जिस बड़े राजनीतिक व प्रशासनिक अनुभव की जरूरत है वह ना मान के पास है और न ही उनकी पार्टी में किसी और नेता के पास। इसलिए तमाम तरह की चुनौतियां भगवंत मान के सामने खड़ी हैं।

आतंकवाद के दौर में जमकर खून खराबा देख चुका पंजाब और इसके लोग गुरुओं की इस पावन धरती पर अमन-चैन का माहौल चाहते हैं।

विपक्ष को लें साथ 

पंजाब में आईएसआई और विदेशों में बैठे खालिस्तानी नेताओं की साजिश कामयाब ना हो इसके लिए भगवंत मान सरकार को केंद्रीय गृह मंत्रालय का भी पूरा साथ लेना होगा।

इसके साथ ही भगवंत मान को पंजाब का माहौल बेहतर करने में विपक्षी नेताओं के अनुभव का लाभ उठाने से कतई नहीं चूकना चाहिए वरना उनके लिए इस बॉर्डर स्टेट को चला पाना आसान नहीं होगा।