पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने मंगलवार को टाइम्स नाउ की पत्रकार भावना किशोर के साथ ही अब दो अन्य आरोपियों ड्राइवर और कैमरामैन को भी जमानत दे दी। शनिवार शाम को कोर्ट ने भावना को अंतरिम जमानत दे दी थी। मंगलवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि ड्राइवर और कैमरामैन की गिरफ्तारी गैर-कानूनी थी, उन्हें गिरफ्तार कर जेल नहीं भेजना था। कोर्ट ने मान सरकार से पूछा कि उसने भावना के अलावा ड्राइवर और कैमरामैन को गिरफ्तार क्यों किया?
ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मैसिस ने सबसे पहले उनकी गिरफ्तारी और बाद में मजिस्ट्रेट द्वारा दिए गए रिमांड आदेश पर सवाल उठाया। भावना और अन्य दो आरोपियों ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम और आईपीसी के प्रावधानों के तहत दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था। इसमें दावा किया गया कि यह मामला 'पंजाब राज्य की तरफ़ से राजनीतिक प्रतिशोध के अलावा कुछ नहीं है'।
टाइम्स नाउ नवभारत की रिपोर्ट के अनुसार जब कोर्ट ने मान सरकार से पूछा कि उसने भावना के अलावा ड्राइवर और कैमरामैन को गिरफ्तार क्यों किया तो पंजाब सरकार ने हाई कोर्ट के सामने अपनी ग़लती मानी। रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार ने कहा कि कैमरामैन और ड्राइवर को जेल नहीं भेजा जाना चाहिए था। रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान जज ने कहा कि ड्राइवर और कैमरामैन दोनों के जीने की आजादी छीनी गई।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस राय और चेतन मित्तल वकील गौतम दत्त के साथ खंडपीठ के समक्ष उपस्थित हुए। याचिका में कहा गया कि जिस समाचार चैनल के लिए वह काम कर रही थीं, वह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ 45 करोड़ रुपये की लागत से उनके आधिकारिक आवास के पुनर्निर्माण को लेकर रिपोर्टिंग कर रही थीं।
याचिका में कहा गया कि 'बदला लेने के रूप में और समाचार चैनल को सबक सिखाने के लिए याचिकाकर्ताओं के खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया गया है, जो निर्दोष हैं और उन्हें फँसाया जा रहा है।'
याचिका में कहा गया है कि जिस समूह के लिए वह काम करती हैं उसे लुधियाना में सरकार द्वारा संचालित क्लिनिक के उद्घाटन का निमंत्रण मिला। जब याचिकाकर्ता वापस लौट रहे थे, कार ने शायद एक रिक्शा को टक्कर मार दी जिसके बाद उन्हें वाहन से बाहर आने के लिए कहा गया। पुलिस के आने पर, उन्हें अवैध रूप से हिरासत में लिया गया।
दावा किया गया है कि इसके बाद एक कहानी गढ़ी गई जिसमें आरोप लगाया गया कि लुधियाना निवासी महिला दो अन्य लोगों के साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री द्वारा क्लिनिक के उद्घाटन में शामिल होने के लिए जा रही थी और एक तेज रफ्तार वाहन से टकरा गई, जिसके परिणामस्वरूप उसके दाहिने हाथ में चोट लग गई। उसका फोन भी नीचे गिर गया। यह भी आरोप लगाया गया कि विवाद के दौरान याचिकाकर्ताओं ने शिकायतकर्ता की जाति के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया, जिस पर वह एफ़आईआर दर्ज की गई।
बता दें कि सोमवार को सुनवाई के दौरान ही हाई कोर्ट के जस्टिस दीपक सिब्बल ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। जस्टिस दीपक सिब्बल ने सुनवाई के लिए इस मामले को मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया था।
टाइम्स नाउ समूह ने हाल ही में एक रिपोर्ट में दावा किया था कि आम आदमी की राजनीति का दावा करने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सरकारी बंगले पर 'अनाप-शनाप पैसे' खर्च किये। उस रिपोर्ट में कहा गया था कि केजरीवाल ने अपने सरकारी आवास की मरम्मत पर क़रीब 45 करोड़ रुपये ख़र्च कर दिए। उसने यह भी आरोप लगाया कि यहाँ तक कि केजरीवाल ने एक-एक पर्दे पर आठ-आठ लाख रुपये ख़र्च किए। इस रिपोर्ट के बाद केजरीवाल सरकार घिर गई थी। पंजाब में भी आप की ही सरकार है।