पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित के द्वारा आम आदमी पार्टी सरकार की ओर से बुलाए गए विधानसभा के विशेष सत्र की इजाजत न देने के कारण पंजाब का सियासी माहौल गर्म हो गया है। आम आदमी पार्टी सरकार के द्वारा विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए विश्वास प्रस्ताव लाया गया था और राज्यपाल ने 20 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने की इजाजत भी दे दी थी। लेकिन बुधवार को एक पत्र जारी कर उन्होंने इसे वापस ले लिया।
इसे लेकर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल, पार्टी की पंजाब इकाई सहित तमाम बड़े नेताओं ने लोकतंत्र खत्म होने की बात कही है। जबकि बीजेपी, कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल ने राज्यपाल के फैसले का स्वागत किया है।
ऑपरेशन लोटस
बताना होगा कि कुछ दिन पहले पंजाब में आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था कि बीजेपी के नेताओं ने उसके विधायकों से संपर्क करने की कोशिश की और इस दौरान उसके विधायकों को बीजेपी के साथ आने के लिए 25-25 करोड़ रुपए का ऑफर दिया गया। पंजाब सरकार के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा, उच्च शिक्षा मंत्री गुरमीत सिंह मीत हायर, शहरी विकास मंत्री अमन अरोड़ा, दिल्ली के विधायक सौरभ भारद्वाज, आतिशी मार्लेना ने ऑपरेशन लोटस को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेन्स की थी और बीजेपी पर हमला बोला था।
पंजाब में आम आदमी पार्टी ने उन विधायकों के नामों को भी सामने रखा था जिन्होंने यह आरोप लगाया था कि बीजेपी के नेताओं ने उनसे संपर्क करने की कोशिश की। इस मामले में सभी विधायक और पार्टी के वरिष्ठ नेता डीजीपी से मिले थे और उन्हें इससे जुड़ी तमाम रिकॉर्डिंग और सुबूत सौंपे थे।
इसके बाद आम आदमी पार्टी सरकार ने फैसला लिया था कि वह पंजाब की विधानसभा में विशेष सत्र बुलाकर विश्वास प्रस्ताव लाएगी और अपना बहुमत साबित करेगी।
क्या कहा है पत्र में?
राज्यपाल की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा, कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा और पंजाब बीजेपी के अध्यक्ष अश्विनी शर्मा की ओर से राजभवन को पत्र मिला है जिनमें कहा गया है कि राज्य सरकार के पक्ष में किसी भी तरह का विशेष सत्र बुलाने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। पत्र में कहा गया है कि इस मामले में राज्यपाल ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया सत्यपाल जैन से कानूनी राय ली और उसके बाद ही नियमों के मुताबिक पंजाब के विधानसभा सत्र को 20 सितंबर को दी गई मंजूरी को वापस लिया जाता है।
दिल्ली में साबित किया था बहुमत
याद दिलाना होगा कि कुछ दिन पहले दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था कि बीजेपी के नेताओं ने उसके विधायकों से संपर्क करने की कोशिश की और विधायकों को पाला बदलने के लिए 20-20 करोड़ रुपए का ऑफर दिया गया। इसे लेकर आम आदमी पार्टी ने सड़क से लेकर विधानसभा तक जोरदार प्रदर्शन किया था और उसके बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर अपनी सरकार का बहुमत साबित किया था। केजरीवाल ने कहा था कि बीजेपी आम आदमी पार्टी के एक भी विधायक को नहीं तोड़ सकी।
पंजाब में इस साल मार्च में चुनाव हुए थे और इसमें आम आदमी पार्टी को प्रचंड जीत मिली थी। पंजाब की 117 सीटों में से 92 सीटें जीतकर आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल को बुरी तरह समेट दिया था। कांग्रेस को 18, बीजेपी को 2, शिरोमणि अकाली दल को 3, बीएसपी को 1 और 1 सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार को जीत हासिल हुई थी।
केजरीवाल, मान ने उठाया सवाल
इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा है, “राज्यपाल कैबिनेट द्वारा बुलाए गए सत्र को कैसे मना कर सकते हैं। ऐसे हालात में तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा। 2 दिन पहले राज्यपाल ने सत्र की इजाजत दी थी लेकिन जब ऑपरेशन लोटस फेल होता दिखा और संख्या पूरी नहीं हुई तो ऊपर से फोन आए कि इजाजत वापस ले लो।” केजरीवाल ने कहा कि आज देश में एक तरफ संविधान है और दूसरी तरफ ऑपरेशन लोटस। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ट्वीट करके कहा है कि राज्यपाल द्वारा विधानसभा ना चलने देना देश के लोकतंत्र पर बड़े सवाल पैदा करता है। अब लोकतंत्र को करोड़ों लोगों द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधि चलाएंगे या केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया हुआ एक व्यक्ति। एक तरफ भीमराव जी का संविधान और दूसरी तरफ ऑपरेशन लोटस...जनता सब देख रही है।
पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने यह फैसला लेने के लिए राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को धन्यवाद दिया है। प्रदेश अध्यक्ष ने ट्वीट कर कहा है कि इस तरह विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाना पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार के द्वारा किया गया एक और गैर संवैधानिक काम था।
शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने भी विधानसभा के विशेष सत्र को मंजूरी न देने के राज्यपाल के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के इस फैसले से जनता का पैसा बर्बाद होने से बच गया है। पंजाब बीजेपी के अध्यक्ष अश्विनी शर्मा ने भी फैसले का स्वागत किया है।
जबकि पंजाब सरकार के कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने कहा है कि पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा बीजेपी की धुन पर नाच रहे हैं क्योंकि उन्हें जेड प्लस सुरक्षा मिली हुई है। अरोड़ा ने इस मामले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा साल 2020 में सचिन पायलट के द्वारा की गई बगावत के बाद विधानसभा सत्र को बुलाए जाने का का उदाहरण दिया है। अरोड़ा ने कहा कि पिछले 52 सालों में 27 बार अविश्वास प्रस्ताव और 12 बार अलग-अलग राजनीतिक दलों द्वारा विश्वास प्रस्ताव पेश किया गया।