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यूके के 'ग्रूमिंग गैंग' अपराध में 'पाकिस्तानियों' पर आरोप क्यों? जानें सच क्या 

यूके के 'ग्रूमिंग गैंग' अपराध में 'पाकिस्तानियों' पर आरोप क्यों? जानें सच क्या 

यूके में बच्चियों का यौन उत्पीड़न करने वाले 'ग्रूमिंग गैंग' को लेकर भारतीय सांसद ने क्यों आपत्ति जताई? एलन मस्क ने इस मुद्दे को क्यों उठाया? जानिए, आख़िर क्यों पाकिस्तानी मूल के लोगों का नाम आ रहा है और यह कितना सच है।

यूके के 'ग्रूमिंग गैंग' मुद्दे ने आख़िर ब्रिटेन की राजनीति में तहलका क्यों मचा रखा है? भारत के नेता तक इस पर प्रतिक्रिया क्यों दे रहे हैं? भारतीय सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस पर लिखा तो एलन मस्क ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी। मस्क ने जब एक्स पर एक पोस्ट लिखी तो दुनिया भर में इस पर चर्चा तेज हो गई। तो सवाल है कि आख़िर ब्रिटेन में 'ग्रूमिंग गैंग' क्या है और यह इतना चर्चित क्यों है? क्यों इस पर भारत की नेता से लेकर दुनिया के सबसे अमीर शख्स इस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं और क्यों इस पर दुनिया भर में चर्चा हो रही है?

इन सवालों के जवाब पाने से पहले यह जान लें कि आख़िर प्रियंका चतुर्वेदी ने क्या कहा है और एलन मस्क ने क्या पोस्ट की है। राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि ब्रिटेन में ग्रूमिंग गैंगों के लिए 'एशियाई गैंग' को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है, बल्कि एक 'दुष्ट राष्ट्र' पाकिस्तान को दोषी ठहराया जा सकता है। इस पर एलन मस्क ने कहा कि यह सच है।

इससे पहले एलन मस्क ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर और लेबर पार्टी के अन्य सांसदों पर ब्रिटेन के तथाकथित ग्रूमिंग गैंग को कारनामे करते रहने देने का आरोप लगाया। यह 'ग्रूमिंग गैंग' एक दशक पुराने घोटाले के संदर्भ में है जिसमें बाल यौन शोषण के कई मामले शामिल हैं। इसमें पुरुषों के गिरोहों द्वारा लड़कियों पर हमला किया गया और उनका बलात्कार किया गया। अधिकांश अपराधी ब्रिटिश पाकिस्तानी मूल के सुर्खियों में रहे।

प्रियंका चतुर्वेदी और एलन मस्क का यह बयान ऐसे समय में आया है जब ब्रिटेन की विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी ने संसदीय बहस का इस्तेमाल करके दशक भर से ज़्यादा पुराने 'ग्रूमिंग गैंग' मामले पर नई राष्ट्रीय जांच गठन के लिए दबाव बनाने की कोशिश की है। प्रियंका चतुर्वेदी ने ब्रिटेन के लेबर प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के सोमवार के बयान पर आपत्ति जताई जिसमें उन्होंने कहा था कि 2008 और 2013 के बीच क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस के प्रमुख के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने एशियाई ग्रूमिंग गिरोह के खिलाफ पहला मुक़दमा चलाया था।

यूके यानी यूनाइटेड किंगडम लंबे समय से तथाकथित ग्रूमिंग गिरोहों के इतिहास से जूझ रहा है। इन गिरोहों ने पिछले कुछ सालों में हज़ारों युवा लड़कियों का यौन शोषण किया है। इस मुद्दे ने ब्रिटेन की राजनीति को बाँट कर रख दिया है। मीडिया का ध्यान आकर्षित करने वाले कई हाई-प्रोफाइल मामलों के अपराधी पाकिस्तानी मूल के पुरुष पाए गए। 

इस ऐंगल पर राजनेताओं और बड़ी हस्तियों के एक वर्ग का ध्यान केंद्रित होने के साथ, शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि इस तरह जातीय ऐंगल देने से बच्चों के यौन शोषण से निपटने के प्रयासों में बाधा आ सकती है।

ग्रूमिंग गैंग कांड क्या था? 

ग्रूमिंग गैंग कांड का मामला पहली बार 2011 में आया था। 2011 में लंदन के टाइम्स ने 1997 से इंग्लैंड के उत्तरी और मिडलैंड्स में आपराधिक गिरोहों द्वारा लड़कियों के यौन शोषण पर खोजी लेखों की एक श्रृंखला प्रकाशित की थी। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार उस समय के एक जासूस, मुख्य निरीक्षक एलन एडवर्ड्स ने अखबार को बताया था, 'हर कोई जातीयता के फ़ैक्टर पर बहुत डरता है।' इन मामलों को 'ग्रूमिंग गैंग' कांड के रूप में जाना जाता है। 2014 में रॉदरहैम शहर में इस तरह के दुर्व्यवहार की एक साल लंबी आधिकारिक जांच के निष्कर्षों ने राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी चर्चा को जन्म दिया था। 1997 और 2013 के बीच कम से कम 1400 बच्चों का यौन शोषण किया गया था, जबकि स्थानीय अधिकारी सालों तक इस पर ध्यान नहीं देते थे। 

यह मामला बहुत ही विवादास्पद था क्योंकि रॉदरहैम मामले में ज़्यादातर पीड़ित श्वेत थे और अपराधियों के बीच नस्लीय अंतर था। 2012 में दर्जनों लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार के लिए ऑक्सफ़ोर्ड और ओल्डहैम और रोशडेल के उत्तरी शहरों में अभियोजन पक्ष में पाकिस्तानी, बांग्लादेशी और अफ़गान मूल के पुरुष शामिल थे जिन्हें लंबी जेल की सज़ा मिली।

ग्रूमिंग गैंग की समस्या कितनी बड़ी? 

गिरोह-आधारित अपराध ब्रिटेन में बाल यौन शोषण के मामलों का केवल एक छोटा हिस्सा ही है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस द्वारा जारी किए गए डेटा में कहा गया है कि 2023 में ब्रिटेन में बच्चों के खिलाफ दर्ज किए गए 1.15 लाख से अधिक यौन अपराधों में से 4,228 (3.7 प्रतिशत) गिरोह-आधारित अपराध थे। इनमें से 26 प्रतिशत अपराध परिवारों के भीतर हुए, जबकि 17 प्रतिशत में ग्रूमिंग गैंग सहित समूह शामिल थे। स्कूल, धार्मिक स्थल, सामुदायिक केंद्र और अन्य ऐसे संस्थान गिरोह-आधारित अपराधों के नौ प्रतिशत अपराधों के लिए ज़िम्मेदार थे।

अप्रैल 2023 में तत्कालीन प्रधानमंत्री ऋषि सुनक द्वारा ग्रूमिंग गैंग से निपटने के लिए गठित एक टास्क फोर्स ने अपने संचालन के पहले वर्ष में 550 से अधिक संदिग्धों को गिरफ्तार किया।

ग्रूमिंग और यौन शोषण के मामले

इंग्लैंड के कई शहरों में युवा लड़कियों को ग्रूम करने वाले दुर्व्यवहारियों के नेटवर्क का पर्दाफाश किया गया है, जिससे लोगों की चिंता बढ़ गई है। ये 'गिरोह' कम उम्र की पीड़ितों से दोस्ती करके काम करते हैं, अक्सर उन्हें फँसाने के लिए शराब, नशीले पदार्थ और गिफ्टों का इस्तेमाल करते हैं।

हालाँकि, 2022 में जारी एक स्वतंत्र रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थानीय अधिकारी कुछ बच्चों को ग्रूमिंग और शोषण से बचाने में विफल रहे हैं। ओल्डहैम मामलों में जाँच के दायरे का विस्तार करने के लिए जनता की ओर से लगातार आवाज़ उठ रही है। 2024 में ग्रेटर मैनचेस्टर के मेयर एंडी बर्नहैम द्वारा कमीशन की गई एक स्वतंत्र समीक्षा में पाया गया कि रोशडेल में युवा लड़कियों का बड़े पैमाने पर ग्रूमिंग और शोषण किया जाता है। इसने 2004 और 2013 के बीच इन मामलों की ठीक से जाँच करने में अधिकारियों की विफलता को भी उजागर किया। नौ अपराधियों को दोषी ठहराया गया, जिनमें से आठ ब्रिटिश-पाकिस्तानी पुरुष थे। रिपोर्ट में पाया गया कि युवा लड़कियों को नशीला पदार्थ खिलाकर टेकअवे दुकानों के ऊपर बलात्कार किया जाता था।

रोचडेल समीक्षा प्रोफेसर एलेक्सिस जे की 2014 की रिपोर्ट पर आधारित है, जिसमें 1997 और 2013 के बीच रॉदरहैम में ग्रूमिंग गिरोहों की गतिविधि की जांच की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि उस अवधि के दौरान 1400 बच्चों का शोषण किया गया जिनमें से कुछ की उम्र 11 साल थी। इसमें बताया गया है कि कैसे बच्चों को पेट्रोल या बंदूकों से धमकाया गया। रिपोर्ट बताती है कि पीड़ितों में से अधिकांश श्वेत लड़कियाँ थीं और अपराधी पाकिस्तानी मूल के थे। इसी तरह के मामले टेलफ़ोर्ड, ऑक्सफ़ोर्ड, ब्रिस्टल और अन्य शहरों और कस्बों में पाए गए हैं।

नस्लवाद का सवाल

अपनी 2014 की रिपोर्ट में प्रोफेसर जे ने उल्लेख किया कि परिषद के कर्मचारियों ने 'नस्लवादी समझे जाने के डर से अपराधियों की जातीय मूल की पहचान करने के बारे में अपनी घबराहट को बताया है; दूसरों को ऐसा न करने के लिए अपने प्रबंधकों से स्पष्ट निर्देश मिले थे'।

अपराध को अपराधियों की जातीयता से जोड़ने वाले दावे वास्तव में निराधार हैं। 50 शोधकर्ताओं द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र ने चेतावनी दी कि इस तरह के जातीयता के दावे 'गलत सूचना, नस्लवाद और विभाजन को बढ़ावा देते हैं'।

2020 में यूके के गृह कार्यालय द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया था कि यह निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त डेटा नहीं था कि गैंग-आधारित अपराध करने वाले अधिकांश अपराधी एशियाई या पाकिस्तानी थे। इसने पाया कि बच्चों के खिलाफ यौन अपराध करने वाले अधिकांश अपराधी श्वेत थे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 'कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि राष्ट्रीय आबादी की जनसांख्यिकी के सापेक्ष अश्वेत और एशियाई अपराधियों का अधिक प्रतिनिधित्व है। हालांकि, यह निष्कर्ष निकालना संभव नहीं है कि यह सभी गैंग-आधारित बाल यौन शोषण अपराधों को दिखाते हैं।

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