+
संघ से जुड़े रहे बिहार के गवर्नर की आजादी की लड़ाई पर टिप्पणी देखिये

संघ से जुड़े रहे बिहार के गवर्नर की आजादी की लड़ाई पर टिप्पणी देखिये

आरएसएस से जुड़े रहे बिहार के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर ने देश की आजादी की लड़ाई के लिए छेड़े गये सत्याग्रह को अपनी टिप्पणी से महत्वहीन कर दिया। उन्होंने कहा कि आजादी का संघर्ष हथियारों से जीता गया है। हालांकि देश यही जानता आया है कि महात्मा गांधी के शांतिपूर्ण सत्याग्रह से देश को आजादी मिली। तमाम इतिहास लेखकों ने इस बारे में यही लिखा है। लेकिन महात्मा गांधी के आंदोलन के खिलाफ आरएसएस का नजरिया उसके स्वयंसेवकों के जरिये अब सामने आ रहा है। महत्वपूर्ण पदों पर होने के कारण इन स्वयंसेवकों की बातों को मीडिया गंभीरता से लेता है और कोई जांच पड़ताल भी नहीं करता।

बिहार के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर ने कहा है कि ब्रिटिश शासकों ने भारत को 'सत्याग्रह' के कारण नहीं छोड़ा, बल्कि तब छोड़ा जब उन्होंने मूल भारतीय लोगों के हाथों में हथियार देखे और उन्हें एहसास हुआ कि वे किसी भी हद तक जा सकते हैं। आर्लेकर आरएसएस से जुड़े रहे हैं और अभी भी विचारों में उनके संघ की आस्था झलकती है। इतिहास तोड़ने मरोड़ने के लिए दक्षिणपंथी मशहूर हैं। गोवा पर पुर्तगाली कब्जे का जिक्र करते हुए राज्यपाल आर्लेकर ने कहा कि अब समय आ गया है कि किसी से डरे बिना इतिहास के बारे में सही नजरिया सामने लाया जाए।

आर्लेकर ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों का नाम लिए बिना आरोप लगाया कि भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) ने एक कहानी बनाई थी कि आप गुलाम बनने के लिए पैदा हुए हैं और तत्कालीन सरकार ने भी इसका समर्थन किया था। राज्यपाल लेखिका आनंदिता सिंह द्वारा लिखित पुस्तक "भारत के उत्तर पूर्व में स्वतंत्रता संग्राम का संक्षिप्त इतिहास (1498 से 1947)" पर बोल रहे थे।

अपने आधे घंटे लंबे भाषण में, गोवा के रहने वाले आर्लेकर ने कहा, "गोवा इंक्विजिशन क्या है? वास्तव में यह क्या है? अगर हम इसे सामने लाने की कोशिश करते हैं, तो गोवा में कुछ लोग परेशान हो जाते हैं। उन्हें दर्द होता है। क्या हमें यह नहीं बताना चाहिए कि आपकी जड़ें क्या हैं? अगर हम उन्हें यह बताने की कोशिश करें कि आप कहां से हैं, आपकी जड़ें कहां हैं तो कुछ लोग परेशान हो जाते हैं। ऐसा क्यों होना चाहिए?"

उन्होंने कहा, हमें किसी से डरे बिना अपनी बात रखनी होगी। जिन्होंने हम पर आक्रमण किया, वे कभी हमारे नहीं हो सकते। इसलिए अपना नजरिया सामने लाना जरूरी है।" गोवा विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष अर्लेकर ने कहा कि अगर गुवाहाटी जैसी जगहों के लोग यहां हमें अपना इतिहास बता रहे हैं, तो गोवावासी इस भूमि का सच्चा इतिहास क्यों नहीं लिखते।

राज्यपाल ने कहा कि "आक्रमणकारियों ने एक कहानी बनाने की कोशिश की। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन हथियारों के बिना संभव नहीं था। उन्होंने 'सत्याग्रह' के कारण भारत नहीं छोड़ा। लेकिन जब उन्होंने हमारे हाथों में हथियार देखे और उन्हें एहसास हुआ कि हम किसी भी हद तक जा सकते हैं, तो उन्होंने देश छोड़ने का फैसला किया।" अर्लेकर ने अपील की कि हमें उस दौरान ब्रिटिश संसद में सांसदों के भाषणों को पढ़ना चाहिए, जो स्पष्ट रूप से सशस्त्र संघर्ष के बारे में बताते हैं।

उन्होंने कहा, ''उन्होंने (सांसदों ने) सिर्फ सत्याग्रह का ही जिक्र नहीं किया, बल्कि सशस्त्र संघर्ष का भी जिक्र किया, जिससे अंग्रेजों को एहसास हुआ कि अब समय आ गया है कि उन्हें भारत छोड़ देना चाहिए।'' यानी आर्लेकर यह कहना चाहते हैं कि हमें ब्रिटिश सांसदों द्वारा पूर्व में दी गई जानकारियों के आधार पर अपना इतिहास जानना चाहिए।

सत्याग्रह ब्रिटिश शासन के खिलाफ महात्मा गांधी द्वारा इस्तेमाल किया गया शांतिपूर्ण विरोध का एक तरीका था। आर्लेकर ने किताबों में लिखे भारतीय इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि आईसीएचआर ने एक नैरेटिव स्थापित किया है कि आप गुलाम बनने के लिए ही पैदा हुए हैं।आर्लेकर ने कहा, "हमें बताया जा रहा है कि भारतीय ऐतिहासिक साक्ष्यों के रख-रखाव में बहुत बुरे हैं। यह सच नहीं है। हमारे सबूत आप लोगों ने नष्ट कर दिए। लेकिन अभी भी हमारे पास सबूत हैं। हमें इसे आधार बनाना चाहिए और गोवा का असली इतिहास सामने लाने की जरूरत है। आने वाले दिनों में गोवा का असली इतिहास सामने आएगा।"

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें