मोदी को आप कैसे याद रखना चाहेंगे, नेहरू से जलन में देश की सोच कहां पहुंच गई?
पिछले हफ्ते जब गूगल “विलो” नमक नया क्वांटम कंप्यूटिंग टेक्नोलोजी- आधारित चिप लांच करने की घोषणा कर रहा था –जिसे सुन कर एलोन मस्क को भी कहना पडा ,“वाओ”—उस समय भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संसद में नेहरु के नाम का मर्सिया पढ़ते हुए बता रहे थे कि 70 साल पहले के निजाम की गलतियों से देश किस रसातल में चला गया. एआई के दौर को पीछे छोड़ता हुआ चीन इस समय जब क्वांटम कंप्यूटिंग पर शोध में अमेरिका और यूरोपियन यूनियन से कई गुना ज्यादा खर्च कर इस टेक्नोलोजी की मास्टरी में लगा हुआ है उस समय भारत का रहनुमा और उसके लोग मस्जिदों के नीचे मंदिर की तलाश कर रहे हैं.
उसकी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)-शासित सरकारों में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट्स अपने क्षेत्र में स्थानीय धार्मिक लम्पटों के साथ मस्जिद के नीचे मंदिर निकलना अपना “पावन” कर्तव्य समझ रहे हैं. बाबर ने क्या किया, नेहरु के शासन के दोष क्या थे, मस्जिद के नीचे मंदिर की तलाश, किसने “भारत-माता की जय” नहीं कहा, इन मुद्दों को सड़क से संसद तक और सैलून से सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने के धंधे में भारतीय जनमानस को मोदी ने सामूहिक जड़ता का शिकार बना दिया है. नतीजतन हम एआई की दौड़ में बहुत पीछे हो चुके हैं.
देश की संसद इन मुद्दों पर चर्चा करने की जगह अपने नए “भव्य” परिसर में “माननीयों” के एक-दूसरे को धक्का देने, गिर जाने, फिर “गुलाम” टीवी चैनलों को यह बताने में कि “किसने” धक्का दिया, की सड़क-छाप घटनाओं से “गौरवान्वित” हो रही है. प्रधानमंत्री ने अपनी पार्टी के एक “घायल” और आईसीयू में भर्ती सांसद से अपनी सहानुभूति वार्ता का टेप भी “गुलाम” मीडिया को क्वांटम कंप्यूटिंग वाली स्पीड से उपलब्ध कराया.
घटना के बाद सत्तापक्ष के “घायल” सांसद ने जब गिरने के बाद सहज भाव में कहा “मुझे तो भीड़ में किसी और सांसद के लड़खड़ाने से धक्का लगा” तो एंकर ने उन्हें उनके कर्तव्य का याद दिलाते हुए करेक्टिव सवाल किया “याने राहुल गाँधी ने आपको धक्का दे कर गिराया”. सांसद को अपना संसदीय कर्तव्य याद आ गया और तब से अब तक वह यही कह रहा है “राहुल गाँधी ने मुझे धक्का दे कर गिराया”.
कर्मठ दोयम दर्जे के भाजपा नेताओं ने तत्काल परिसर से सटे पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने में कांग्रेस नेता और लोक-सभा में नेता विपक्ष राहुल गाँधी पर मुकदमा दर्ज कराया. “कर्तव्य” में तत्पर थाने के पुलिस अधिकारियों ने उन दफाओं में केस दर्ज किया जिनमें आरोपी को आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है. दिल्ली की पुलिस केंद्र सरकार के अधीन है.
तुर्की कथन है “फिश रॉट्स फ्रॉम द हेड फर्स्ट” (मछली का सड़ना पहले सिर से शुरू होता है”. मोदी ने इस टाइम-टेस्टेड मुहावरे को बदल दिया. अब भारत में मछली हर अंग से सड़ना शुरू करती है—कैंसर के मेटास्टासिस स्टेज की तरह.
बेरोजगार लम्पट वर्ग ने भाजपा के कार्यकर्ता और हिंदुत्व के “टॉर्च बियरर” के रूप में अख़लाक़, पहलू खान, तबरेज और जुनैद को सरे-आम मारकर अपनी मानसिक सडांध का परिचय क्या दिया मोदी के सिस्टम ने उन्हें “रिवॉर्ड” दे कर देश भर को बता दिया कि “रिवॉर्ड और पनिशमेंट” की शर्तें क्या होंगी. तभी तो गुजरात में बिल्किस के बलात्कारी-हत्यारों को जेल से रिहा कर आरती उतरी गई।
तभी तो मध्य प्रदेश में राहुल गाँधी को पिछली यात्रा के दौरान सम्मानित करने वाले युवा व्यापारी और उसकी पत्नी को ईडी के छापे का सामना करना पडा. आत्महत्या के पहले दंपत्ति ने अपने सुसाइड नोट में आरोप लगाया कि ईडी के कांग्रेस से जुड़े होने को छापे का कारण बताते हुए छापेमार अफसरों ने उन्हें सलाह दी कि भाजपा में शामिल हो जाओ. सब कुछ ठीक हो जाएगा”. शायद ईडी को भी विश्वास दिलाया गया है कि “पावन गंगा”, जिसने मोदी को “मां” रूप में वाराणसी से चुनाव लड़ने को सन 2014 में बुलाया था और सन 2024 के चुनाव तक उसी की कृपा से बायोलोजिकल अस्तित्व से निर्वाण प्राप्त कर ईश्वर द्वारा दिया गए कुछ काम करने आये हैं, उनकी to भाजपा में कांग्रेसियों को शामिल कराने के पाप को इहलोक में हीं धो देगी.
डब्ल्यूएचओ ने चीख-चीख कर दशकों से बताया है कि कुपोषित बच्चों का शारीरिक और मानसिक हीं नहीं भावनात्मक विकास भी कम होता है. लेकिन मोदीमय मीडिया के ध्वनि विस्तारक यन्त्र बने एंकरों ने “भारत महान” की कृत्रिम अनुगूंज पैदा करते हुए देश के बच्चों को अक्षम बनाने में सत्ताधारियों की मदद कर “पुण्य” बटोर. राजनीतिक वर्ग के लिए इन्हें उपरोक्त मुद्दों पर बहकाना सहज होगा लेकिन एआई और क्वांटम कम्प्यूटिंग चिप के समुन्नत किन्तु गूढ़ और जटिल ज्ञान के दौर में क्या यह वर्ग देश को चीन और अमेरिका के मुकाबले खड़ा कर पायेगा? प्राथमिकतायें बदलें.
(लेखक एन के सिंह ब्रॉडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन (बीईए) के पूर्व महा-सचिव)