प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के दौरान ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए पूर्व मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र का ज़िक्र कर दिया। इस ज़िक्र में प्रधानमंत्री ने लखनऊ से लेकर दिल्ली तक परिवार की राजनीति करने वालों का न सिर्फ़ हवाला दिया, बल्कि इस परिवारवाद की नीति के चलते उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे ब्राह्मण चेहरे श्रीपति मिश्र की कुर्सी जाने को इसी परिवारवाद की भेंट चढ़ना बता दिया। प्रधानमंत्री के इसी बयान को लेकर विवाद शुरू हो गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर इतिहास के साथ न सिर्फ छेड़छाड़ की है, बल्कि ग़लत जानकारी से महज वोट बैंक की राजनीति को साधने की कोशिश की है।
ब्राह्मणों को लुभाने की कोशिश
दरअसल, बीते कुछ समय से उत्तर प्रदेश की राजनीति में ब्राह्मणवाद का मुद्दा लगातार छाया हुआ है। सभी राजनीतिक दल ब्राह्मणों पर डोरे डालने के लिए अलग-अलग तरीक़े की रणनीतियाँ बना रहे हैं, कई कार्यक्रम और बड़े आयोजन कर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक मंगलवार को सुल्तानपुर जिले में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री ने इसी कड़ी में पूर्व मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र का हवाला देकर न सिर्फ लोगों को चौंकाया, बल्कि ब्राह्मण वोट को साधने की कोशिश भी की। दरअसल प्रधानमंत्री अपने संबोधन के दौरान परिवारवाद पर हमला कर रहे थे। मोदी ने इस दौरान कहा कि न सिर्फ दिल्ली बल्कि लखनऊ में परिवारवाद का बीते कई वर्षों तक दबदबा रहा है। इसी परिवारवाद के चलते उत्तर प्रदेश की न जानें कितनी उम्मीदें बर्बाद हो गईं। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा सुल्तानपुर के श्रीपति मिश्र जी के साथ भी तो यही हुआ था।
उन्होंने कहा कि श्रीपति मिश्र का अनुभव और उनकी कर्मशीलता ही उनकी पूंजी थी, लेकिन परिवार के दरबारियों ने उन्हें अपमानित किया। राजनीतिक विश्लेषक एसएन शुक्ला कहते हैं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बड़े ब्राह्मण चेहरे का नाम लेकर नरेंद्र मोदी ने न सिर्फ ब्राह्मण वोटों को साधने की कोशिश की, बल्कि भावनात्मक तौर पर जोड़ते हुए यह तक कहा कि श्रीपति मिश्र जैसे कर्मयोगियों का अपमान उत्तर प्रदेश कभी भूल नहीं सकता।
श्रीपति मिश्र
इस पूरे मामले में अब नया बवाल शुरू हो गया है। "वीपी सिंह, चंद्रशेखर, सोनिया गांधी और मैं" जैसी बहुचर्चित किताब लिखने वाले वरिष्ठ पत्रकार संतोष भारतीय कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो भी मंगलवार को कहा वह तथ्यात्मक रूप से पूरी तरह से ग़लत है।
दलित की जमीन हड़पने पर हटाए गए मिश्र - संतोष भारतीय
संतोष भारतीय के मुताबिक श्रीपति मिश्र को परिवारवाद की किसी राजनीति के चलते नहीं हटाया गया था, बल्कि उन्हें सुल्तानपुर जिले के ही शेषपुर गांव में रहने वाले जोखई नाम के दलित की जमीन हड़पने के मामले में हटा दिया गया था। संतोष भारतीय बताते हैं कि जब 1982 में श्रीपति मिश्र उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए गए, तो वह साप्ताहिक पत्रिका रविवार में लखनऊ में रिपोर्टर थे। इस दौरान उन्हें इस मामले की जानकारी हुई कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र ने अपने गांव शेषपुर के जोखई नाम के एक दलित व्यक्ति की बीस बिसवा जमीन के टुकड़े को हड़प लिया है। उन्होंने इस पूरे मामले की पड़ताल करते हुए एक रिपोर्ट लिखी थी और उस रिपोर्ट पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संज्ञान लेकर एक जांच कमेटी का गठन किया था। उस कमेटी की रिपोर्ट में श्रीपति मिश्र के ऊपर अपने गांव के दलित जोखई की जमीन हड़पने के आरोप सही पाए गए थे। नतीजतन श्रीपति मिश्र को दो अगस्त 1984 को मुख्यमंत्री पद से इंदिरा गांधी ने हटा दिया था।
एनडी तिवारी को बनाया गया था सीएम
उत्तर प्रदेश में राजनीति के जानकार प्रोफेसर रतन शुक्ला कहते हैं, अगर आप प्रधानमंत्री के मंगलवार के भाषण को सुनें तो श्रीपति मिश्र का ज़िक्र करके सिर्फ ब्राह्मण वोटों को साधने की ही कोशिश की गई है। वह कहते हैं यह एक संयोग नहीं है कि सुल्तानपुर में कार्यक्रम हो रहा है, तो सुल्तानपुर की किसी बड़ी शख्सियत का ज़िक्र किया जाए। वे कहते हैं कि दरअसल राजनीतिक रणनीति के तहत ऐसा होता ही है। प्रधानमंत्री के भाषण के इस पूरे पैराग्राफ के केंद्र बिंदु में परिवारवाद तो था, लेकिन उस परिवारवाद के बहाने ब्राह्मणों को टारगेट किया गया था। वह कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि श्रीपति मिश्र को हटाने के बाद किसी और जाति विशेष का मुख्यमंत्री बनाया गया हो। इंदिरा गांधी ने श्रीपति मिश्र को हटाने के बाद कांग्रेस के कद्दावर नेता और ब्राह्मण चेहरे एनडी तिवारी को ही मुख्यमंत्री बनाया था।
वरिष्ठ पत्रकार और जोखई की ज़मीन मामले में रिपोर्ट करने वाले संतोष भारतीय कहते हैं कि जिस दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परिवारवाद का ज़िक्र कर रहे हैं दरअसल उस दौरान परिवारवाद तो था भी नहीं। अगर परिवारवाद होता तो 1984 से पहले के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों की लंबी फेहरिस्त आप देखें, तो उसमें एक भी चेहरा आपको परिवारवाद का नहीं मिलेगा। इसलिए जो जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के दौरान दी वह न सिर्फ़ ग़लत है, बल्कि राजनीतक इतिहास से छेड़छाड़ करने जैसी है।
(अमर उजाला से साभार)