पीएम नरेंद्र मोदी के साथ गुरुवार को हुई वर्चुअल बैठक के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उन पर बुरी तरह भड़क गईं। बनर्जी ने कहा कि इतने सारे मुख्यमंत्री इस बैठक में शामिल थे लेकिन किसी को भी बोलने नहीं दिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने राज्य के किसी भी जिलाधिकारी को इस बैठक में जाने नहीं दिया।
ममता ने कहा, “हम सभी मुख्यमंत्री बेहद अपमानित महसूस कर रहे हैं और हम इसे देखकर हैरान हैं कि प्रधानमंत्री ने बैठक बुलाई लेकिन वहां सभी मुख्यमंत्री कठपुतली की तरह बैठे रहे और उन्हें बोलने नहीं दिया गया, क्या वे (मुख्यमंत्री) बंधुआ मजदूर हैं।।”
ममता ने आगे कहा, “तानाशाही चल रही है। पीएम ख़ुद को इतना असुरक्षित महसूस करते हैं कि उन्होंने मुख्यमंत्रियों की बात तक नहीं सुनी। उन्हें किस बात का डर है।”
ममता ने कहा कि मोदी ने देश में कोराना को लेकर बने हालात को बहुत हल्के में लिया और तमाम राज्यों की ओर से वैक्सीन, ऑक्सीजन और कोरोना की दवाओं को लेकर उठ रहे सवालों को टाल दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा, “आज संघीय ढांचे को बर्बाद कर दिया गया है। केंद्र सरकार के पास बड़ी इमारतें और मूर्तियां बनाने का वक़्त है लेकिन मुख्यमंत्रियों की बात सुनने का वक़्त नहीं है। देश संकट के दौर से गुजर रहा है और पीएम का रवैया बेहद कैजुअल है।”
ममता ने कहा, “आज की बैठक पूरी तरह फ़्लॉप रही, ऐसे वक़्त में जब हर दिन लोग मर रहे हैं तो दिल्ली का शहंशाह कहता है कि सब ठीक है।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि पीएम ने बैठक के दौरान कोरोना की वैक्सीन के बारे में, रेमेडिसिवर के बारे में, ऑक्सीजन के बारे में कुछ नहीं पूछा, यहां तक कि ब्लैक फंगस के बारे में भी नहीं पूछा।
वैक्सीन की किल्लत
ममता बनर्जी ने कहा, “राज्य में वैक्सीन की किल्लत है, बंगाल को वैक्सीन नहीं मिल रही है। हम अपने राज्य में 18-60 साल के लोगों को मुफ़्त में वैक्सीन लगाना चाहते हैं। अगर इस तरह वैक्सीन की सप्लाई होगी तो हमें पूरे राज्य के लोगों को वैक्सीन लगाने में दस साल लग जाएंगे। हमने प्राइवेट कंपनियों से 60 करोड़ रुपये की वैक्सीन ख़रीदने का फ़ैसला किया है।”
मुख्यमंत्री ने कहा, “बंगाल में कोरोना को लेकर हालात मुश्किल हो गए हैं क्योंकि यहां 8 चरणों में चुनाव कराए गए। चुनाव के बाद हिंसा के नाम पर बंगाल में केंद्रीय टीमें भेजी जा रही हैं।”
‘मृत्युपुरी गंगे में बदला’
बंगाल चुनाव में बीजेपी को करारी शिकस्त देने वाली ममता ने कहा, “केंद्र सरकार ने नमामि गंगे को मृत्युपुरी गंगे में तब्दील कर दिया है। कोरोना से संक्रमित शवों को उत्तर प्रदेश में गंगा में डाला जा रहा है और ये बंगाल की ओर आ रहे हैं। इससे पानी प्रदूषित हो रहा है और पर्यावरण को नुक़सान हो रहा है। हम प्रकृति के साथ समझौता नहीं कर सकते। आख़िर क्यों केंद्रीय टीमों या सीबीआई को हालात का जायजा लेने के वहां नहीं भेजा जा रहा है।” ममता का इशारा केंद्र सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल में केंद्रीय टीमें या सीबीआई को भेजे जाने की ओर था।
एक सवाल के जवाब में ममता ने कहा, “मैं नहीं जानती कि बाक़ी लोग क्या करेंगे लेकिन बीजेपी सरकार के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय स्तर पर एक टीम खड़ी करने की ज़रूरत है। यह लोकतंत्र और तानाशाही के बीच लड़ाई होगी।”
सोरेन ने भी लगाया था आरोप
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी कुछ दिन पहले ट्वीट कर कहा था कि पीएम मोदी ने उनके राज्य में कोरोना की स्थिति जानने के लिए उन्हें फ़ोन किया था लेकिन उन्होंने सिर्फ अपने मन की बात की। सोरेन ने कहा था कि बेहतर होता यदि मोदी काम की बात करते और काम की बात सुनते।
इसके बाद पीएम मोदी ने कुछ और राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात कर कोरोना को लेकर वहां बने हालात का जायजा लिया था।
नारद मामले को लेकर भिड़ंत
पश्चिम बंगाल के चुनाव से एक साल पहले से ममता बनर्जी और केंद्र सरकार के बीच जोरदार संघर्ष चलता रहा। चुनाव के दौरान यह चरम पर रहा और उसके बाद और बढ़ता दिख रहा है। इन दिनों नारद घूस कांड को लेकर ममता और केंद्र सरकार आमने-सामने हैं।
सीबीआई ने ममता बनर्जी को भी इस मामले में पार्टी बनाया है। सीबीआई की ओर से कलकत्ता हाई कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि इस मामले को पश्चिम बंगाल से बाहर ट्रांसफ़र कर दिया जाए। ममता के अलावा राज्य सरकार के क़ानून मंत्री मलय घटक, टीएमसी के सांसद कल्याण बनर्जी को भी इस मामले में पार्टी बनाया गया है।
इस मामले में सीबीआई ने सोमवार सुबह टीएमसी के चार नेताओं को गिरफ़्तार किया था। इन नेताओं में नगर विकास मंत्री फ़िरहाद हाकिम, पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्र और विधायक शोभन चट्टोपाध्याय का नाम शामिल है। अगले दिन इन नेताओं को जेल भेज दिया गया था, इनमें से कुछ नेताओं को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था।