ब्रिटेन में भारी राजनीतिक गहमागहमी के बीच प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपनी असफलता पर खेद जताया है। 40 मंत्रियों, सचिवों और दूसरे शीर्ष अधिकारियों के इस्तीफे के बाद उनके लिए इस पद पर बने रहना मुश्किल हो गया था। दो मंत्रियों के इस्तीफे से यह राजनीतिक घटनाक्रम शुरू हुआ और जॉनसन की कुर्सी तक मामला पहुँच गया।
इससे पहले अंग्रेजी अख़बार द गार्डियन ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी थी कि बोरिस जॉनसन ने कंजर्वेटिव बैकबेंच 1922 कमेटी के अध्यक्ष सर ग्राहम ब्रैडी से बात की और इस्तीफा देने की बात कही थी। यह फ़ैसला स्थानीय समय के अनुसार सुबह क़रीब साढ़े आठ बजे लिया गया।
जॉनसन ने 10 डाउनिंग स्ट्रीट के बाहर कहा, यह स्पष्ट रूप से संसदीय कंजर्वेटिव पार्टी की इच्छा है कि उस पार्टी का एक नया नेता और इसलिए एक नया प्रधानमंत्री होना चाहिए। लेकिन नया नेता चुने जाने और पीएम बनने तक मैं प्रधान मंत्री के रूप में बना रहूंगा। मैं एक नाकाम प्रधानमंत्री साबित हुआ, इसका मुझे बेहद खेद है। मैं दुखी हूं।टोरी नेतृत्व की दौड़ के लिए टाइम टेबल की घोषणा अगले सप्ताह की जाएगी। नए नेता का चुनाव अक्टूबर तक हो पाएगा। तब तक जॉनसन पद पर रहेंगे।
बीबीसी ने रिपोर्ट दी है कि बोरिस जॉनसन गुरुवार को ब्रिटिश प्रधानमंत्री के रूप में अपने इस्तीफे की घोषणा करेंगे। नव-नियुक्त मंत्रियों और 50 से अधिक अन्य लोगों द्वारा पद छोड़े जाने के बाद जॉनसन के लिए राजनीतिक संकट आया। इस संकट ने जॉनसन सरकार को ख़तरनाक स्थिति में डाल दिया।
मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि आख़िरी के दो घंटों में ही दो सचिवों सहित आठ मंत्रियों ने इस्तीफा दिया है। रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार बीबीसी के राजनीतिक संपादक क्रिस मेसन ने कहा, 'बोरिस जॉनसन आज कंजरवेटिव पार्टी के नेता पद से इस्तीफा देंगे।'
एक दिन पहले ही बुधवार को बोरिस जॉनसन ने इस्तीफा नहीं देने का संकल्प लिया था। लेकिन अब उनके पास कोई चारा नहीं बचा था। जॉनसन अपना पद बचाने के लिए पिछले कई दिनों से संघर्ष कर रहे छे। उनके समर्थन में बस कुछ मुट्ठी भर सहयोगी बचे थे। उनके अधिकतर मंत्रियों और शीर्ष अधिकारियों ने पद छोड़ दिया। एक के बाद एक आई इस्तीफे की बाढ़ के बाद सवाल उठा कि सरकार कई संकटों से घिर गई है। ब्रिटेन में भी महंगाई बेहद ज़्यादा है वहाँ की अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है। इसी बीच दुराचार से जुड़ा एक मामला भी सामने आ गया।
जॉनसन की मुश्किलें तब बढ़नी शुरू हुई थीं जब उन्होंने यौन दुराचार के एक मामले में आरोपी होने के बाद भी सांसद क्रिस पिंचर को सरकार में अहम ओहदा दिया था।
2019 में बोरिस जॉनसन ने पिंचर को विदेश कार्यालय का मंत्री बनाया था और इस साल फरवरी में उन्हें डिप्टी चीफ व्हिप बनाया गया था।
बोरिस जॉनसन पर पिंचर को हटाए जाने को लेकर जबरदस्त दबाव था। हालांकि वह अपनी सफाई दे चुके थे।
पिंचर के ख़िलाफ़ 2019 में यौन दुराचार के आरोप लगे थे। जॉनसन पर यह आरोप लग रहा था कि वह पिंचर के खिलाफ लगे आरोपों के बारे में जानते हैं लेकिन बावजूद इसके वह उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। हालांकि सरकार की ओर से कहा जा रहा था कि पिंचर पर लगे आरोपों के बारे में जॉनसन को पता नहीं था।
ऐसे ही घटनाक्रमों के बीच ब्रिटेन की बोरिस जॉनसन सरकार के 2 बड़े मंत्रियों साजिद जावीद और ऋषि सुनाक ने इस्तीफ़ा दे दिया था। साजिद जावीद के पास सेहत का जबकि ऋषि सुनाक के पास वित्त महकमा था।
ऋषि सुनाक ने अपने इस्तीफे के पत्र में कहा है कि जब पूरी दुनिया महामारी, यूक्रेन में युद्ध और अन्य कारणों से आर्थिक संकट का सामना कर रही है, ऐसे वक्त में मुझे यह फैसला लेना पड़ा है। लेकिन जनता चाहती है कि सरकार सही तरीके से और गंभीरता से चले। जबकि साजिद जावीद ने कहा कि वह इस तरह सरकार में आगे नहीं बने रह सकते। इसके बाद ही जॉनसन सरकार में इस्तीफों का दौर शुरू हुआ।