1947 में कयाम-ए-पाकिस्तान के बाद से ही पड़ोसी मुल्क में यह पहला वक्त़ ऐसा आया है, जब सियासी रहनुमाओं ने फ़ौज़ को चुनौती दी है। पाकिस्तान की तारीख़ (इतिहास) को देखें तो वहां फ़ौज़ हमेशा से ताक़तवर रही है और कोई भी सियासतदां फ़ौज़ पर हमला नहीं करता। लेकिन यह बीते वक़्त की बात हो चुकी है और मुल्क़ के वज़ीर-ए-आज़म रह चुके नवाज़ शरीफ़ इन दिनों लगातार फ़ौज़ को निशाने पर ले रहे हैं।
क्रिकेट की पिच से सियासत के मैदान में उतरने वाले इमरान ख़ान नियाज़ी बेहद मुश्किलों से घिरे हुए हैं। पाकिस्तान की तारीख़ में शायद यह भी पहला मौक़ा है जब मुल्क़ की दीगर सियासी जमातों ने इतने बड़े पैमाने पर मिलकर हुकूमत को हटाने का दम भरा है।
पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट
पाकिस्तान की विपक्षी सियासी जमातों ने पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) नाम से गठबंधन बनाया है और इसकी ओर से देश में जोरदार रैलियां की जा रही हैं। इस गठबंधन में जमीअत उलेमा-ए-इसलाम के मुखिया मौलाना फज़लुर रहमान के अलावा पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के नेता और मुल्क़ की वज़ीर-ए-आज़म रहीं बेनज़ीर भुट्टो के बेटे बिलावल भुट्टो जरदारी, नवाज़ शरीफ़ की बेटी मरियम नवाज़ सहित कई आला नेताओं की सियासी जमात शामिल हैं।
इसके अलावा पश्तून तहफ्फुज़ मूवमेंट, बलूचिस्तान नेशनल पार्टी (मेंगल) सहित कई दलों के नेताओं की क़यादत में पीडीएम रैलियां कर रहा है।
पीडीएम की 18 अक्टूबर को कराची में हुई रैली में जितनी बड़ी संख्या में लोग जुटे उससे वज़ीर-ए-आज़म इमरान ख़ान और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक़-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) बेहद परेशान हैं। पीडीएम की एक रैली गुजरांवाला में हुई थी और आगे की रैलियां पेशावर, मुल्तान और अंतिम रैली लाहौर में होगी।
क्वेटा की रैली में उमड़े लोग।
बाजवा से मांगे जवाब
पीडीएम की 25 अक्टूबर को क्वेटा में हुई रैली में नवाज़ शरीफ़ एक बार फिर आर्मी चीफ़ जनरल क़मर जावेद बाजवा पर भड़के। शरीफ़ ने क्वेटा रैली में पहुंचे लोगों को खिताब करते हुए कहा, ‘आज तमाम सवालों के जवाब़ फ़ौज़ को नहीं जनरल क़मर जावेद बाजवा को देने हैं, जनरल फैज़ हमीद (आईएसआई चीफ़) को देने हैं। जनरल बाजवा साहब आपको 2018 के इलेक्शन में पाकिस्तान की तारीख़ की सबसे बड़ी धांधली और अवाम के मेंडेट (जनादेश) की चोरी का हिसाब देना है।’ नवाज़ इन दिनों लंदन में अपना इलाज करा रहे हैं।
शरीफ़ ने कहा, ‘जनरल बाजवा साहब आपको अरकान-ए-पार्लियामेंट की हॉर्स ट्रेडिंग का हिसाब देना है, बाजवा साहब आपको आईन और क़ानून की धज्जियां बिखेरते हुए इमरान नियाज़ी को अवामी मेंडेट के ख़िलाफ़ वज़ीर-ए-आज़म बनाने का हिसाब देना है।’
शरीफ़ ने पाकिस्तान की मुश्किलों को बाजवा पर लादते हुए कहा कि आपको इस हुकूमत की तमाम नाकामियों का हिसाब देना है।
इससे पहले शरीफ़ ने गुजरांवाला की रैली में कहा था, ‘आपने (फ़ौज़) चुनाव में अपनी मर्जी से लोगों को बैठा दिया, होने वाली बर्बादी के आप जिम्मेदार हैं।’ उन्होंने कहा कि फ़ौज़ के मुखिया क़मर जावेद बाजवा को जवाब देना ही होगा।
मुश्किल में हैं इमरान।
सलेक्टेड वज़ीर-ए-आज़म बताया
शरीफ़ ने कहा कि पीडीएम हुकूमत में फ़ौज़ के दख़ल के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहा है क्योंकि इसने मुल्क़ को अंदर से खोखला कर दिया है। उन्होंने एक बार फिर इमरान ख़ान को सलेक्टेड वज़ीर-ए-आज़म बताते हुए कहा कि उनकी लड़ाई इमरान से नहीं बल्कि उन लोगों से है, जो उन्हें हुकूमत में लेकर आए हैं। हालांकि उन्होंने पूरी फ़ौज़ को निशाने पर लेने से बचते हुए कहा कि वह कुछ जनरलों की करतूतों की वजह से पूरी फ़ौज़ को बदनाम नहीं करना चाहते।
पत्रकार के ग़ायब होने पर सवाल
कराची रैली के अगले ही दिन सुबह के वक़्त मरियम नवाज़ ने ट्वीट कर कहा था कि जिस होटल के कमरे में वह रूकी थीं, पुलिस ने उसका दरवाज़ा तोड़ दिया और उनके पति कैप्टन सफदर को गिरफ़्तार कर लिया। हाल ही में जियो न्यूज़ के एक पत्रकार अली इमरान सैयद के 22 घंटे तक ग़ायब रहने को लेकर सवाल उठा था। कहा गया था कि कैप्टन सफदर की गिरफ़्तारी का वीडियो इसी पत्रकार ने जारी किया था।
शरीफ़ ने कहा कि कैप्टन सफदर की गिरफ़्तारी बेहद शर्मनाक है और इससे उनकी यह बात साबित होती है कि हुकूमत के ऊपर भी एक हुकूमत है। उन्होंने सवाल उठाया कि किसके आदेश पर मरियम के कमरे का दरवाज़ा तोड़ा गया जबकि सूबे के चीफ़ मिनिस्टर को इस बारे में पता नहीं है तो इसके पीछे कौन है। उन्होंने कहा कि पुलिस को किसी के दबाव में नहीं आना चाहिए।
आसिम सलीम बाजवा निशाने पर
रैली में मरियम नवाज़ ने कहा कि क्या मोहम्मद अली जिन्ना की कही गई बातों को इस मुल्क़ में माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों के वोट की कोई इज्जत नहीं है। मरियम ने आसिम सलीम बाजवा को चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर अथॉरिटी के चेयरमैन पद से हटाने की मांग की। आसिम सलीम बाजवा और उनके परिवार पर अकूत संपत्तियां जुटाने के आरोप हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते ही बाजवा को कुछ दिनों पहले इमरान ख़ान के विशेष सहायक के पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था।
लगता है कि इमरान नवाज़ शरीफ़ के हमलों से बुरी तरह घबरा गए हैं और उन अल्फाज़ों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिनकी ऑक्सफ़ोर्ड से पढ़े इंसान से उम्मीद नहीं की जा सकती।
जूते पॉलिश करने वाला बताया
पीडीएम की सियासी रैलियों में उमड़ रही भीड़ से बौखलाए इमरान ख़ान ने कुछ दिन पहले नवाज़ शरीफ़ पर हमला बोला था और कहा था, ‘ये वो शख़्स है जो पूर्व जनरल जिया उल हक़ के जूते पॉलिश करते-करते चीफ़ मिनिस्टर बना था।’ इमरान ने कहा कि नवाज़ शरीफ़ फ़ौज़ के ख़िलाफ़ गलत भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। इमरान कह चुके हैं कि वे नवाज़ को गिरफ़्तार करेंगे और जेल में डालेंगे।
इमरान अपनी पार्टी की बैठकों में बिलावल भुट्टो जरदारी और मरियम नवाज़ को बच्चा बताते हैं और कहते हैं कि ऐसे लोगों ने जिंदगी में एक घंटा हलाल का काम नहीं किया है और ये दोनों अपने बापों की हराम की कमाई पर पले हैं।
इमरान रहेंगे या जाएंगे
पाकिस्तान के सियासी मंजर को देखकर सवाल यह उठता है कि फ़ौज़ आखिर कब तक इमरान को बचाएगी। वह भी ऐसे वक़्त में जब उसके जनरल पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं। मुल्क़ के माली हालात, महंगाई, देश पर बढ़ते कर्ज और फ़ाइनेंशियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (एफ़एटीएफ़) की लटक रही तलवार के बीच सवाल यह खड़ा होता है कि ताक़तवर फ़ौज़ क्या नवाज़ शरीफ़ के हमलों के बाद कोई पलटवार करेगी या फिर इमरान की हुकूमत से विदाई कराएगी।