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अब हर हफ्ते केजरीवाल और एलजी 30 मिनट मिला करेंगे

अब हर हफ्ते केजरीवाल और एलजी 30 मिनट मिला करेंगे

दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल और दिल्ली के एलजी विनय कुमार सक्सेना ने शुक्रवार को 30 मिनट के लिए मुलाकात की औऱ दोनों ने तय किया कि हर हफ्ते मिला करेंगे।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना अब हर शुक्रवार को 30 मिनट की मुलाकात करेंगे। यह फैसला 3 जून को उनकी मुलाकात के दौरान लिया गया। 

शुक्रवार को इस मुलाकात के बाद केजरीवाल ने बताया कि अब हम दोनों हर हफ्ते मिला करेंगे। इस मुलाकात के दौरान दिल्ली के तमाम मुद्दों पर बातचीत होगी। 3 जून की मुलाकात में हमने पानी और अन्य मुद्दों पर विचार किया। हमारे बीच जबरदस्त तालमेल बनता जा रहा है। 

दिल्ली के नए एलजी विनय कुमार सक्सेना ने 1 जून को दिल्ली जल बोर्ड की बैठक बुलाई थी। उन्होंने अधिकारियों को कुछ निर्देश दिए और कुछ आदेश दिए। उनके इस कदम को दिल्ली सरकार ने पसंद नहीं किया। आम आदमी पार्टी की नेता और मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की खास विधायक आतिशी मलेरना ने फौरन बयान देकर एलजी सक्सेना को सावधान किया। आतिशी ने कहा कि एलजी दिल्ली सरकार के कामकाज में दखल न डालें। 

आतिशी ने उन्हें बयान के जरिए बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार दिल्ली के एलजी के पास जमीन, कानून व्यवस्था और पुलिस का सीधा नियंत्रण होगा लेकिन इसके अलावा दिल्ली सरकार के पास सारे विभाग और अधिकार होंगे। एलजी को दिल्ली जल बोर्ड की बैठक बुलाने और आदेश देने का अधिकार नहीं है। 

बहरहाल, नए उपराज्यपाल के साथ उनके समन्वय के बारे में पूछे जाने पर आप प्रमुख केजरीवाल ने शुक्रवार शाम जवाब दिया कि हमारे बीच अच्छा समन्वय है। किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं है। इस बीच, इससे पहले दिन में, बीजेपी के विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज निवास में उपराज्यपाल से मुलाकात की। एलजी ने एक ट्वीट में कहा कि दिल्ली विधान सभा के सदस्यों ने शुक्रवार को मुलाकात की। हमने शहर और उनके निर्वाचन क्षेत्रों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।

इस बीच, अभी केजरीवाल का पूरा फोकस तीन राज्यों के आगामी विधानसभा चुनाव पर है। गुजरात, हिमाचल और हरियाणा विधानसभा के लिए आम आदमी पार्टी का मिशन स्टार्ट है। तीनों राज्यों में बीजेपी की सरकार है। हरियाणा का चुनाव 2024 में होगा लेकिन गुजरात और हिमाचल के चुनाव अगले कुछ महीनों में होने हैं। दोनों ही राज्यों में केजरीवाल ने कई सफल रैलियां करके अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं। बीजेपी इससे चौकन्नी है। गुजरात में प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव प्रचार खुद संभाला हुआ है। हिमाचल में पीएम दो दिन पहले गरीब कल्याण सम्मेलन करके आए हैं। 

गुजरात पीएम का अपना राज्य है। गुजरात में बीजेपी को कुछ भी करना पड़े, वो इसे खोना नहीं चाहती। गुजरात में बीजेपी की पराजय का मतलब होगा, उसका बड़ा राजनीतिक संदेश जाना। इसी तरह हिमाचल में अगर बीजेपी हारती है और आप की सरकार आती है तो पंजाब के बाद दूसरी जीत से केजरीवाल और आप और भी मजबूत तरीके से स्थापित हो जाएंगे। सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी को एक तरफ रखकर केजरीवाल ने 6 जून को गुजरात के मेहसाणा में तिरंगा यात्रा निकालने की घोषणा कर दी है। संकेत साफ है, केंद्र कुछ भी कर ले, आम आदमी पार्टी गुजरात में कुछ गुल खिलाकर रहेगी।

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