कोविड-19 के दौर में पहली चुनावी सभा रविवार को बिहार के गया के गांधी मैदान में हुई। बीजेपी द्वारा आयोजित इस सभा में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा मंच पर पहुंचे तो वहां मौजूद करीब पांच-छह हजार लोगों की भीड़ एक-दूसरे से चिपकी हुई नजर आयी।
सोशल डिस्टेंसिंग की आम ज़रूरत और चुनाव आयोग के निर्देशों का उल्लंघन सभी नेताओं और अफसरों के सामने होता रहा। वे माइक से दूरी बनाए रखने की अपील करते रहे लेकिन किसी पर कोई असर नहीं हुआ। अलबत्ता, भीड़ में शामिल कुछ लोग यह कहते हुए बाहर हो गये कि ऐसे तो बीमारी बुरी तरह फैल जाएगी।
फिलहाल राज्य में कोविड-19 से मरने वालों की ख़बरें हर रोज मिल रही हैं। यह और बात है कि अख़बार इसे अब अंदर के पन्नों पर बिना प्रमुखता दिये छाप रहे हैं।
अब तक दो लाख लोग संक्रमित
ताजा आंकड़ों के अनुसार, बिहार में अब तक लगभग दो लाख लोग कोविड-19 से संक्रमित हो चुके हैं और 955 लोगों की मौत हो चुकी है। ये सरकारी आंकड़े हैं जबकि आम धारणा यह है कि इससे कहीं अधिक लोग इस वायरस से पीड़ित हुए हैं। कोविड के लिए निर्धारित किये जाने के बाद भी एम्स, पटना में अब तक इस वायरस से संक्रमित आम मरीजों का इलाज शुरू नहीं हो सका है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने एक अक्टूबर को यह बात स्पष्ट कर दी थी कि चुनाव की एक्चुअल सभा पर कोई रोक नहीं है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा था कि सिर्फ वर्चुअल चुनाव प्रचार होने की बात गलत है। उन्होंने कहा था कि डीएम जनसभा के दौरान सामाजिक दूरी और अन्य दिशा-निर्देशों का पालन कराएंगे। इसके लिए सभी प्रमुख मैदानों की सूची छपवाने के लिए कहा गया था।
चुनाव आयोग ने 28 अगस्त को जारी अपने विस्तृत आदेश में कहा था कि डीएम सभा स्थलों पर प्रवेश और निकास के बिन्दु साफ तौर पर लिखवाएंगे। मार्कर द्वारा सामाजिक दूरी के लिए निर्धारित मानकों को चिह्नित किया जाएगा। राजनेताओं और उम्मीदवारों के लिए यह जरूरी करार दिया गया था कि वे मास्क, सैनिटाइजर और थर्मल स्कैनिंग आदि की व्यवस्था कराएंगे।
बिना मास्क के ही पहुंचे लोग
गया के गांधी मैदान की सभा के प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार जो लोग सभास्थल जाना चाह रहे थे और बिना मास्क के थे, उन्हें प्रवेश द्वार पर मास्क दिये जा रहे थे। सैनिटाइजर भी लगाया जा रहा था। लेकिन यह सब बहुत देर तक जारी नहीं रह सका। जब लोग झुंड दर झुंड आने लगे तो कोविड से बचने के लिए बतायी गयी सावधानियों की हवा निकल गयी। बहुत से लोग बिना मास्क के भी सभास्थल में प्रवेश कर गये।
सभा में कुर्सी हथियाने की ऐसी होड़ मची कि सब एक-दूसरे पर गिरने लगे। फिर मंच पर मौजूद नेताओं को देखने के लिए कुर्सी खिसकाने का काम भी होता रहा। इससे कुर्सियों के बीच दूरी बिल्कुल खत्म हो गयी।
‘सत्य हिन्दी’ ने इस बारे में जब गया के डीएम सह जिला निर्वाचन अधिकारी अभिषेक सिंह से जानना चाहा तो उन्होंने एसडीओ सह सहायक निर्वाचन अधिकारी से बात करने को कहा। सहायक निर्वाचन अधिकारी ने इस बारे में भेजे गये संदेश को देखकर भी कोई जवाब नहीं दिया।
बीमारी फैल गई तो
बीजेपी के स्थानीय प्रवक्ता युगेश कुमार ने कहा कि प्रशासन ने सात हजार की संख्या तय की थी और लगभग उतने ही लोग थे। उनके अनुसार, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया लेकिन पब्लिक के आने-जाने के क्रम में इसका पालन नहीं हो सका।
गया के समाजसेवी बृजनंदन पाठक कहते हैं कि गांधी मैदान की चुनावी सभा में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ते हुए सबने देखा और इसे कंट्रोल करने में नेता और प्रशासन दोनों विफल रहे। उन्होंने कहा कि यही हाल नामांकन के दौरान रहता है। ऐसे में अगर कोविड विकराल रूप धारण कर ले तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।
पाठक ने कहा कि गया का विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला रोक दिया गया और दुर्गा पूजा के दौरान पंडाल लगाने की अनुमति नहीं है लेकिन चुनाव के लिए जो सभाएं हो रही हैं और वहां जिस तरह कोविड से बचाव के नियम की अनदेखी हो रही है, वह बेहद चिंताजनक है।
गया के एक सीनियर अफ़सर ने कहा कि ऐसी सभाओं में सोशल डिस्टेंसिंग कहां रह पाती है। उन्होंने उदाहरण दिया कि अगर रामविलास जी की शव यात्रा को देखें तो उसमें भी सोशल डिस्टेंसिंग नहीं दिखती।