मुकेश अंबानी के घर के पास मिली स्कॉर्पियो कार और उसके बाद कार मालिक मनसुख हिरन की मौत के मामले में केंद्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार आमने सामने आ गए हैं। केंद्र सरकार ने जहाँ मुकेश अंबानी के घर के बाहर स्कॉर्पियो कार में मिले विस्फोटक की जाँच राष्ट्रीय जाँच एजेंसी यानी एनआईए से कराने का फ़ैसला किया है, वंही महाराष्ट्र सरकार स्कॉर्पियो कार मालिक मनसुख हिरन मौत मामले की जाँच महाराष्ट्र एटीएस से कराने पर कायम है। ऐसे में फ़िल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले के बाद एक और केस में महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार आमने-सामने आ गए हैं।
एनआईए करेगी जाँच
मनसुख हिरन मौत मामले में उस समय अचानक एक नया मोड़ आ गया जब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी करके यह ऐलान कर दिया कि मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिली स्कॉर्पियो गाड़ी से बरामद विस्फोटक मामले की जाँच एनआईए करेगी। एनआईए ने अब स्कॉर्पियो कार में मिले विस्फोटक मामले की जाँच के लिए दो टीमों का गठन कर दिया है।
पहले एनआईए इस मामले में एफ़आईआर दर्ज करेगी उसके बाद मुंबई पुलिस, मुंबई क्राइम ब्रांच और महाराष्ट्र एटीएस से इस केस के ज़रूरी काग़ज़ात और सबूत लेकर इस मामले की जाँच करेगी।
एनआईए प्रवक्ता ने कहा है कि फ़िलहाल एनआईए स्कॉर्पियो कार में मिले विस्फोटक मामले की ही जाँच करेगी।
बता दें कि 25 फरवरी को मुकेश अंबानी के घर के पास से एक स्कार्पियो कार से जिलेटिन की छड़ें मिली थीं और उसके बाद कार मालिक मनसुख की ठाणे के कलवा की खाड़ी से मनसुख का शव मिला था।
महाराष्ट्र सरकार ने रखा अपना पक्ष
उधर जैसे ही यह ख़बर सामने आई कि स्कॉर्पियो कार में मिली विस्फोटक मामले की जाँच एनआईए करेगी, महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि जब इस पूरे मामले की जाँच महाराष्ट्र एटीएस को सौंप दी गई थी तो एनआईए से जाँच कराने का केंद्र सरकार का कोई औचित्य नहीं बनता है।
अनिल देशमुख ने केंद्रीय गृह मंत्री पर हमला बोलते हुए कहा कि अमित शाह बेवजह महाराष्ट्र सरकार के केस की जाँच में अड़ंगा डाल रहे हैं।
इससे पहले खुद महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने मुकेश अंबानी केस और मनसुख हिरेन हत्या केस की जाँच महाराष्ट्र एटीएस से कराने का फ़ैसला किया था।
क्या कहना है पूर्व एटीएस चीफ़ का?
महाराष्ट्र एटीएस के प्रमुख रह चुके के. पी. रघुवंशी का कहना है कि आतंकी घटनाओं की जाँच एनआईए कर सकती कर सकती है क्योंकि इससे पहले भी एनआईए ने इस तरह की घटनाओं की जाँच की है। रघुवंशी ने कहा कि मुकेश अंबानी के घर के बाहर कार में मिले विस्फ़ोटक का मामला और मनसुख हिरन की मौत का मामला अलग है और दोनों मामलों की जाँच अलग अलग एजेंसियां कर सकती हैं।
लेकिन दबी जुबान में रघुवंशी कहते हैं कि भले ही ये दोनों केस अलग हैं, लेकिन दूसरी तरफ से देखा जाए तो दोनों केसों का कनेक्शन भी है। यही कनेक्शन दोनों सुरक्षा एजेंसियों में दरार पैदा कर सकता है। हालांकि रघुवंशी ने यह कहते हुए भी देर नहीं लगाई कि मनसुख हिरन मौत की जाँच भी एनआईए खुद ही करे, इसके लिए महाराष्ट्र सरकार से आग्रह कर सकती है। रघुवंशी ने कहा कि इसमें कोई अचरज नहीं होना चाहिए कि जब केंद्र या राज्य सरकार इस मामले को लेकर अदालत में ना पहुंच जाएं।
केंद्र- राज्य आमने सामने
यह पहला मौका नहीं है जब केंद्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार किसी केस को लेकर आमने सामने आए हों। इससे पहले भी पिछले साल बिहार विधानसभा चुनाव से पहले फ़िल्म एक्टर सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या मामले में भी केंद्र और महाराष्ट्र सरकार में तनातनी देखने को मिली थी।
केंद्र सरकार जहाँ सुशांत मामले की जाँच सीबीआई से कराने पर तुली था, वंहीं महाराष्ट्र सरकार इस केस की जाँच मुंबई पुलिस से करा रही थी। मामला अदालत पहुँच गया और फिर कोर्ट ने मामले की जाँच सीबीआई से कराने को हरी झंडी दे दी थी।
मामला लटक न जाए!
यह अलग बात है कि सीबीआई सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जाँच में अभी तक किसी भी नतीजे पर नहीं पहुँची है। ऐसे में सवाल यही उठता है कि कंही दो एजेंसियों के चक्कर में मुकेश अंबानी कार विस्फोटक केस और मनसुख हिरन मौत का केस भी सुशांत सिंह राजपूत मामले की तरह अधर में ना लटका रह जाये।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने स्कॉर्पियो कार विस्फोटक मामले की जांच एनआईए से कराने को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। ठाकरे का कहना है कि केंद्र सरकार इस मामले में कुछ छिपाना चाहती है यही कारण है कि इस मामले की जांच बगैर महाराष्ट्र सरकार की अनुमति से एनआईए को सौंप दी है। इससे साफ जाहिर होता है कि केंद्र सरकार की मंशा क्या है।
ठाकरे ने यह भी कहा कि भले ही एनआईए इस मामले की जाँच कर ले, लेकिन उनकी जाँच एजेंसियां भी इस मामले का पता लगाने की हर संभव कोशिश करेंगी कि आखिरकार स्कॉर्पियो कार में जिलेटिन की छड़ों को किसने रखा था और इसकी साजिश के पीछे कौन था। उद्धव ठाकरे ने साथ ही यह भी कहा कि सिलवासा के सांसद मोहन डेलकर आत्महत्या मामले में महाराष्ट्र सरकार किसी भी दोषी को नहीं छोड़ेगी, भले ही अभियुक्त कितना भी बड़ा क्यों ना हो। उद्धव का इशारा बीजेपी के बड़े नेता और दादरा नगर हवेली के एडमिनिस्ट्रेटर प्रफुल पटेल की तरफ था।