नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. ओली ने आरोप लगाया है कि भारत सरकार, भारतीय दूतावास द्वारा उन्हें पद से हटाने की कोशिश की जा रही है। बताया गया है कि ओली के कुछ हालिया क़दमों के कारण उनका अपनी कम्युनिस्ट पार्टी में ही विरोध हो रहा है।
ओली ने रविवार को कहा कि नेपाल का नया राजनीतिक नक्शा पास करने के बाद से ही उन्हें कुर्सी से हटाने की साज़िश रची जा रही है। ग़ौरतलब है कि इस नक्शे में कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को नेपाल ने अपना हिस्सा बताया है। ओली कई मौक़ों पर कह चुके हैं कि नेपाल किसी भी क़ीमत पर इन हिस्सों को हासिल करेगा।
नेपाली अख़बार काठमांडू पोस्ट के मुताबिक़ ओली ने कहा, ‘नई दिल्ली से मीडिया में आ रही ख़बरों, दूतावास की गतिविधियों और काठमांडू के होटलों में हो रही बैठकों को देखकर यह समझना मुश्किल नहीं है कि किस तरह लोग मुझे हटाने के लिए खुलकर सक्रिय हो चुके हैं लेकिन वे सफल नहीं होंगे।’
भारत की ओर से ओली की इस टिप्पणी पर किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं की गई है। ओली के हालिया क़दमों से कम्युनिस्ट पार्टी में उनके प्रतिद्वंद्वी और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने उनके ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है।
भारत विरोधी क़दम उठा रहा नेपाल
राजनीतिक नक्शे को पास करने के अलावा भी नेपाल ने भारत विरोधी दो क़दम उठाए हैं। हाल ही में उसने एक क़ानून पारित किया है जिसके तहत विदेशी महिलाओं को नेपाली पुरूषों से शादी करने के 7 साल बाद वहां की नागरिकता मिलेगी। नेपाल के इस क़दम को इसलिए भारत विरोधी माना जा रहा है क्योंकि दोनों देशों के बीच शादी-विवाह ख़ूब होते हैं।
एक और मामले में नेपाल ने अड़ियल रूख़ दिखाते हए बिहार में गंडक नदी के बांध की मरम्मत के काम के लिए अनुमति नहीं दी थी।
जब ओली पहली बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने थे, तब नेपाल की ओर से 2015-16 में भारत पर आर्थिक नाकेबंदी करने का आरोप लगाया गया था।
नेपाल के इन हालिया क़दमों को देखकर सवाल उठा था कि क्या वह चीन के इशारे पर ऐसा कर रहा है। क्योंकि नेपाल के सीमांत इलाक़े के नजदीक भारत ने लिपुलेख के रास्ते कैलाश मानसरोवर तक जाने के लिए 80 किलोमीटर का सड़क मार्ग बनाया है। इस सड़क मार्ग के उद्घाटन के बाद से ही नेपाल लगातार भारत विरोधी बयान दे रहा है। इसी मुद्दे पर देखिए, वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का इंटरव्यू।
यह मार्ग चीन को भी खटक रहा है क्योंकि इससे भारत को सामरिक लाभ होगा। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चीन, नेपाल-भारत के रिश्तों में सड़क मार्ग के उद्घाटन के बाद पैदा हुई खटास का लाभ उठाने की कोशिश में है।
भारतीय सेना प्रमुख एम.एम. नरवणे ने भी कहा है कि नेपाल के इन क़दमों के पीछे किसी तीसरे देश का हाथ हो सकता है।