बीजेपी की युवा शाखा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद तेजस्वी सूर्या के चाचा पर बेहद गंभीर आरोप लगे हैं। सूर्या के चाचा बीजेपी के विधायक भी हैं और उनका नाम रवि सुब्रमण्य है। आरोप है कि बेंगलुरू के एक निजी अस्पताल में कोरोना की हर वैक्सीन में से 700 रुपये सूर्या के चाचा को जाते हैं जबकि वैक्सीन की कुल क़ीमत 900 रुपये है। ये बातें कुछ वायरल ऑडियो से सामने आई हैं।
कांग्रेस ने कहा है कि सूर्या के विधायक चाचा के ख़िलाफ़ कोरोना वैक्सीन के लिए रिश्वत मांगने के अपराध में मुक़दमा दर्ज होना चाहिए।
एक ऑडियो में वेंकटेश नाम का सामाजिक कार्यकर्ता पूछता है कि हर वैक्सीन के लिए 900 रुपये क्यों लिए जा रहे हैं, इस पर दूसरी ओर से आवाज़ आती है कि अस्पताल को 700 रुपये विधायक रवि सुब्रमण्य को देने पड़ते हैं और रवि सुब्रमण्य ने ही इस अस्पताल के लिए वैक्सीन का इंतजाम किया है।
बताया जा रहा है कि यह बात कहने वाला दूसरा शख़्स दक्षिण बेंगलुरू में स्थित वसावी नाम के अस्पताल के स्टाफ़ का सदस्य है। रवि सुब्रमण्य बसवनगुडी सीट से विधायक हैं।
सूर्या ने किया था प्रचार
यहां बड़ी बात यह है कि तेजस्वी सूर्या ने इसी अस्पताल में वैक्सीन लगाने के अभियान का प्रचार किया था। सूर्या ने 25 मई को ट्वीट कर कहा था, “वसावी अस्पताल की ओर से दक्षिण बेंगलुरू के लिए टीकाकरण अभियान शुरू किया जा रहा है। पहले चरण में 18 से ऊपर की उम्र वालों के लिए कोविशील्ड की 15 हज़ार डोज हैं और इसके लिए पहले रजिस्ट्रेशन कराना होगा।”
विधायक ने बताया झूठा
लेकिन विधायक रवि सुब्रमण्य ने इन आरोपों को झूठा बताया है और कहा है कि यह उनके ख़िलाफ़ की जा रही राजनातिक साज़िश का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि शर्म आती है कि कुछ फालतू लोग ऐसे वक़्त में इस तरह के गुनाहों में शामिल हैं जब दुनिया कोरोना महामारी के दौरान एक-दूसरे की मदद कर रही है।
विधायक ने इस अस्पताल का दौरा भी किया है और वहां के स्टाफ़ को लताड़ लगाई है कि वह उनका नाम ख़राब कर रहा है। विधायक का कहना है कि वह बृहत बेंगलुरू महानगर पालिका के साथ मिलकर अपने निर्वाचन क्षेत्र के फ्रंटलाइन वर्कर्स के टीकाकरण का काम कर रहे हैं।
विधायक ने कहा है कि वह ऐसे शख़्स के ख़िलाफ़ आपराधिक मुक़दमा दर्ज कराएंगे जिसने झूठा दावा किया है कि वह वैक्सीन की सप्लाई कर रहे थे। दूसरी ओर, अस्पताल ने भी एक बयान जारी कर कहा है कि विधायक का टीकाकरण अभियान से कोई लेना-देना नहीं है।
तेजस्वी सूर्या बीते दिनों तब विवादों में आए थे जब उन्होंने अपने चाचा और दो अन्य विधायकों सतीश रेड्डी और उदय गरुड़ाचर के साथ दक्षिण बेंगलुरू के एक कोरोना वॉर रूम में छापा मारा था। यहां पर सूर्या ने 17 मुसलिमों के नाम लिए थे और बिस्तर घोटाले को लेकर सफाई मांगी थी। इस मामले में सूर्या पर सांप्रदायिक राजनीति करने का आरोप लगा था।
नफ़रती बयान दिए
सूर्या को मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रती बयान देने के लिए जाना जाता है। सूर्या के एक ट्वीट पर अरब जगत ने नाराजगी जताई थी। सूर्या ने पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक तारेक फतेह के हवाले से अरब की महिलाओं के यौन जीवन पर बेहद ही बेहूदा टिप्पणी की थी।
पारंपरिक रूप से भारत के मित्र माने जाने वाले देश संयुक्त अरब अमीरात ने आधिकारिक रूप से इस ट्वीट पर विरोध जताया था और स्थिति इतनी बिगड़ गई थी कि यूएई में भारत के राजदूत पवन कपूर को सफ़ाई देनी पड़ी थी।
तेजस्वी सूर्या ने सीएए-एनआरसी के मुद्दे पर दिल्ली के शाहीन बाग में महिलाओं के प्रदर्शन को लेकर कहा था कि यदि बहुमत समुदाय चौकन्ना नहीं रहा तो 'मुग़ल राज' लौट आएगा। एक और ट्वीट में सूर्या ने कहा था कि आतंकवादियों का निश्चित रूप से धर्म होता है और ज़्यादातर मामलों में वह इसलाम होता है। इसके अलावा भी कई बार वह मुसलमानों के ख़िलाफ़ बेहद आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल कर चुके हैं।
हाल में हुए ग्रेटर हैदराबाद के नगर निगम चुनाव में उन्होंने एआईएमआईएम सांसद असदउद्दीन ओवैसी को पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना का अवतार बताया था।