राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री अशोक चांदना ने इस्तीफे की पेशकश की है। चांदना ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उन्हें जलालत भरे मंत्री पद से मुक्त कर दें और उनके विभागों का चार्ज कुलदीप रांका को दे दें।
कुलदीप रांका गहलोत सरकार में प्रिंसिपल सेक्रेटरी के पद पर हैं जबकि अशोक चांदना के पास खेल और युवा मामलों का मंत्रालय है।
कैबिनेट मंत्री के इस ट्वीट के बाद साफ है कि राजस्थान सरकार व कांग्रेस में आने वाले दिनों में असंतोष बढ़ सकता है।
अशोक चांदना की नाराजगी इसलिए भी अहम है क्योंकि उन्हें अशोक गहलोत गुट का मंत्री माना जाता है।
अशोक चांदना के इस ट्वीट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने ट्वीट कर टिप्पणी की है। बता दें कि आचार्य प्रमोद कृष्णम युवा नेता सचिन पायलट को राज्य का मुख्यमंत्री बनाए जाने की पैरवी करते रहे हैं।
तीसरी घटना
एक हफ्ते के अंदर ही यह तीसरी घटना है जब कांग्रेस के किसी विधायक या मंत्री ने अपनी सरकार पर निशाना साधा है। कुछ दिन पहले राजस्थान युवक कांग्रेस के अध्यक्ष और डूंगरपुर के विधायक गणेश घोघरा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपना इस्तीफा भेज दिया था। घोघरा ने इस्तीफ़ा उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर के विरोध में दिया था। घोघरा ने एक सरकारी अफसर को आदिवासियों की समस्याएं हल न होने के लिए डांटा था।
इसी तरह कांग्रेस के एक और विधायक राजेंद्र सिंह बिधूड़ी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर विधायकों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया था।
विधायकों की नाराजगी की खबरें तब सामने आ रही हैं जब राज्यसभा के चुनाव बिल्कुल नजदीक हैं। राजस्थान में सरकार होने की वजह से कांग्रेस यहां से अपने कुछ नेताओं को राज्यसभा भेज सकती है लेकिन विधायकों की नाराजगी के कारण उसकी मुश्किलें बढ़ रही हैं।
नेतृत्व परिवर्तन की मांग
बता दें कि राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा बीते कुछ महीनों में एक बार फिर तेज हुई है। राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट कुछ दिन पहले कांग्रेस हाईकमान से मिले थे और उन्होंने जल्द से जल्द नेतृत्व परिवर्तन की मांग की थी। कांग्रेस को इस बात का डर है कि गहलोत को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाने पर कहीं विधायकों में भगदड़ न मच जाए और यह अगले साल होने वाले चुनाव में सत्ता से उसकी विदाई की वजह न बन जाए।
लेकिन सचिन पायलट और उनके समर्थक राज्य में लगातार नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठा रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए राजस्थान के मामले को सुलझाना बेहद मुश्किल हो रहा है क्योंकि गहलोत और पायलट गुट आमने-सामने हैं।