उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बीएसपी प्रमुख मायावती ने कहा है कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में उनकी पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी। उन्होंने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया था कि वह असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी। उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं।
मायावती ने आज कहा कि मीडिया के एक न्यूज चैनल में कल से यह जो ख़बर प्रसारित की जा रही है कि यूपी में आगामी विधानसभा चुनाव औवेसी की पार्टी एआईएमआईएम व बीएसपी मिलकर लड़ेगी, वह ख़बर पूरी तरह ग़लत, भ्रामक और तथ्यहीन है। उन्होंने साफ़ किया कि पंजाब को छोड़कर सभी जगहों पर उनकी पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी।
मायावती का यह फ़ैसला राज्य में हाल ही में संपन्न पंचायत चुनावों में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद आया है। पंचायत चुनावों में बसपा का प्रदर्शन ख़राब रहा और वह बीजेपी व सपा के बाद तीसरे स्थान पर रही। इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी और सपा ने साथ चुनाव लड़ा था लेकिन उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था।
हाल ही में कुछ ऐसा ही संकेत सपा के अखिलेश यादव ने भी दिया है कि उनकी पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने से इनकार कर दिया है। हालाँकि, ख़बरें तो ऐसी आ रही हैं कि वह छोटे-छोटे संगठनों के साथ संपर्क में हैं।
बता दें कि क़रीब पखवाड़े भर पहले बीएसपी के 9 विधायकों ने एसपी मुखिया अखिलेश यादव से मुलाक़ात की थी। हालाँकि ये सभी विधायक बीएसपी से निलंबित हैं। पहले से ही इन विधायकों का एसपी में शामिल होना तय माना जा रहा था।
बहरहाल, मायावती ने साफ़ कहा है कि उनकी पार्टी ने केवल अगले साल होने वाले पंजाब चुनावों के लिए शिरोमणि अकाली दल के साथ राजनीतिक गठजोड़ की घोषणा की है। दोनों दलों ने राज्य में 25 सालों के बाद गठबंधन की घोषणा की है। इससे पहले 1996 में दोनों दलों ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था जिसमें उन्होंने 13 सीटों में से 11 पर कब्जा जमाया था।
बता दें कि पंजाब में बीएसपी और शिरोमणि अकाली दल ने 117 सदस्यीय विधानसभा में सीट बंटवारे के समझौते को भी अंतिम रूप दे दिया है। अकाली दल 97 सीटों पर और बसपा 20 पर चुनाव लड़ेगी।
बसपा प्रमुख मायावती ने गठबंधन को 'नई राजनीतिक और सामाजिक पहल' के रूप में क़रार दिया है, जो पंजाब में प्रगति और समृद्धि की शुरुआत करेगा।