उत्तर प्रदेश जैसे विशालकाय सूबे की चार बार मुख्यमंत्री रहीं मायावती ने सोमवार को एलान किया है कि उनकी पार्टी बीएसपी उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव अकेले दम पर लड़ेगी। उत्तर प्रदेश में अगले साल फ़रवरी में विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसे में ज़्यादा वक़्त नहीं बचा है। बीएसपी के संस्थापक रहे कांशीराम की 72वीं जयंती के मौक़े पर मायावती ने चुनाव में अकेले जाने का एलान किया।
मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेन्स में यह भी कहा कि बीएसपी चुनावी राज्यों पश्चिम बंगाल, केरल, पुडुचेरी और तमिलनाडु में भी अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि बीएसपी ही दलितों, वंचितों, आदिवासियों, पिछड़ों और मुसलिमों का जीवन बेहतर बना सकती है।
मायावती ने बीते कुछ हफ़्तों में उत्तर प्रदेश में बीएसपी के संगठन को चुस्त-दुरुस्त किया है और कार्यकर्ताओं को पूरी ताक़त के साथ चुनाव की तैयारियों में जुटने के निर्देश दिए हैं।
देश में दलितों की सबसे बड़ी नेता मानी जाने वालीं मायावती ने कृषि क़ानूनों को लेकर किसानों का समर्थन करते हुए कहा कि जब किसान इन क़ानूनों के पक्ष में नहीं हैं तो केंद्र सरकार को इन्हें वापस ले लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि बीएसपी कांशीराम के मिशन को पूरा करने में जुटी है।
मायावती ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अपनी धुर विरोधी एसपी और राष्ट्रीय लोकदल से गठबंधन किया था लेकिन चुनाव के कुछ दिनों बाद उन्होंने बीएससी के गठबंधन से बाहर जाने का एलान किया था।
बीजेपी के प्रति नरमी का आरोप
उत्तर भारत में दलितों की आवाज़ बनकर उभरीं मायावती पर ये आरोप लग चुके हैं कि वह बीजेपी के प्रति नरम हैं। लेकिन मायावती वक़्त-वक़्त पर बीजेपी और मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करती रही हैं।
बीते साल मायावती ने एक बयान देकर लोगों को तब हैरान कर दिया था जब उन्होंने कहा था कि विधान परिषद के चुनाव में एसपी को हराने के लिए बीएसपी पूरी ताक़त लगा देगी और इसके लिए चाहे तो बीजेपी व किसी और को भी वोट क्यों न देना पड़ जाए।
मायावती ने गेस्ट हाउस कांड के केस को वापस लेने के फ़ैसले को ग़लत बताया था और यह भी कहा था कि एसपी के साथ 2019 में चुनावी गठबंधन करके हमने ग़लत फ़ैसला किया।
मायावती ने कहा था, ‘बीजेपी और बीएसपी का भविष्य में कभी भी गठबंधन संभव नहीं है। ऐसी सांप्रदायिक पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का सवाल ही नहीं पैदा होता।’
बीएसपी में हुई थी बग़ावत
बीते साल अक्टूबर में राज्यसभा चुनाव के दौरान बीएसपी के सात विधायकों ने बग़ावत कर दी थी और एसपी प्रमुख अखिलेश यादव से मिलने चले गए थे। इन विधायकों में असलम राइनी, असलम अली, मुजतबा सिद्दीकी, हरगोविंद भार्गव, सुषमा पटेल, वंदना सिंह और हाकिम लाल बिंद थे। मायावती ने हरक़त में आते हुए इन सभी विधायकों को निलंबित कर दिया था।
प्रियंका अखिलेश भी जुटे
दूसरी ओर, एसपी प्रमुख अखिलेश यादव भी राज्य भर में कार्यकर्ताओं के बीच पहुंच रहे हैं और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी किसान महापंचायतों के जरिये कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर रही हैं। पूर्व कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर, एआईएमआईएम प्रमुख असदउद्दीन ओवैसी, भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव भी लगातार चुनावी तैयारियों में जुटे हुए हैं।