मणिपुर के विधानसभा चुनाव में क्या बीजेपी किसी नेता को मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बनाएगी। इसे लेकर पार्टी की राज्य इकाई के भीतर तमाम तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। यह चर्चाएं इसलिए शुरू हुई हैं क्योंकि बीजेपी हाईकमान इस मामले में पूरी तरह खामोश है। मणिपुर में दो चरणों में 28 फरवरी और 5 मार्च को मतदान होना है।
मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इस बारे में हिंदुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा था कि पार्टी नेतृत्व ही इसे लेकर कोई फैसला करेगा।
बीरेन सिंह 2017 के विधानसभा चुनाव से चंद महीने पहले ही कांग्रेस से बीजेपी में आए थे और 5 साल तक किसी तरह गठबंधन की सरकार चलाते रहे।
इस बार आसार कम
इस बारे में आरएसएस के एक पदाधिकारी ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि 2017 में बीजेपी को बीरेन सिंह की जरूरत थी क्योंकि कांग्रेस में उनके संपर्क थे और उन्होंने राज्य में पहली बार बीजेपी की सरकार 5 साल तक चलाने में मदद भी की। लेकिन अगर इस बार बीजेपी को अपने दम पर बहुमत मिल जाता है तो ऐसा हो सकता है कि बीरेन सिंह को मुख्यमंत्री के पद पर ना चुना जाए।
हुआ था जबरदस्त बवाल
बीरेन सिंह को मुख्यमंत्री का चेहरा ना बनाने के कारण उनके समर्थकों को झटका लगा है। कुछ दिन पहले जब मणिपुर बीजेपी ने उम्मीदवारों की सूची जारी की थी तो उसके बाद पार्टी की राज्य इकाई में जबरदस्त बवाल हुआ था और यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री के पुतले भी फूंके गए थे।
बीरेन सिंह को चुनौती
बीरेन सिंह को सबसे बड़ी चुनौती कैबिनेट मंत्री विश्वजीत से मिल रही है। विश्वजीत के पास राज्य सरकार के 6 विभाग हैं और उन्हें मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शुमार किया जाता रहा है। इन दोनों के बीच राजनीतिक लड़ाई मणिपुर में साफ दिखती रही है।
विश्वजीत के समर्थक दो बार बीजेपी हाईकमान के पास गुहार भी लगा चुके हैं कि बीरेन सिंह को मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया जाए। लेकिन पार्टी हाईकमान ने तब जैसे-तैसे मामले को शांत करा दिया था।
गोविंदास कौनथुजाम
विश्वजीत के अलावा दूसरा नाम गोविंदास कौनथुजाम का है। गोविंदास मणिपुर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं और पिछले साल उन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का हाथ थाम लिया था। हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक गोविंदास इस लड़ाई में बीरेन सिंह और विश्वजीत से आगे निकल सकते हैं क्योंकि उन्हें आरएसएस का भी समर्थन हासिल है।
बीजेपी इस बात को जानती है कि इन तीनों नेताओं में से किसी को भी अगर चेहरा घोषित किया गया तो बाकी नेताओं के समर्थक बग़ावत पर उतर जाएंगे और पार्टी के लिए चुनाव के मौक़े पर बड़ी मुश्किल खड़ी हो जाएगी।
बीजेपी ने इस बार अपने कार्यकर्ताओं के बजाय कांग्रेस से आए लोगों को बड़ी संख्या में टिकट दिया है और इस वजह से पार्टी को राज्य के विधानसभा चुनाव में नुकसान हो सकता है। मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा, इसे लेकर पार्टी कुछ तय नहीं कर पाई है और इससे भी उसके चुनाव में प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है।
2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 60 सीटों वाले मणिपुर में 21 सीटों पर जीत मिली थी और कांग्रेस को 28 सीटों पर। लेकिन बीजेपी ने राज्य के छोटे दलों जैसे नेशनल पीपल्स पार्टी और नागा पीपल्स फ्रंट के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। उसने कांग्रेस के भी कुछ विधायकों को तोड़ लिया था।