राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि सीबीआई ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव से एक पुराने मामले में पूछताछ की अनुमति सरकार से माँगी है। यह मामला लंबे समय से दबा पड़ा था। लेकिन मैनपुरी लोक सभा के उपचुनाव में शिवपाल ने खुलकर समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार डिम्पल यादव का समर्थन करना शुरू किया तो सीबीआई को इस मामले की याद आ गयी। डिंपल, अखिलेश यादव की पत्नी हैं और अपने ससुर मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई मैनपुरी सीट से लोकसभा का उप चुनाव लड़ रही हैं।
शिवपाल और अखिलेश यादव के बीच रूठने और मनाने का खेल 2012 में अखिलेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद ही शुरू हो गया था। मामला यहाँ तक बढ़ा कि शिवपाल ने अपनी अलग पार्टी बना ली।
लेकिन 2022 का विधानसभा चुनाव वे सपा के टिकट पर ही लड़े और जीते। शिवपाल और अखिलेश के झगड़े का सीधा फायदा बीजेपी को ही मिल रहा था इसलिए योगी सरकार शिवपाल पर लगे आरोपों पर चुप बैठी रही। लेकिन शिवपाल ने मैनपुरी में डिम्पल यादव के समर्थन में खुलकर प्रचार शुरू किया तो सरकार को एक पुराने मामले की याद आ गयी।
क्या है मामला?
2012 से 2017 के बीच लखनऊ में गोमती रिवर फ़्रंट के विकास के लिए अखिलेश सरकार ने 1513 करोड़ की एक योजना शुरू की थी। सपा सरकार में शिवपाल सिंचाई मंत्री थे। उनके कार्यकाल में 1437 करोड़ रुपए इस योजना में ख़र्च किए गए थे। इस तरह से क़रीब 95 प्रतिशत पैसा ख़र्च हो गया लेकिन काम सिर्फ़ 60 प्रतिशत ही पूरा हुआ। 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले से ही बीजेपी इस काम में भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही थी।
योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद इसकी न्यायिक जाँच शुरू करा दी। इस जाँच में नियमों के उल्लंघन के कई मामले सामने आने के बाद जाँच और आगे की कार्रवाई सीबीआई को सौंप दी गयी। इस जाँच में पता चला कि टेंडर की शर्तों में चुप चाप बदलाव करके एक ख़ास कंपनी को फ़ायदा पहुँचाया गया। न्यायिक जाँच में परियोजना से जुड़े कई इंजीनियरों पर घोटाले का आरोप लगा। गिरफ़्तारी भी हुई।
सीबीआई बहुत सुस्ती से इस मामले की जाँच कर रही थी। 2017 में सपा की हार के बाद शिवपाल बग़ावती तेवर दिखाने लगे थे। इस दौरान सरकार शिवपाल पर चुप रही और जाँच इंजीनियरों तक सीमित रही। अब सीबीआई इस मामले में शिवपाल यादव और दो आईएएस अधिकारियों से पूछताछ करके पता करना चाहती है कि क्या इंजीनियरों को एक ख़ास कंपनी को फ़ायदा पहुँचाने के लिए आईएएस अधिकारियों या शिवपाल ने कोई मौखिक आदेश दिया था।
शिवपाल की सुरक्षा क्यों घटाई?
सपा का कहना है कि जब से शिवपाल, डिंपल के समर्थन में उतरे तब से बीजेपी और राज्य सरकार उनसे नाराज़ है और उन्हें परेशान किया जा रहा है। हाल में उत्तर प्रदेश सरकार ने शिवपाल की सुरक्षा को ज़ेड श्रेणी से घटा कर वाई श्रेणी कर दिया। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का कहना है कि शिवपाल को अपने भतीजे और सपा के गुंडों से ख़तरा था। अब शिवपाल और अखिलेश मिल चुके हैं इसलिए उन पर ख़तरा घट गया है। शिवपाल की सुरक्षा कम किया जाना भी राजनीतिक मुद्दा बन गया है।
अखिलेश का आरोप है कि सरकार ने शिवपाल को परेशान करने के लिए चुनाव प्रचार के दौरान उनकी सुरक्षा को कम कर दिया है। इस बीच मुख्यमंत्री योगी ने आरोप लगा दिया कि शिवपाल पेंडुलम की तरह हैं। उनके बचाव में अखिलेश ने कहा कि पेंडुलम समय की गति का प्रतीक है। बहरहाल, शिवपाल जब तक डिंपल के समर्थन में नहीं आए थे तब तक सरकार और सीबीआई सब चुप्पी साध कर बैठे थे।
शिवपाल मैनपुरी लोकसभा सीट की जसवंतनगर विधानसभा सीट से विधायक हैं। मैनपुरी लोकसभा सीट को मुलायम की पारिवारिक सीट माना जाता है। परिवार में समझौता और शिवपाल के समर्थन से डिंपल की स्थिति मज़बूत हुई है। बीजेपी के लिए ये सीट जीतना अब आसान नहीं लग रहा है। शिवपाल का इस क्षेत्र में खासा दबदबा बताया जाता है।