शरद पवार के भतीजे अजित पवार फिर से सुर्खियों में हैं। इस बार वह एनसीपी की बैठक को बीच में छोड़कर चले गए और उन्होंने अपना भाषण नहीं दिया। इसके बाद पवार परिवार में आपसी क़लह के कयास लगाए जाने लगे। इन सवालों के बाद अब अजित पवार ने सफ़ाई दी है। पत्रकारों के सवालों के जवाब में उन्होंने कहा, 'एनसीपी के राष्ट्रीय अधिवेशन में महाराष्ट्र के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने बात की क्योंकि ऐसे आयोजनों में केवल राष्ट्रपति बोलते हैं। मुझे बोलने से किसी ने नहीं रोका... मैं वॉशरूम गया - क्या मैं बाहर नहीं जा सकता?' इससे पहले 2019 में भी वह सुर्खियों में रहे थे जब उन्होंने रातोरात पाला बदलकर उप मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली थी और देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। तब महा विकास अघाडी सरकार बनाने के प्रयास अंतिम चरण में थे। उस पाला बदले जाने पर उनकी चचेरी बहन सुप्रिया सुले ने वॉट्सऐप पर स्टेटस लिखा था - 'किस पर भरोसा करें, जिसको इतना प्यार और सम्मान दिया वह भी ऐसा कर गया, पार्टी और परिवार दोनों टूट गए।’
बहरहाल, ताज़ा मामला थोड़ा अलग है। दिल्ली में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी का राष्ट्रीय सम्मेलन चल रहा है। इसमें पार्टी अध्यक्ष शरद पवार भी मौजूद थे। इसमें तब नाटकीय मोड़ आ गया जब उनके भतीजे और विपक्ष के नेता अजित पवार मंच से चले गए। यह वाकया तब हुआ जब महाराष्ट्र के अध्यक्ष जयंत पाटिल भाषण दे रहे थे।
अजित पवार के इस घटनाक्रम से मंच पर भी थोड़ी हलचल दिखी। एनसीपी सांसद प्रफुल पटेल ने मंच से कुछ घोषणा की और उनकी चचेरी बहन और सांसद सुप्रिया सुले भी अजित पवार से मंच पर वापस आने को लेकर कुछ बात करती हुई दिखीं।
एनसीपी सांसद प्रफुल्ल पटेल ने मंच पर घोषणा की थी कि अजित पवार शरद पवार की समापन टिप्पणी से पहले बोलेंगे लेकिन वह अपनी सीट से चले गए थे। बाद में प्रफुल्ल पटेल ने घोषणा की कि अजित पवार वॉशरूम में गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व उपमुख्यमंत्री के समर्थन में नारे लगाने वाले कार्यकर्ताओं के सामने भाषण के लिए अजित वापस आएंगे।
इस बीच, एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले को अजित पवार को मंच पर अपने भाषण के लिए वापस आने के लिए समझाते हुए देखा गया। लेकिन शरद पवार ने अपना समापन भाषण शुरू किया तब तक वे नहीं लौटे।
समझा जाता है कि यह घटनाक्रम अजित पवार के ग़ुस्से की वजह से हुआ है। उनकी नाराज़गी पार्टी के एक अन्य नेता जयंत पाटिल की वजह से मानी जाती है। जयंत पाटिल ने राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में अजित पवार की पदोन्नति पर खुले तौर पर अपना असंतोष व्यक्त किया था।
समझा जाता है कि पाटिल उस पद की चाह में थे और उन्होंने एनसीपी सुप्रीमो के सामने अपनी इच्छा भी जाहिर की थी।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार पाटिल इतने ग़ुस्से में थे कि वह अजित पवार की विपक्ष के नेता के रूप में नियुक्ति के लिए अध्यक्ष को पत्र जारी करने के लिए तैयार नहीं थे और राष्ट्रीय महासचिव प्रफुल्ल पटेल को इसके लिए उन्हें दो बार फोन करना पड़ा था।
अब इन्हीं घटनाक्रमों को लेकर पार्टी या कहें कि पवार परिवार में क़लह के कयास लगाए जा रहे हैं। ऐसे ही कयास तब लगाए जा रहे थे जब 2019 के चुनाव नतीजे आने के बाद शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस मिलकर सरकार बनाने के प्रयास में लगी थीं। तब अजित पवार ने अचानक से एक सुबह देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। फडणवीस ने मुख्यमंत्री और अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। तब यह कहा गया था कि अब पवार परिवार टूट जाएगा। लेकिन काफ़ी मशक्कत के बाद अजित पार्टी में वापस लौट आए और फिर महा विकास सरकार में उप मुख्यमंत्री के तौर पर शामिल भी हुए थे।