पुणे शहर कांग्रेस प्रमुख अरविंद शिंदे ने आरोप लगाया है कि उनका वोट किसी और ने डाल दिया। उन्होंने शिकायत की है कि जब वह सोमवार को रास्ता पेठ के सेंट मीरा इंग्लिश मीडियम स्कूल में मतदान केंद्र पर पहुंचे तो उनका नाम मतदाता सूची में तो था, लेकिन किसी ने पहले ही वोट डाल दिया था।
शिंदे ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि पता चलने के बाद उन्होंने इस पर आपत्ति जताई और बाद में उन्हें 'टेंडर वोट' प्रक्रिया का उपयोग करके मतदान करने की अनुमति दी गई।
टेंडर वोट मतपत्रों पर डाले जाते हैं और सील करके बंद कर दिए जाते हैं। ये वोट तभी उपयोगी होते हैं जब जीतने वाले उम्मीदवार और उपविजेता के बीच अंतर कम होता है। हालाँकि, यदि अंतर बड़ा हो तो टेंडर वोटों की गिनती नहीं की जाती है।
रिपोर्ट के अनुसार शिंदे ने अंग्रेज़ी अख़बार से कहा, 'मैं उस मतदान केंद्र पर अपना वोट डालने गया था जहां मेरा नाम पंजीकृत है। यह रास्ता पेठ में सेंट मीरा इंग्लिश मीडियम सेकेंडरी स्कूल में था। हालाँकि, मैंने इस पर आपत्ति जताई और मुझे टेंडर वोट डालने की अनुमति दी गई।'
टेंडर वोट वह वोट है जिसे मतपत्र पर डालने की अनुमति तब दी जाती है जब एक मतदाता को पता चलता है कि किसी ने पहले ही उसके नाम पर वोट दिया है और अधिकारी मतदाता की पहचान से पूरी तरह संतुष्ट हैं। मतदाता को मतदान केंद्र पर पीठासीन अधिकारी से संपर्क करना होगा और उनके सामने अपनी शिकायत करनी होगी। अपनी पहचान के बारे में पीठासीन अधिकारी के सवालों का संतोषजनक जवाब देने पर मतदाता को टेंडर वोट डालने की अनुमति दी जाएगी।
वैसे, देश के दूसरे हिस्सों में कई जगहों पर ईवीएम को लेकर भी शिकायतें मिली हैं। यूपी के लखीमपुर खीरी में एक मतदान केंद्र पर गड़बड़ी का आरोप लगाया गया है। कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी ने एक वीडियो साझा करते हुए आरोप लगाया है, 'प्रिय केंद्रीय चुनाव आयोग, आप अगर जाग गये हों तो लखीमपुर खीरी से आ रही ईवीएम की ये शिकायत सुनें। जनता कह रही है कि बटन कोई और दबाया, पर्ची कमल की निकली।'
खीरी लोकसभा सीट के कई और हिस्सों से ईवीएम को लेकर शिकायतें आईं। नगर पालिका मॉडल बूथ पर तकनीकी खराबी की वजह से दो घंटे तक मतदान नहीं हो पाया। लोग बूथ नंबर 183 पर लाइन लगाकर खड़े रहे। गुरु नानक कॉलेज में बूथ संख्या 275 पर 15 मिनट बाद शुरू हुआ मतदान। यहां भी ईवीएम में समस्या आई।