मुंबई: होर्डिंग मालिक बलात्कार आरोपी, बिलबोर्ड के लिए 21 बार जुर्माना

04:39 pm May 14, 2024 | सत्य ब्यूरो

मुंबई में अवैध होर्डिंग का मालिक काफी लंबे समय से सवालों के घेरे में रहा है। इसी साल उसके ख़िलाफ़ बलात्कार का मामला दर्ज किया गया था। इतना ही नहीं, उनके ख़िलाफ़ अवैध होर्डिंग के दर्जनों मामले हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, इसके लिए उन पर कम से कम 21 बार जुर्माना लगाया जा चुका है।

होर्डिंग के मालिक का नाम तब सामने आया जब सोमवार को मुंबई के घाटकोपर इलाके में पेट्रोल पंप पर तेज़ हवाओं और बारिश के कारण बड़ा होर्डिंग गिर गया। इससे अब तक 14 लोगों की मौत हो गई है। 

पंत नगर पुलिस ने सोमवार रात को एगो मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक भावेश प्रभुदास भिंडे के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। आरोप है कि इनके पास ही 10 साल की लीज पर होर्डिंग का ठेका था।

वैसे, इस होर्डिंग को अवैध बताया गया है। पंत नगर में पेट्रोल पंप के बगल में होर्डिंग के लिए 40 x 40 फीट की मंजूरी थी। लेकिन आरोप है कि इसके मुकाबले 120 x 120 फीट का होर्डिंग लगाया गया। बीएमसी प्रमुख भूषण गगरानी ने भी कहा कि घाटकोपर होर्डिंग अवैध था क्योंकि नागरिक निकाय ने इसे लगाने की अनुमति नहीं दी थी। उन्होंने कहा कि बीएमसी एक साल से होर्डिंग्स लगाने पर आपत्ति जता रही थी।

वैसे, भावेश प्रभुदास भिंडे कई मामलों में पहले से ही आरोपी हैं और उनको लेकर गंभीर सवाल उठते रहे हैं। द इंडियन एक्सप्रेस ने अदालत के दस्तावेजों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि भिंडे के खिलाफ इस साल 24 जनवरी को मुलुंड पुलिस स्टेशन में बलात्कार और छेड़छाड़ का मामला दर्ज किया गया था। बाद में उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा अग्रिम जमानत दे दी गई। 

अंग्रेजी अख़बार ने मुलुंड पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक अजय जोशी के हवाले से कहा है, 'उनके खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज किया गया था। मामले में पहले ही आरोप पत्र दायर किया जा चुका है।'

भिंडे ने 2009 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। तब उन्होंने घोषणा की थी कि 21 मामलों में उन पर बिना अनुमति के बैनर लगाने के लिए जुर्माना लगाया गया था और दो मामले चेक बाउंस से जुड़े थे।

मुंबई होर्डिंग ढहने की घटना के संबंध में सोमवार रात पंत नगर पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ दर्ज ताज़ा एफआईआर में उन पर धारा 304 यानी गैर इरादतन हत्या, 338 यानी गंभीर चोट पहुंचाना, 337 यानी लापरवाही से चोट पहुंचाना और आईपीसी की धारा 34 के तहत आरोप लगाए गए थे।