महाराष्ट्र: MLC चुनाव में बीजेपी और आघाडी को मिली 5-5 सीटें 

07:43 am Jun 21, 2022 | सोमदत्त शर्मा

महाराष्ट्र में 10 सीटों पर हुए विधान परिषद के चुनाव में बीजेपी ने एक बार फिर से महा विकास आघाडी सरकार को पटखनी देकर 5 सीटें जीत ली हैं। हालांकि एनसीपी और शिवसेना के दो-दो उम्मीदवार चुनाव जीत गए, लेकिन दसवीं सीट को जीतने के लिए कांग्रेस के ही दो उम्मीदवार आमने-सामने आ गए। 

आखिर में मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष भाई जगताप ने अपनी ही पार्टी के नेता चंद्रकांत हंडोरे को हरा दिया। 

विधान परिषद के चुनाव में महा विकास आघाडी सरकार में फूट देखने को मिली। सूत्रों के अनुसार शिवसेना और कांग्रेस के विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की जिसका फायदा बीजेपी को मिला और उसके सभी उम्मीदवार चुनाव जीत गए।

राज्यसभा चुनाव में मिली हार के बाद एमएलसी चुनाव में भी महा विकास आघाडी सरकार को हार का सामना करना पड़ा है। 

केंद्रीय चुनाव आयोग पहुंचा मामला

288 विधानसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में कुल 285 विधायकों ने मतदान किया। आंकड़ों के हिसाब से सभी उम्मीदवारों को चुनाव जीतने के लिए कम से कम 26 वोटों की जरूरत थी। चुनाव के बाद काउंटिंग के समय उस समय पेंच फंस गया जब कांग्रेस ने बीजेपी के 2 विधायकों के वोटों को निरस्त करने के लिए केंद्रीय चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटा दिया। 2 घंटे की देरी से शुरू हुई मतगणना में 4 घंटे से भी ज्यादा का समय लगा। 

शुरुआत के 8 उम्मीदवार पहली पसंद में मिले वोटों के आधार पर ही जीत गए लेकिन आखिर की 2 सीटों के लिए बीजेपी के प्रसाद लाड और कांग्रेस के दोनों उम्मीदवार चंद्रकांत हंडोरे और भाई जगताप के बीच मुकाबला फंस गया। 

पहली पसंद के तौर पर मिले मतों के अनुसार बीजेपी के राम शिंदे, श्रीकांत भारतीय, उमा खापरे और प्रवीण दरेकर ने 26- 26 वोट हासिल करके जीत हासिल कर ली। शिवसेना की तरफ से सचिन अहीर और आमशा पडवी ने भी 26-26 वोट लेकर जीत हासिल की। एनसीपी की तरफ से भी रामराजे निंबालकर और एकनाथ खडसे पहली पसंद के उम्मीदवार के तौर पर जीतकर सामने आए। 

पहली पसंद के लिए कांग्रेस के दोनों उम्मीदवारों चंद्रकांत हंडोरे और भाई जगताप में से किसी को भी बहुमत के आंकड़े के वोट नहीं मिले जिसके चलते दोनों उम्मीदवारों में से किसी भी उम्मीदवार की जीत और हार का फैसला नहीं हो सका। उधर, बीजेपी के प्रसाद लाड को भी पहली पसंद के तौर पर निर्धारित वोट नहीं मिल पाए जिसकी वजह से दूसरी पसंद के वोटों की गिनती करनी पड़ी। 

कांग्रेस के चंद्रकांत हंडोरे को पहली पसंद के तौर पर ज्यादा वोट मिले लेकिन जैसे ही दूसरी पसंद के वोटों की गिनती शुरू हुई तो चंद्रकांत हंडोरे पिछड़ गए और बाजी मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष भाई जगताप ने मार ली। भाई जगताप को दूसरी पसंद के वोटों को मिलाकर कुल 26 वोट मिले और उन्होंने अपनी ही पार्टी के पहली पसंद के उम्मीदवार चंद्रकांत हंडोरे को हरा दिया। 

कांग्रेस के महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 44 विधायक हैं। जिनमें से 42 विधायकों ने चंद्रकांत हंडोरे और भाई जगताप को पहली पसंद के तौर पर वोट दिया। इससे साफ हो गया कि कांग्रेस के 2 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की और उसका खामियाजा चंद्रकांत हंडोरे को हार के रूप में उठाना पड़ा। चंद्रकांत हंडोरे को कुल 22 वोट मिले जबकि उन्हीं की पार्टी के भाई जगताप 26 वोट पाकर विधान परिषद का चुनाव जीत गए। 

शिवसेना में भी क्रॉस वोटिंग 

विधान परिषद के चुनाव में शिवसेना की कलई भी खुल गई। अगर आंकड़ों पर गौर किया जाए तो शिवसेना में भी क्रॉस वोटिंग हुई। शिवसेना के दोनों उम्मीदवारों को पहली पसंद के तौर पर 26-26 वोट मिलाकर कुल 52 वोट मिले जबकि शिवसेना के 55 विधायकों ने इस चुनाव में वोट किया था। इस हिसाब से 3 विधायकों ने शिवसेना के साथ गद्दारी करके दूसरे उम्मीदवार को वोट दे दिया। 

इससे जाहिर होता है कि नाराजगी के सुर ना केवल कांग्रेस में बल्कि शिवसेना में भी दिखाई दिए। हैरानी उस समय हुई जब एनसीपी को अपने कोटे से भी ज्यादा वोट पहली पसंद के तौर पर मिले। एनसीपी को कुल 6 वोट पहली पसंद के तौर पर और अधिक मिले।

बीजेपी ने विधान परिषद की 5 सीट पर चुनाव लड़ने का एलान किया था और उसे पांचों ही सीटों पर जीत हासिल हुई। 5 सीटें जीतने के बाद महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के बड़े नेता देवेंद्र फडणवीस ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि महा विकास आघाडी सरकार जनता का भरोसा खो चुकी है। यही कारण है कि उनके खुद के विधायकों ने उन्हें वोट ना देकर हमको वोट दिया।

फडणवीस ने कहा कि राज्यसभा चुनाव में बीजेपी को पहली पसंद के तौर पर 123 वोट मिले थे जबकि विधान परिषद के चुनाव में पहली पसंद के तौर पर 134 वोट मिले हैं। इससे यह साफ जाहिर होता है कि सरकार भले ही महा विकास आघाडी की चल रही हो लेकिन उनके खुद के विधायक बीजेपी को पसंद कर रहे हैं। 

पहले राज्यसभा चुनाव और उसके बाद अब विधान परिषद के चुनाव में मिली हार ने महा विकास अघाडी सरकार के अंदर असंतुलन पैदा कर दिया है। इन दोनों ही चुनावों में महा विकास आघाडी सरकार की तीनों पार्टियों में तालमेल देखने को नहीं मिला जिसका असर राज्य में चल रहे गठबंधन पर भी पड़ सकता है।