आर्यन ख़ान केस में अब नया मोड़ आ गया है। इस मामले में एक गवाह और खुद को केवी गोसावी का बॉडीगार्ड बताने वाले प्रभाकर सेल ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। सेल ने दावा किया है कि उसने '18 करोड़ के सौदे' की बात सुनी थी जिसमें से '8 करोड़ रुपये समीर वानखेड़े को दिए जाने' की बात कही जा रही थी। हालाँकि इन आरोपों को एनसीबी के अधिकारी समीर वानखेड़े ने खारिज किया है और कहा है कि वह इसका मुंहतोड़ जवाब देंगे। केपी गोसावी उर्फ किरन गोसावी वही शख्स है जो ख़ुद को प्राइवेट डिटेक्टिव बताता है और जो एनसीबी की हिरासत में आर्यन ख़ान के साथ सेल्फी को लेकर चर्चा में आया था। बाद में जब उस गोसावी के बारे में पता चला कि उसके ख़िलाफ़ पहले से ही कई मुक़दमे चल रहे हैं तो वह ग़ायब हो गया। उसके ख़िलाफ़ लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया है।
इस इस नये खुलासे से सवाल उठ रहा है कि क्या आर्यन ख़ान को करोड़ों रुपये का सौदा कर फँसाया गया? क्या इसके पीछे एक बड़ी साज़िश है? आख़िर इस केस में एनसीबी के गवाह ने ही ऐसे आरोप क्यों लगाए हैं जिससे इस पूरी कार्रवाई पर सवाल खड़े होते हैं?
भगोड़े केपी गोसावी के सहयोगी रहे प्रभाकर सेल ने आरोप लगाया है कि मुंबई क्रूज ड्रग्स मामले में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी एनसीबी द्वारा उन्हें एक खाली पंचनामे पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया था।
गोसावी क्रूज जहाज पर छापेमारी और ड्रग्स की कथित बरामदगी में नौ स्वतंत्र गवाहों में से एक है, जिसमें बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख ख़ान के बेटे आर्यन ख़ान को इस महीने की शुरुआत में गिरफ्तार किया गया था। सेल ने यह भी कहा कि केपी गोसावी के 'संदिग्ध रूप से लापता' होने के बाद उसे एनसीबी के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े से अपनी जान का ख़तरा महसूस हुआ। उसने कहा है कि यही वजह है कि उसने यह हलफनामा दायर किया है।
तहसीन पूनावाला ने ट्विटर पर प्रभाकर सेल के हलफनामे को साझा करते हुए ट्वीट में लिखा है, 'आर्यन ख़ान मामले में कुछ बेहद गंभीर और परेशान करने वाला तथ्य। इस मामले के गवाह प्रभाकर सेल ने हलफनामे में कहा है कि वह गोसावी के कहने पर येलो गेट पर पहुँचा था जहाँ 'गोसावी को यह कहते सुना था कि 8 करोड़ रुपये समीर वानखेड़े को देना है।'
हलफनामे में सेल का यह भी दावा है कि उसने गोसावी को यह कहते सुना कि 25 करोड़ रुपये की मांग करने का विचार था और आर्यन ख़ान को छोड़ने के लिए 18 करोड़ रुपये में समझौता करना था और उसमें से 8 करोड़ रुपये समीर वानखेड़े को दिए जाने थे।
इसको शेयर करते हुए विनोद कापड़ी ने लिखा है कि समीर वानखेड़े पर गंभीर आरोप लग रहे हैं और उन्हें तुरत सस्पेंड किया जाना चाहिए।
हलफनामे में प्रभाकर सेल ने कहा है कि वह उस नाटकीय घटनाओं का गवाह था जो क्रूज छापे के बाद सामने आई थी। उसने कहा कि वह छापे की रात गोसावी के साथ था और उन्हें पंचनामा के रूप में कोरे कागज पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया था। उसने यह भी कहा कि उन्हें छापेमारी में जब्ती की जानकारी नहीं है।
उसने हलफनामे में कहा कि उसने गोसावी और सैम नाम के एक शख्स को एनसीबी ऑफिस के पास मिलते देखा था। हालाँकि, इसमें यह साफ़ नहीं है कि सैम नाम का शख्स कौन है। प्रभाकर ने कहा कि छापेमारी के दौरान उसने बड़ी सावधानी से कुछ वीडियो और तसवीरें लीं। एक वीडियो में देखा जा सकता है कि गोसावी अपने फोन से आर्यन ख़ान की किसी से बात करा रहा है।
बता दें कि इस मामले में महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक लगातार एनसीबी के ज़ोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े और बीजेपी पर हमलावर हैं। उन्होंने हाल ही में वानखेड़े पर ये आरोप लगाए थे कि वह मालदीव और दुबई में गए थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि कहीं समीर वानखेड़े ने मालदीव में कुछ फ़िल्मी सितारों से कोई कार्रवाई नहीं करने के एवज में कोई वसूली तो नहीं की थी? वानखेड़े ने इन आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि वे मालदीव में तो छुट्टी मनाने गए थे लेकिन दुबई में नहीं गए थे।
आर्यन ख़ान के ख़िलाफ़ मामला उनके वाट्सऐप चैट पर आधारित है। आर्यन के पास से न तो कोई ड्रग्स मिला है और न ही मेडिकल जाँच में ड्रग्स के सेवन की पुष्टि हुई है। आर्यन को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी एनसीबी ने गिरफ्तार किया था और ज़मानत याचिका खारिज होने के बाद फ़िलहाल वह न्यायिक हिरासत में हैं। आर्यन ख़ान इन दिनों जेल में बंद हैं। विशेष एनडीपीएस अदालत ने आर्यन को जमानत देने से इनकार कर दिया है। इसके बाद आर्यन ने जमानत के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। हाई कोर्ट में इस मामले में मंगलवार यानी 26 अक्टूबर को सुनवाई होगी।