महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना के बीच सुलह न होती देख यह चर्चाएं जोरों पर थीं कि क्या कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन शिवसेना को समर्थन दे सकता है। लेकिन सियासी घमासान के बीच एक बड़ी ख़बर यह आ रही है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने शिवसेना को समर्थन देने से इनकार कर दिया है। एनडीटीवी में सूत्रों के हवाले से यह ख़बर दी गई है।
सोमवार शाम को ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने सोनिया गाँधी से मुलाक़ात की थी। माना जा रहा है कि इस बैठक में महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर चर्चा हुई है। बैठक से बाहर आने के बाद पवार ने बैठक में क्या बात हुई, इसे लेकर ज़्यादा कुछ नहीं कहा। पवार ने कहा कि भविष्य में उनकी सोनिया गाँधी के साथ एक और मुलाक़ात हो सकती है। इससे यह पता चलता है कि पवार-सोनिया की मुलाक़ात में शिवसेना को समर्थन देने को लेकर कोई सकारात्मक बात नहीं हुई है।
महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर चल रही सियासी कुश्ती में यह एक बड़ा सवाल बन गया है कि आख़िर सरकार कैसे बनेगी। चुनाव नतीजे आये 10 से ज़्यादा दिन हो चुके हैं लेकिन अब तक राज्य में सरकार गठन की तसवीर साफ़ नहीं हो सकी है। शिवसेना और बीजेपी के रिश्तों में तल्खियां बढ़ती जा रही हैं। इस बीच, बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाक़ात की है, वहीं दूसरी ओर शिवसेना नेता संजय राउत और रामदास कदम ने मुंबई में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाक़ात की है।
राज्यपाल से मुलाक़ात के बाद संजय राउत ने कहा कि गवर्नर से मौजूदा राजनीतिक हालात पर चर्चा हुई है। शिवसेना नेता ने कहा कि हम चाहते हैं कि महाराष्ट्र में सरकार बने लेकिन अगर सरकार नहीं बन पा रही है तो इसके लिए शिवसेना जिम्मेदार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के गठन में शिवसेना कहीं भी रोड़ा नहीं बन रही है।
महाराष्ट्र में चुनावी नतीजे आने के बाद से ही सरकार गठन को लेकर अनिश्चचितता का माहौल है। बीजेपी और शिवसेना ने चुनाव तो साथ मिलकर लड़ा लेकिन सरकार के गठन को लेकर दोनों दलों की बातें अलग-अलग हैं। शिवसेना जहाँ 50-50 के फ़ॉर्मूले के तहत महाराष्ट्र की सत्ता में समान भागीदारी और ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद का बंटवारा होने की बात कह रही है, वहीं बीजेपी किसी भी सूरत में मुख्यमंत्री पद का बंटवारा नहीं होने देना चाहती।
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे किसी शिवसैनिक को ही महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाने की बात कई बार कह चुके हैं और यह भी कह चुके हैं कि बीजेपी से जो तय हुआ है, वही चाहिए और इससे कम कुछ नहीं चाहिए। चुनाव नतीजे आने के बाद जब उद्धव ठाकरे ने पार्टी के विधायकों की बैठक बुलाई थी तो उसमें भी विधायकों ने यही माँग रखी थी कि आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने के लिए बीजेपी से लिखित आश्वासन लिया जाना चाहिए।