मुंबई सहित महाराष्ट्र के ब्लड बैंकों में ख़ून की कमी देखने को मिल रही है। महाराष्ट्र सरकार के साथ-साथ अब मुंबई के अस्पतालों ने भी लोगों से रक्तदान करने की अपील की है ताकि कोरोना काल में लोगों की जान बचाई जा सके। महाराष्ट्र के सबसे बड़े कैंसर अस्पताल टाटा मेमोरियल ने लोगों से जल्द से जल्द रक्तदान करने की अपील की है ताकि कैंसर पीड़ितों का जल्द इलाज हो सके।
जबसे कोरोना ने मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र में पैर पसारे हैं तभी से ख़ून का संकट बना हुआ है। कोरोना के चलते मुंबई सहित पूरे राज्य में रक्तदान शिविर नहीं लगाए जा रहे हैं जिसके चलते ख़ून का संकट बन गया है। मुंबई के बड़े-बड़े अस्पतालों में सिर्फ़ कुछ दिनों का ही ख़ून का स्टॉक बचा है। हालात ये हो गए हैं कि ख़ून के संकट से निपटने के लिए राज्य रक्त संक्रमण परिषद ने मुंबई के गणपति पंडालों को पत्र लिखकर रक्तदान शिविर लगाने की गुज़ारिश की है।
महाराष्ट्र के सबसे बड़े कैंसर अस्पताल टाटा मेमोरियल में कुल 4 से 5 दिनों का ब्लड का स्टॉक बचा है। हालात ये हो गए हैं कि अस्पताल में कैंसर मरीजों के होने वाले उपचार को ख़ून के अभाव में आगे के लिए टाला जा रहा है। टाटा मेमोरियल अस्पताल ने एक ट्वीट करते हुए लोगों से अपील की है कि वे ज़्यादा से ज़्यादा संख्या में रक्तदान करें एवं हाउसिंग सोसायटियों में रक्तदान शिविर लगाएँ।
टाटा मेमोरियल अस्पताल के संचालक डॉ. सी. एस. प्रमेश का कहना है कि मुंबई में बड़े पैमाने पर ख़ून की कमी हो गयी है। इसका असर अस्पताल में भर्ती उन मरीजों पर पड़ रहा है जिनकी जल्द सर्जरी होने वाली है। प्रमेश का कहना है कि इस संकट से निपटने का एक ही रास्ता है और वो है ब्लड डोनेशन। टाटा अस्पताल में मरीजों को बड़े पैमाने पर ख़ून की जरूरत पड़ती है। प्रमेश ने मुंबई के लोगों और सामाजिक संस्थाओं से अपील की है कि वे ब्लड डोनेशन का कैम्प आयोजित करें।
महाराष्ट्र के रक्त संक्रमण परिषद के सह संचालक डॉ. अरुण थोरात का कहना है कि कोरोना और वैक्सीनेशन की वजह से राज्य में ख़ून का संकट हुआ है। थोरात का कहना है कि एक तो कोरोना नियम और सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से ब्लड डोनेशन कैंप नहीं लगाए जा रहे हैं दूसरा जिन इलाक़ों में कैंप लगाए भी जा रहे हैं वहां ब्लड डोनेशन करने वाले लोगों में उत्साह नज़र नहीं आ रहा है। थोरात का कहना है कि मुंबई में ख़ून की सिर्फ़ 2,500 ब्लड यूनिट ही बची हैं। जबकि पूरे राज्य में 25 से 30 हजार यूनिट ही बची हैं। एक समय सिर्फ़ मुंबई में ही 35 हजार से 40 हजार यूनिट ब्लड हमेशा रिजर्व में रहता था।
महाराष्ट्र के रक्त संक्रमण परिषद के थोरात का कहना है कि मुंबई में सिर्फ़ 4 से 5 दिनों का ब्लड स्टॉक बचा है अगर जल्द से जल्द ख़ून का इंतज़ाम नहीं हुआ तो इससे गंभीर समस्या पैदा हो सकती है।
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे का कहना है कि पिछले कुछ समय तक लॉकडाउन के चलते ज़्यादातर निजी दफ्तर बंद थे और इसके अलावा लोकल ट्रेनों में सभी यात्रियों को सफर नहीं करने के चलते भी ख़ून के स्टॉक में कमी की प्रमुख वजह मानी जा रही है। सरकार एनजीओ और दूसरे सामाजिक संगठनों के साथ लगातार संपर्क में है एवं उनसे अपील कर रही है कि हाउसिंग सोसायटी, स्कूलों में या रेलवे स्टेशनों पर ब्लड कैंप के आयोजन करें जिससे राज्य में पैदा हुए ब्लड के संकट को दूर किया जा सके।
जेजे महानगर ब्लड बैंक के डॉक्टर राहुल जैन का कहना है कि 'ब्लड कैंसर, थैलेसीमिया, सिजेरियन, बाईपास, दुर्घटना जैसे मामलों के मरीजों को ख़ून की तुरंत आवश्यकता होती है, लेकिन ब्लड बैंकों में स्टॉक नहीं होने की वजह से लोग परेशान हैं। ज़्यादातर मरीजों के रिश्तेदार खुद ब्लड डोनेट कर रहे हैं जिसके बाद उनके मरीजों को वह ब्लड चढ़ाया जा रहा है।
इस बीच मुंबई में आसानी से मिलने वाले ब्लड ग्रुप का ब्लड भी नहीं मिल पा रहा है। संत निरंकारी मंडल के ब्लड बैंक के संयोजक मारुति जी का कहना है कि महामारी और वैक्सीनेशन के इस दौर में भी निरंकारी भक्त ब्लड डोनेट कर रहे हैं। हालाँकि ब्लड का कलेक्शन जितना पहले हो पाता था उतना नहीं हो रहा है। मारुति का कहना है कि संत निरंकारी मंडल की तरफ़ से पूर्व में बड़े पैमाने पर ब्लड डोनेशन कैंप लगाए जाते रहे हैं। मंडल सरकार के साथ मिलकर रक्तदान शिविर लगाने की योजना बना रहा है। संत निरंकारी मंडल पूरे देश में बड़े पैमाने पर ब्लड डोनेशन कैंप लगाने के लिए प्रसिद्ध है।
आपको बता दें कि कोरोना और वैक्सीनेशन के बाद ब्लड डोनेशन को लेकर भी कई तरह की अफवाह फैल रही हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि वैक्सीन लेने के 15 दिनों के बाद और कोविड से रिकवरी के 28 दिन बाद रक्त दान किया जा सकता है।