महाराष्ट्र में विपक्षी इंडिया गठबंधन में सीट बँटवारा तय, जानें कैसे बनी बात

05:27 pm Mar 01, 2024 | सत्य ब्यूरो

इंडिया गठबंधन की सीटें यूपी, दिल्ली जैसे राज्यों के बाद अब महाराष्ट्र में भी तय हो गयी हैं। रिपोर्ट है कि राज्य में महाविकास आघाडी के सहयोगियों ने सीट बँटवारे पर सहमति दे दी है और जल्द ही इसकी औपचारिक घोषणा कर दी जाएगी।

रिपोर्ट है कि महाराष्ट्र में विपक्षी महा विकास आघाडी गठबंधन 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सीट-शेयरिंग की औपचारिक घोषणा 48 घंटों के भीतर होने की संभावना है। औपचारिक घोषणा से पहले मीडिया रिपोर्टों में जो ख़बर आई है उसके अनुसार उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना सबसे ज़्यादा सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाला शिवसेना गुट राज्य की 48 सीटों में से 20 पर चुनाव लड़ेगा। कांग्रेस 18 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी इकाई अन्य 10 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। रिपोर्ट है कि वंचित बहुजन आघाड़ी को उद्धव की शिवसेना (यूबीटी) के हिस्से से दो सीटें मिलेंगी और एक स्वतंत्र राजू शेट्टी को पवार के संगठन का समर्थन प्राप्त होगा।

हालाँकि, कुछ अन्य रिपोर्टों में सीटों के बँटवारे में मामूली अंतर बताया गया है। इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि शिवसेना (यूबीटी) के 21 सीटों पर चुनाव लड़ने की संभावना है, जबकि कांग्रेस 15 सीटों पर लड़ सकती है और एनसीपी के शरद पवार गुट को नौ सीटें मिल सकती हैं।

हाल ही में एमवीए में शामिल हुई प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व वाली पार्टी वंचित बहुजन आघाडी के दो सीटों पर चुनाव लड़ने की संभावना है। राजू शेट्टी के स्वाभिमानी पक्ष को एक सीट मिल सकती है।

रिपोर्ट है कि बैठक में इसमें सहमति बनी है। कहा जा रहा है कि शरद पवार के आवास पर बैठक हुई थी। इसमें कांग्रेस नेता नाना पटोले, पृथ्वीराज चव्हाण, वर्षा गायकवाड़, राकांपा (शरद पवार गुट) के नेता जयंत पाटिल, जितेंद्र आव्हाड और अनिल देशमुख और शिवसेना (यूबीटी) के संजय राउत और विनायक राउत ने भाग लिया। वीबीए का एक प्रतिनिधि भी उपस्थित था।

पिछले कुछ दिनों से ख़बर आ रही थी कि सहमति बन गई है, लेकिन कुछ सीटों पर गठबंधन के सहयोगियों में मतभेद हैं। कहा जा रहा था कि मुंबई की दक्षिण मध्य और उत्तर पश्चिम सीटों पर बड़े मतभेद थे- कांग्रेस और सेना (यूबीटी) दोनों ये चाहते थे। यह साफ़ नहीं है कि उस विवाद को कैसे सुलझाया गया है।

2019 के चुनाव में शिवसेना ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा और 18 सीटें जीती थीं, जिनमें मुंबई दक्षिण मध्य और उत्तर पश्चिम शामिल थीं। तब शिवसेना बँटी हुई नहीं थी और बीजेपी के साथ गठबंधन में थी। कांग्रेस ने 25 सीटों पर चुनाव लड़ा और केवल चंद्रपुर में जीत हासिल की, जबकि शरद पवार की राकांपा (तब अविभाजित) ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा और चार पर जीत हासिल की थी। उस चुनाव में भाजपा का दबदबा रहा था और उसने जिन 25 सीटों पर चुनाव लड़ा उनमें से 23 पर जीत हासिल की थी।

बता दें कि क़रीब हफ्ते भर पहले ही लोकसभा चुनाव के लिए आप-कांग्रेस गठबंधन को लेकर सहमति बन गई है। दिल्ली में 4 सीटों पर आप और कांग्रेस 3 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। कांग्रेस और आप के दिल्ली गठबंधन के फॉर्मुले में आम आदमी पार्टी नई दिल्ली, नॉर्थ वेस्ट दिल्ली, वेस्ट दिल्ली और साउथ दिल्ली से चुनाव लड़ सकती है। वहीं कांग्रेस पूर्वी दिल्ली, उत्तर पूर्वी दिल्ली और चांदनी चौक से चुनाव लड़ सकती है। इसके साथ ही गुजरात, हरियाणा, गोवा और चंडीगढ़ में साथ मिलकर चुनाव लड़ने की सहमति बनी है। दोनों ने आपसी सहमति से ही पंजाब में अलग-अलग चुनाव लड़ने की घोषणा की है। 

उससे पहले समाजवादी पार्टी और कांगेस में यूपी की सीटों के बँटवारे को लेकर समझौता हुआ था। समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 17 सीटें देगी। इसके साथ ही मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने एक सीट देने की बात कही है। दोनों दलों ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी घोषणा की थी।