बीजेपी शासित राज्य मध्य प्रदेश इन दिनों सुर्खियों में है। इसका कारण विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की वे रैलियां हैं, जो अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए धन इकट्ठा करने के नाम पर निकाली जा रही हैं। इन रैलियों के कारण कई जगहों पर सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं हो रही हैं।
इन रैलियों के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं जिनमें हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता मुसलिम इलाक़ों से होकर भड़काऊ नारे लगाते हुए गुजर रहे हैं और मसजिदों के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे हैं। ऐसे वक़्त में अमन के दुश्मन कुछ असामाजिक तत्व माहौल को बिगाड़ने में जुटे हैं।
शिवराज सरकार पर आरोप लग रहा है कि वह इसमें एक समुदाय विशेष के लोगों को निशाना बना रही है और उन लोगों पर कार्रवाई नहीं कर रही है जो मुसलिम इलाक़ों में हो-होल्ला करते हुए रैलियां निकाल रहे हैं और भड़काऊ नारे भी लगा रहे हैं।
इंदौर, मंदसौर, उज्जैन की घटनाएं
पिछले हफ़्ते इंदौर के चांदनखेड़ी गांव के अलावा उज्जैन में भी मुसलिम आबादी वाले इलाक़ों से इस तरह की रैलियां निकाली गई थीं। उज्जैन के बेग़म बाग इलाक़े में रैली पर पथराव हुआ था। आरोप लगा था कि रैली में शामिल लोगों ने गाली-गलौज की भाषा इस्तेमाल की थी। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, राज्य के मंदसौर जिले के दौराना गांव में भी ऐसी ही रैली निकाली गई। रैली में वीएचपी के 5 हज़ार से ज़्यादा कार्यकर्ता शामिल थे।पुलिस को दी थी जानकारी
इस रैली से एक दिन पहले ग्रामीणों ने मंदसौर के पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ चौधरी को जानकारी दी थी कि सोशल मीडिया पर ऐसी रैली को लेकर प्रचार किया जा रहा है और सुरक्षा देने की मांग की थी। 25 दिसंबर को भी ऐसी ही रैली निकाली गई थी। लेकिन बीते मंगलवार को निकली रैली के दौरान कुछ लोग मसजिद पर चढ़ गए और वहां भगवा झंडे लगा दिए। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ।
मंदसौर के एसपी सिद्धार्थ चौधरी ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा कि पुलिस बल को साफ निर्देश दिए गए थे कि गांव की मसजिद को कुछ नहीं होना चाहिए और रैली के दौरान मसजिद के ऊपर लगे झंडे को पुलिस ने तुरंत उतार दिया था। उन्होंने किसी तरह की फ़ायरिंग होने से इनकार किया। हालांकि ये ज़रूर कहा कि रैली में शामिल कुछ लोगों के हाथों में तलवारें थीं।
दौराना गांव के रहने वाले शाहिद हुसैन ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया कि उनसे स्थानीय नई आबादी पुलिस स्टेशन के एक इंस्पेक्टर ने कहा था कि वे रैली वाले दिन अपने घरों और मसजिद के ऊपर लगे झंडे हटा दें और दरवाज़ों के अंदर बंद रहें। उन्होंने कहा कि पुलिस ने भरोसा दिलाया था कि वह सब संभाल लेगी।
कारों और घरों में तोड़फोड़
मंगलवार को रैली वाले दिन 5 हज़ार लोग हाथों में तलवारें, डंडे, पत्थर और भगवा झंडे लेकर गांव में आए। वे नारे लगा रहे थे और रैली में लाउड स्पीकर पर गाने बज रहे थे। दौराना गांव के ही फकीर मोहम्मद ने कहा कि रैली में आए लोगों ने घरों में तोड़फोड़ की और मसजिद की छत पर चढ़ गए। इसके अलावा कारों और सीसीटीवी कैमरों में भी तोड़फोड़ की गई।
रात को लौटे घर
कांस्टेबल नज़र मोहम्मद मंसूरी ने कहा कि उनके घर में तोड़फोड़ की गई, वाहन को नुक़सान पहुंचाया गया और भाई की दुकान में लूटपाट हुई। फकीर मोहम्मद ने कहा कि रैली में शामिल लोगों ने कई गांव वालों का पीछा किया और रात को घर लौटे। उन्होंने कहा कि उन्हें एक हिंदू परिवार ने अपने वहां शरण दी। कई महिलाएं जान बचाने के लिए खेतों में भाग गईं।
पुलिस ने अब तक मंदसौर के दौराना, इंदौर और उज्जैन के बेग़म बाग इलाक़े से कई लोगों को गिरफ़्तार किया है और 10 लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत कार्रवाई की है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर में एक कार्यक्रम में पत्थरबाज़ों को चेतावनी देते हुए कहा, ‘शरारती तत्वों के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई होगी चाहे वो जो भी हों। जो भी लोग माहौल ख़राब कर रहे हैं, उनसे सख़्ती से निपटा जाएगा। हम सुनिश्चित करेंगे कि मध्य प्रदेश में शांति बनी रहे।’
शिवराज प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो उन्होंने भी देखे होंगे। आख़िर वे क्यों नहीं मसजिदों के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे लोगों पर सख़्त कार्रवाई करते। वे क्यों नहीं पत्थर मारने वालों पर सख़्त कार्रवाई करते, उन्हें किसने रोका है।
वीएचपी ने झाड़ा पल्ला
वीएचपी के क्षेत्रीय मंत्री सोहनजी विश्वकर्मा ने अख़बार से कहा कि हाथों में भगवा झंडे लिए कुछ अनजान लोग रैली में आ गए थे और उनका वीएचपी से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों की तलाश की जा रही है जिन्होंने पत्थरबाज़ी की। उन्होंने सांप्रदायिक संदेशों के मसले पर भी पल्ला झाड़ लिया।