मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की एक टिप्पणी ने 28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस के धुआंधार प्रचार की धार को कुंद कर दिया है। शिवराज सरकार में मंत्री और ग्वालियर जिले की डबरा सीट से बीजेपी की प्रत्याशी इमरती देवी को लेकर की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणी पर समूची बीजेपी न केवल मैदान में आ गई है, बल्कि उसने नाथ और कांग्रेस को जमकर निशाने पर ले लिया है।
बता दें कि कमलनाथ रविवार को ग्वालियर-चंबल संभाग की विधानसभा सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों के प्रचार के लिए पहुंचे थे। वे डबरा भी गये। डबरा में बीजेपी ने कांग्रेस की पुरानी विधायक इमरती देवी को टिकट दिया हुआ है।
इमरती देवी ने दो दिन पहले कमलनाथ पर निशाना साधते हुए कहा था, ‘कमलनाथ अपनी सरकार को बनाए रखने के लिए कांग्रेस के अनेक सक्रिय और जुझारू विधायकों को पांच लाख रुपये महीना दिया करते थे। विधायकों को यह राशि अपना मुंह बंद रखने के लिए दी जाती थी।’
इमरती देवी के आरोप का समर्थन कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लेने वाले कई विधायकों ने एक सुर में किया था।
इमरती देवी को बताया ‘आइटम’
नाथ रविवार को जब डबरा पहुंचे तो उन्होंने इमरती देवी को घेरा। तमाम आरोपों के साथ वे इमरती देवी को ‘आइटम’ कह गये। हालांकि उनके भाषण का सार यही था कि इमरती देवी बेहद कलाकार थीं। चूंकि कलाकार की जग वह ‘आइटम’ शब्द का उपयोग कर गये, लिहाजा मध्य प्रदेश बीजेपी पूरी ताकत के साथ नाथ और कांग्रेस पर पिल पड़ी है।
मध्य प्रदेश बीजेपी ने नवदुर्गा पर्व की आड़ लेते हुए इमरती देवी पर की गई टिप्पणी को नारी जाति के मान-सम्मान से जोड़ दिया है। चुनाव आयोग को कमलनाथ के ख़िलाफ़ एक ज्ञापन भी सौंपा गया है।
मध्य प्रदेश बीजेपी ने आरोप लगाया, ‘नारी जाति का अपमान कांग्रेस की पुरानी आदत है। वह नारी को केवल उपयोग और उपभोग की वस्तु भर समझती है।’
शिवराज का मौन व्रत
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाथ लगे मुद्दे को भुनाने में देरी नहीं लगाई। उन्होंने तत्काल ट्वीट करते हुए कमलनाथ को आड़े हाथ लिया और मौन व्रत रखने का एलान किया। मुख्यमंत्री चौहान ने सोमवार को भोपाल में दो घंटे के मौन व्रत पर बैठने का एलान किया। जबकि इंदौर में राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ की टिप्पणी के ख़िलाफ़ मौन व्रत रखा है। ग्वालियर में मध्य प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा मौन व्रत पर बैठे हैं।
सिंधिया की क़रीबी हैं इमरती देवी
कमलनाथ सरकार में महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री रहीं इमरती देवी विशुद्ध रूप से ज्योतिरादित्य सिंधिया की समर्थक हैं। कमलनाथ की सरकार को गिराने के लिए जिन मंत्रियों ने कांग्रेस विधायक पद से इस्तीफे दिये थे, उनमें इमरती देवी भी ऊपरी पायदान पर रहीं थीं। बाद में वे तमाम साथी विधायकों के साथ कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गई थीं।
इमरती देवी की गिनती बेहद तेज-तर्रार नेताओं में होती है। वे अनुसूचित जाति वर्ग से आतीं हैं। अनेक बार अपने अटपटे बयानों को लेकर सुर्खियों में रही हैं। या यूं भी कह सकते हैं कि उनके बयानों पर बवाल होते रहते हैं।
मायावती ने खोला मोर्चा
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने इस टिप्पणी को लेकर कमलनाथ के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। मायावती ने टिप्पणी को घोर महिला-विरोधी और अति शर्मनाक बताया। उन्होंने कहा कि इसका संज्ञान लेकर कांग्रेस आलाकमान को सार्वजनिक तौर पर माफी माँगनी चाहिए।
मायावती ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी को सबक सिखाने व आगे महिला अपमान करने से रोकने के लिए दलित समाज के लोगों से अपील है कि वे मध्य प्रदेश के उपचुनाव में अपना वोट केवल बीएसपी के उम्मीदवारों को ही दें।
कांग्रेस को झटका!
उपचुनावों में मध्य प्रदेश कांग्रेस और कमलनाथ ‘टिकाऊ बनाम बिकाऊ’ का कार्ड खेल रहे हैं। कांग्रेस का पूरा प्रचार अभियान इसी के आसपास सिमटा हुआ है। प्रचार के दौरान कांग्रेस और उसके नेता बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे कांग्रेस के पुराने विधायकों को लेकर वोटरों को याद दिला रहे हैं कि इन लोगों ने उन्हें धोखा दिया और मोटी राशि लेकर बीजेपी के हाथों बिक गये। कांग्रेस ने कहा है कि ये लोग अब बीजेपी के टिकट पर वोट मांग रहे हैं और ऐसे स्वार्थी तत्वों से सावधान रहने की अपील भी कांग्रेस कर रही है।
इधर, कमलनाथ द्वारा इमरती देवी को लेकर की गई टिप्पणी ने कांग्रेस खेमे में बेचैनी बढ़ा दी है। अच्छा-भला चुनाव का प्रचार अब ‘नारी अपमान’ एंगल पर केन्द्रित हो चला है।