यूपी में भाजपा सत्ता में है। मोदी की यहां शुक्रवार की रैली सरकारी साधनों के दम पर आयोजित की गई थी। लेकिन शनिवार को जब अमरोहा में राहुल गांधी और अखिलेश की संयुक्त रैली हुई तो लोग इसकी तुलना मोदी की रैली से करते नजर आए। लोगों का कहना था कि कांग्रेस-सपा की रैली बिना किसी सरकारी साधन आयोजित की गई और आर्गेनिक भीड़ शनिवार को नजर आई। मोदी ने जहां शुक्रवार को यहां की रैली में क्रिकेटर मोहम्मद शमी के नाम को कैश किया, वहां राहुल-अखिलेश ने स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी बात कही।
अमरोहा की रैली में अखिलेश ने शनिवार को कहा- "पश्चिमी यूपी से उभरने वाली बदलाव की हवा पूरे देश में चलेगी, एक ऐसे बदलाव की शुरुआत होगी जो न केवल उत्तर प्रदेश को नई शक्ल देगा बल्कि भाजपा को सत्ता से बाहर भी कर देगा।" अखिलेश ने कहा कि मुझे पश्चिमी यूपी में बदलाव की हवा साफ दिखाई दे रही है।
उन्होंने भाजपा सरकार के कार्यकाल की आलोचना करते हुए कहा कि उनके वादे विफल रहे हैं, खासकर किसानों के जीवन में सुधार लाने और बेरोजगारी से निपटने में। अखिलेश ने कहा “कल बीजेपी का फर्स्ट-डे फर्स्ट-शो (पहले चरण का मतदान) फ्लॉप शो साबित हुआ। उनकी झूठ की फिल्म फ्लॉप हो गई।” शनिवार की रैली कांग्रेस उम्मीदवार दानिश अली के समर्थन में थी, जो मौजूदा सांसद हैं और कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन संसद में भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने जिस तरह से दानिश के लिए आपत्तिजनक शब्द बोले, उसके बाद अमरोहा की सीट हॉट सीट में बदल गई।
रैली में उमड़ी भीड़ से गदगद अखिलेश ने पूछा- “मुझे बताओ क्या किसी किसान की आय दोगुनी हुई? युवाओं को रोजगार मिला। यहां तक कि बीजेपी के पारंपरिक वोटर (राजपूत) भी बीजेपी के खिलाफ खड़े हो रहे हैं। वे पंचायतें कर रहे हैं और बीजेपी के खिलाफ वोट करने का फैसला ले रहे हैं। मैं उन लोगों को भाजपा के खिलाफ राजनीतिक जागृति के लिए सलाम करता हूं।” अखिलेश यादव ने यह बात पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 'क्षत्रिय असंतोष' के स्पष्ट संदर्भ में कही।
हाल ही में मुज़फ़्फ़रनगर में हुई जातीय महापंचायत में सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा टिकट वितरण में ठाकुरों के खराब प्रतिनिधित्व पर अपना गुस्सा व्यक्त किया गया। राजा मिहिर भोज जैसे सामुदायिक नायकों के कथित अपमान का मुद्दा भी उठाया गया।
विपक्ष के इस आरोप को दोहराते हुए कि भाजपा संविधान को बदलने के लिए लोकसभा चुनाव में दो-तिहाई बहुमत की मांग कर रही है, यादव ने पुष्टि की, “हम भाजपा की गारंटी नहीं चाहते हैं; हम डॉ. अम्बेडकर द्वारा संविधान में निहित गारंटी चाहते हैं। और हम उस संविधान की रक्षा करना चाहते हैं।”
इस मौके पर राहुल गांधी ने कहा- "एक तरफ भारत खड़ा है, जो लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, जबकि दूसरी तरफ, भाजपा-आरएसएस की जोड़ी इन मूलभूत सिद्धांतों को खत्म करने में लगे हुए है।" संविधान में संशोधन के भाजपा के कथित एजेंडे की निंदा करते हुए राहुल गांधी ने कहा, "पृथ्वी पर कोई ताकत नहीं है जो संविधान को बदल सके।" उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि उनकी सरकार ने जनता की कीमत पर उद्योगपतियों के एक चुनिंदा समूह को फायदा पहुंचाया है।
राहुल ने कहा- "नरेंद्र मोदी की नीतियों ने असमानता को कायम रखा है, मुट्ठी भर उद्योगपति उनके शासन का लाभ उठा रहे हैं।" उन्होंने भाजपा पर गरीब जनता की कीमत पर धन को विशेषाधिकार प्राप्त कुछ लोगों के हाथों में केंद्रित करने की सुविधा देने का आरोप लगाया।
क्रांतिकारी बदलाव का वादा
क्रांतिकारी सुधारों का वादा करते हुए, गांधी ने इंडिया गठबंधन के एजेंडे की रूपरेखा तैयार की, जिसमें कृषि लोन माफी, महालक्ष्मी योजना जैसी योजनाओं के माध्यम से गरीबों को सीधे वित्तीय सहायता और युवा बेरोजगारी को दूर करने के लिए 30 लाख सरकारी नौकरियों का सृजन शामिल है।