अर्णब गोस्वामी के मामले में सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी करने के लिए अवमानना केस का सामना कर रहे कॉमेडियन कुनाल कामरा ने कहा है कि वह न तो वकील करेंगे और न ही माफ़ी माँगेंगे, जुर्माना भरेंगे। कुनाल कामरा का यह बयान तब आया है जब एक दिन पहले ही एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने उन पर अवमानना का केस चलाने की अनुमति दी है। क़ानून के एक छात्र और दो वकीलों ने इस मामले में अवमानना का केस चलाने के लिए मंजूरी माँगी थी। अब तक ऐसे आठ लोगों को मंजूरी दे दी गई है। कामरा ने आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में जेल में बंद अर्णब गोस्वामी पर फ़ैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की थी। उन्होंने इस मामले में एक के बाद एक कई ट्वीट किए थे।
एटॉर्नी जनरल द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद कुनाल कामरा ने इस मामले में अपनी सफ़ाई दी है। उन्होंने जजों और केके वेणुगोपाल को संबोधित एक ख़त लिखा है और उसे ट्वीट किया है।
उन्होंने ट्वीट में लिखा है, 'मेरा इरादा अपने ट्वीट को वापस लेने या उनसे माफ़ी माँगने का नहीं है। मेरा मानना है कि वे ख़ुद इसका अर्थ समेटे हुए हैं।' उन्होंने उसमें लिखा है कि हाल में जो ट्वीट मैंने किए हैं उन्हें अदालत की अवमानना माना गया है। उन्होंने लिखा है कि मेरे नज़रिए से 'प्राइम टाइम स्पीकर' के पक्ष में पक्षपाती फ़ैसला के लिए ये ट्वीट थे।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा, 'कोई वकील नहीं, कोई माफ़ी नहीं, कोई जुर्माना नहीं, जगह की कोई बर्बादी नहीं'।
सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले और फिर कुनाल कामरा के ट्वीट पर भी अलग-अलग लोगों ने प्रतिक्रियाएँ दीं और दूसरे कई राज्यों में पत्रकारों के जेल में होने का हवाला दिया गया। सोशल मीडिया पर लोगों ने कहा कि कई जगहों पर तो पत्रकारों को सिर्फ़ ट्वीट करने भर के लिए जेल में बंद रखा गया है और उन्हें ज़मानत नहीं मिल रही है। इसी क्रम में स्टैंड अप कॉमेडियन कुनाल कामरा ने सुप्रीम कोर्ट की आलोचना वाले कई ट्वीट किए।
कुनाल कामरा के ख़िलाफ़ ताज़ा अवमानना का मामला अर्णब गोस्वामी पर एक फ़ैसले से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने एक दिन पहले ही इस मामले में सुनवाई की। चंद्रचूड़ ने इस बात पर निराशा जताई कि हाई कोर्ट किसी नागरिक की व्यक्तिगत आज़ादी की सुरक्षा के लिए अपने न्यायिक अधिकारों का प्रयोग करने में असफल रहा। उन्होंने कहा कि अगर यह अदालत आज इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करती है तो यह विनाश के रास्ते पर ले जाने वाला होगा। अदालत ने कहा कि अगर राज्य सरकारें किसी शख़्स को निशाना बनाती हैं तो उन्हें इस बात का अहसास होना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट उनकी सुरक्षा के लिए है।