कर्नाटक भाजपा में अध्यक्ष बदलने की मुहिम जोर पकड़ गई है। थक हारकर बीजेपी ने भी कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष बदलने का संकेत दिया है। मौजूदा प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र के विरोधी गुट ने फिर से उन पर हमला बोला और दोहराया है कि वह पहली बार के विधायक को बॉस (अध्यक्ष) के रूप में स्वीकार नहीं कर सकते हैं। विजयेंद्र पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा के बेटे हैं। यह तनातनी तब शुरू हुई जब विजयेंद्र ने बयान दिया कि इस पद के लिए चुनाव होने पर वो दोबारा अध्यक्ष बनेंगे। यानी पार्टी काडर, नेताओं और आलाकमान द्वारा उन्हें फिर से प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने का पूरा भरोसा है।
राज्य संगठन चुनाव के प्रभारी केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान दो दिन पहले कर्नाटक के दौरे पर थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष और अन्य पदों के लिए चुनाव जिला इकाइयों के चुनाव के बाद होंगे। इस पर विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल और राज्य के अन्य नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष पर अपना हमला फिर शुरू कर दिया। हालांकि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने यतनाल गुट को विवादित बयानबाजी से बचने को कहा था।
यतनाल ने अपने पिता, भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को जेल भेजने के लिए विजयेंद्र को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, "हम उन्हें स्वीकार नहीं कर सकते। हम ऐसे व्यक्ति को स्वीकार नहीं कर सकते जिसने सीएम के जाली हस्ताक्षर किए। हमारी पार्टी इसे स्वीकार नहीं करेगी। आलाकमान को इसे गंभीरता से लेना चाहिए।”
यतनाल विजयेंद्र के विरोधी बीजेपी नेताओं के एक गुट का चेहरा हैं। एक दिन पहले उन्होंने कहा था कि समूह चुनाव में अपना उम्मीदवार खड़ा करेगा। भाजपा के एक अन्य विधायक रमेश जारकीहोली ने भी शनिवार को पहली बार विधायक बने पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "हालांकि येदियुरप्पा अभी भी हमारे नेता हैं, विजयेंद्र बच्चा है।"
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में विजयेंद्र की नियुक्ति ने विरोधी गुट को नाराज कर रखा है। दो गुट- एक येदियुरप्पा के नेतृत्व में और दूसरा भाजपा महासचिव (संगठन) बीएल संतोष के नेतृत्व में- कई वर्षों से राज्य इकाई पर प्रभुत्व के लिए मुकाबला कर रहे हैं।
चुनाव की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए विजयेंद्र ने कहा कि उन्होंने एक साल तक राज्य इकाई का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया है। उन्होंने कहा, ''मुझे विश्वास है कि मुझे पार्टी का नेतृत्व करने का एक और मौका मिलेगा।'' उन्होंने कहा कि वह अपनी उम्मीदवारी के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से समर्थन मांगेंगे। विजयेंद्र के बयान से पार्टी के असंतुष्ट नेताओं को यह लग रहा है कि विजयेंद्र को शीर्ष नेतृत्व ने आशीर्वाद दे दिया है।