कर्नाटक के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता लक्ष्मण सावदी शुक्रवार को कांग्रेस में शामिल हो गए। उनका दो दिन पहले ही बीजेपी ने अथानी निर्वाचन क्षेत्र का टिकट काट दिया था और इसके बाद उन्होंने बीजेपी से बगावत कर दी थी। बाद में उन्होंने पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया था। कर्नाटक में चुनाव से पहले इन दो दिनों में बीजेपी के चार विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। कर्नाटक में क्या बीजेपी को इसके पूर्व नेता लक्ष्मण सावदी का छोड़ना भारी पड़ेगा? सावदी आख़िर कितने महत्वपूर्ण नेता हैं और राज्य की राजनीति पर इसका असर कितना पड़ेगा?
इन सवालों के जवाब बाद में, पहले यह जान लें कि घटनाक्रम कैसे चला। कांग्रेस में शामिल होने से पहले सावदी ने आज दिन में राज्य कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार और पूर्व सीएम सिद्धारमैया से बेंगलुरु में उनके आवास पर मुलाक़ात की। बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए शिवकुमार ने इसकी पुष्टि की और कहा, 'कर्नाटक के पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी आज कांग्रेस में शामिल हो गए।'
सावदी पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बाद कर्नाटक में बीजेपी के सबसे वरिष्ठ लिंगायत नेताओं में से एक थे। सावदी 2018 के चुनाव में अथानी निर्वाचन क्षेत्र में हार गए थे। तीन बार के विधायक ने बुधवार को घोषणा की थी कि उन्होंने एक मजबूत निर्णय लिया है और इस पर काम करना शुरू कर दिया है। हालाँकि तब उन्होंने यह खुलासा नहीं किया था कि क्या वह कांग्रेस के साथ बातचीत कर रहे थे। लेकिन कयास लगाए गए थे कि वह कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।
सावदी ने संवाददाताओं से कहा, 'मैंने अपना फैसला कर लिया है। मैं भीख का कटोरा लेकर घूमने वालों में से नहीं हूं। मैं एक स्वाभिमानी राजनेता हूं। मैं किसी के प्रभाव में आकर काम नहीं कर रहा हूं।'
सावदी अथानी से तीन बार के विधायक हैं, लेकिन 2018 के चुनाव में कुमथल्ली (तब कांग्रेस में) से हार गए थे। बाद में कुमथल्ली बीजेपी में चले गए। लेकिन अब बीजेपी ने कुमथल्ली को लक्ष्मण सावदी की जगह महत्व दिया।
कुमथल्ली उन दलबदलुओं के समूह में शामिल थे, जिन्होंने 2019 में बी एस येदियुरप्पा के नेतृत्व में कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन को गिराने और बीजेपी की सरकार बनाने में मदद की थी।
कर्नाटक बीजेपी में प्रत्याशियों की पहली सूची सामने आने के बाद पार्टी के तमाम नेताओं, विधायकों और कार्यकर्ताओं का जबरदस्त असंतोष सामने आया है। राज्य में जगह-जगह टिकट से वंचित नेता, विधायक और उनके समर्थक प्रदर्शन कर रहे हैं।
ऐसा लगता है कि कर्नाटक भाजपा के भीतर असंतोष बढ़ रहा है। बुधवार को घोषित दूसरी सूची में छह मौजूदा विधायकों को टिकट से हाथ धोना पड़ा। टिकट से वंचित किए जाने के कुछ घंटों बाद, हावेरी के विधायक नेहरू ओलेकर, जिन्हें हाल ही में अपने बेटों को सरकारी धन देने के लिए दो साल की जेल की सजा सुनाई गई थी, ने कहा कि वह मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों का 'पर्दाफाश' करेंगे।
इस बीच आगामी कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा द्वारा उन्हें टिकट नहीं दिए जाने से आहत उडुपी विधायक रघुपति भट गुरुवार को इस सीट के आधिकारिक उम्मीदवार यशपाल सुवर्णा के समर्थन में आ गए। भाजपा खेमे को राहत देते हुए उन्होंने सुवर्णा के साथ उडुपी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और घोषणा की कि वह चुनाव में उनकी 'निश्चित जीत' तक नए उम्मीदवार के लिए प्रचार करेंगे। उन्होंने कहा, 'मैं चुनाव तक हर स्तर पर यशपाल सुवर्णा के साथ रहूंगा।' उन्होंने कहा कि उनके शुभचिंतकों सहित पार्टी के सभी कार्यकर्ता आधिकारिक उम्मीदवार के पीछे रैली करेंगे।