झारखंड में तमाम अफवाहों के बीच यह सवाल बरकरार है कि झामुमो-कांग्रेस गठबंधन और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का सोमवार 5 सितंबर को क्या विश्वास मत हासिल कर पाएंगे। चूंकि राज्य एक राजनीतिक संकट के दौर से गुजर रहा है, इसलिए आने वाले घटनाक्रम को लेकर हर पक्ष की जद्दोजेहद जारी है।
हेमंत सोरेन के विधायक बने रहने को लेकर सस्पेंस में बना हुआ है। एक अधिकारी ने बताया कि झारखंड के मुख्यमंत्री सोमवार को विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान विश्वास मत मांगेंगे और बहुमत साबित करेंगे। पार्टी सूत्रों ने बताया कि विपक्षी बीजेपी ने भी सदन में अपनी रणनीति बनाने के लिए रविवार को विधायक दल की बैठक बुलाई है।
संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा, झारखंड में भ्रम की स्थिति है। हमारे प्रतिनिधिमंडल ने (गुरुवार को) राज्यपाल से मुलाकात की थी और उन्होंने हमें एक या दो दिन में स्थिति साफ करने का आश्वासन दिया। लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। इसलिए हम विधानसभा में अपनी बात रखेंगे और बहुमत साबित करेंगे।
झारखंड में उस समय राजनीतिक संकट पैदा हो गया जब भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव आयोग में शिकायत की कि सीएम हेमंत सोरेन को राज्य में विधायक के रूप में अयोग्य घोषित किया जाए, जिसके बाद आयोग ने राज्यपाल को अपना फैसला भेजा।
हालांकि मामले में चुनाव आयोग के फैसले को अभी तक आधिकारिक नहीं बनाया गया है, लेकिन कई अधिकारियों ने दावा किया है कि हेमंत सोरेन के लिए हालात अच्छे नहीं लगते हैं। इस बीच, कांग्रेस पार्टी ने पूरे विश्वास के साथ कहा है कि सोरेन सीएम के रूप में अपना कार्यकाल बिना किसी हिचकिचाहट के पूरा करेंगे।
इस मुद्दे पर 1 सितंबर को यूपीए विधायकों के साथ बैठक के बाद, राज्यपाल शुक्रवार को दिल्ली गए, जिससे और अटकलें तेज हो गईं। हालांकि वह वापस रांची लौट आए हैं।
विधायकों को किया था 'सुरक्षित'
सियासी गहमागहमी के बीच हेमंत सोरेन सरकार ने अपने विधायकों को 'सुरक्षित' करने के मक़सद से छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर भेजा था। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है जबकि झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल मिलकर सरकार चला रहे हैं।
सरकार के पास है समर्थन
81 सदस्यों वाली झारखंड की विधानसभा में इस समय झामुमो के सर्वाधिक 30 विधायक हैं। बीजेपी के 26, कांग्रेस के 18, आजसू के 2 और भाकपा-माले, राकांपा, राजद के पास एक-एक विधायक हैं। दो विधायक निर्दलीय हैं।नकदी के साथ पकड़े गये तीन विधायकों को हटाकर भी हेमंत सरकार के पास पर्याप्त समर्थन है। दूसरी ओर बीजेपी के पास कुल 30 विधायकों का समर्थन माना जा रहा है जो बहुमत से 11 कम है। बहुमत के लिए 41 विधायकों का समर्थन चाहिए।