श्रीनगर के हैदरपोरा में हुए जिस एनकाउंटर को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं उसमें मारे गए एक व्यापारी की बेटी का एक वीडियो वायरल हो रहा है। उस वीडियो में वह बिलखती हुई मुठभेड़ पर सवाल उठाती हैं। इसी बीच वह कहती हैं कि जब वह अपने पिता की मौत को लेकर सवाल पूछा कि उनको कैसे लगा कि उनके पिता ऐसे हैं तो 'वे हँस रहे थे, वे बेशर्मी से हँस रहे थे'।
हैदरपोरा एनकाउंटर सोमवार शाम को हुआ था और इसमें चार लोगों की मौत हो गई थी। पुलिस का कहना है कि मारे गए लोगों में से दो लोग आतंकी संगठनों के लिए काम कर रहे थे। यह एनकाउंटर श्रीनगर के एक व्यावसायिक परिसर में आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान हुआ। इसमें मारे गए चार लोगों में एक व्यापारी मोहम्मद अल्ताफ भट भी शामिल हैं। पुलिस के मुताबिक़ सुरक्षाबलों ने एक पाकिस्तानी आतंकवादी और उसके सहयोगी को मार गिराया।
अल्ताफ भट की मौत पर काफ़ी विवाद हो रहा है। एनडीटीवी की रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस ने पहले कहा था कि अल्ताफ भट और एक अन्य व्यवसायी को आतंकवादियों ने गोली मारी लेकिन बाद में कहा कि वे गोलीबारी में मारे गए होंगे। बाद में पुलिस ने कहा कि परिसर के मालिक अल्ताफ भट को 'आतंकवादियों का पनाहगाह' माना जाएगा क्योंकि उन्होंने अपने किरायेदारों के बारे में अधिकारियों को सूचित नहीं किया था। पुलिस ने कहा कि उन किरायेदारों में से एक आतंकवादी था।
अल्ताफ भट की मौत की ख़बर के बाद उनकी 13 वर्षीय बेटी का बिलखते हुए वीडियो वायरल हुआ। उस वीडियो में वह बिलखते हुए उनके पिता की मौत की ख़बर मिलने के क्षण को बयां करती हैं।
वीडियो में उन्हें यह कहते सुना जा सकता है, 'मेरे चाचा को सुबह 10 बजे के आसपास एक फोन आया और वह रोने लगे... मैं घर पर थी... और मैंने चीखने और चिल्लाने की आवाज़ सुनी... मैं भागी आई।'
वह वीडियो में आगे कहती हैं, 'मेरे चचेरे भाई- जो उस घटना के गवाह हैं- ने मुझे बताया कि मेरे पिता को तीन बार उठाया गया था, दो बार उन्हें छोड़ा गया था। और तीसरी बार उन्हें मार दिया गया। इसका क्या अर्थ है? अन्य गवाह थे उनको भी मार दिया - यह क्या मतलब होता है?'
वह वीडियो में आगे कहती हैं, 'जब मैं उनको बोल रही हूँ कि अंकल आपने ये क्या किया? आपको कैसे लगा कि मेरा बाप ये है? तो वो वहाँ से हँस रहे हैं... वो हँस रहे थे... वो बहुत बेशर्मी से हँस रहे थे। उनको क्या जवाब देती वहाँ पर।' इसके साथ ही वीडियो में वह उसी दिन मारे गए दूसरे व्यवसायी के बेटे के बारे में भी बात करती हैं। वह कहती हैं, 'मेरा भाई बहुत छोटा है। हम उसे क्या कहें? अब मैं क्या करूंगी? मैं अपनी मां की देखभाल कैसे करूंगी? वह खा भी नहीं रही है। वह रो रही है। मैं क्या करूँ?'
परिजनों ने कई आरोप लगाए हैं। उनका दावा है कि पुलिस ने क़ानून-व्यवस्था की समस्या का हवाला देते हुए उनके शव सौंपने से इनकार कर दिया है।
आतंकवाद विरोधी एक योद्धा अब्दुल लतीफ मगरे का कहना है कि मारे गए लोगों में उनका बेटा भी शामिल था और उसे आतंकवादी करार दिया गया। मगरे ने 2005 में रामबन में एक आतंकवादी को पत्थर से मार दिया था। उनका कहना है कि उनका बेटा आमिर निर्दोष था और वह एक मज़दूर था।
बता दें कि हैदरपोरा में हुए एनकाउंटर को लेकर राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों ने सवाल उठाए हैं। उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती ने मांग की है कि इस एनकाउंटर की निष्पक्ष जांच कराई जाए। महबूबा मुफ़्ती ने ट्वीट कर कहा है कि 'निर्दोष लोगों को ढाल बनाकर इस्तेमाल करना, उन्हें क्रॉस फ़ायरिंग में मार देना और फिर उन्हें अंडरग्राउंड वर्कर बता देना, यह भारत सरकार के कामकाज के तरीक़े का हिस्सा बन चुका है।'
उन्होंने मांग की है कि इस मामले में न्यायिक जांच हो और सच को सामने लाया जाए। उमर अब्दुल्ला ने भी निष्पक्ष और भरोसेमंद जांच की मांग की है। उन्होंने कहा है कि इससे पहले भी कई फ़ेक एनकाउंटर हुए हैं और हैदरपोरा एनकाउंटर को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब दिया जाना चाहिए।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के आईजी विजय कुमार ने कहा है कि क्रॉस फ़ायरिंग के दौरान जिस मुदास्सिर गुल नाम के शख़्स की मौत हुई है, वह किराये पर रह रहा था और उसने आतंकी हैदर और उसके सहयोगी को अपने वहां शरण दी थी।
आईजी का कहना है कि मुदास्सिर गुल आतंकियों का सहयोगी था और इस इलाक़े में एक अवैध कॉल सेंटर चला रहा था। जबकि मारे गए एक और शख़्स अल्ताफ़ ने उसे अपना घर किराये पर दिया था। मोहम्मद आमिर अल्ताफ़ के दफ़्तर में ही काम करता था।