पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने जेल से रिहा होने के तुरंत बाद नई दिल्ली के पिछले साल 5 अगस्त के उस फ़ैसले के खिलाफ़ संघर्ष का संकल्प लिया है, जिसके तहत जम्मू-कश्मीर का विशेष संवैधानिक दर्जा समाप्त कर इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया था।
मंगलवार शाम महबूबा की रिहाई के बाद एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें महबूबा ने नई दिल्ली के 5 अगस्त के फ़ैसले के ख़िलाफ़ लड़ने का इरादा जताया है।
क्या कहा है महबूबा ने
इस एक मिनट और बीस सेकंड के ऑडियो क्लिप में, 61 वर्षीय महबूबा मुफ्ती कह रही हैं,'मुझे आज एक साल से अधिक समय बाद रिहा किया गया है। इस दौरान, 5 अगस्त, 2019 के काले दिन के काले निर्णय ने मेरे दिल और आत्मा पर हर पल हमला किया। मुझे एहसास है कि जम्मू-कश्मीर के सभी लोगों की यही स्थिति रही होगी। इस डकैती और अपमान को भुलाया नहीं जा सकता है। अब हम सभी को यह दोहराना होगा कि दिल्ली दरबार ने 5 अगस्त को जो असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और ग़ैरक़ानूनी तरीके से हमसे छीन लिया है, इसे वापस लेना होगा। बल्कि उसके साथ-साथ कश्मीर मुद्दा, जिस के लिये जम्मू-कश्मीर में हजारों लोगों ने अपने जीवन का बलिदान दिया है, हमें इसे सुलझाने के लिए अपना संघर्ष जारी रखना होगा। मेरा मानना है कि यह रास्ता बिल्कुल भी आसान नहीं होगा, लेकिन मुझे यकीन है कि हम सभी का साहस और दृढ़ संकल्प हमें इस कठिन मार्ग पर चलने में मदद करेगा। आज, जब मुझे रिहा किया गया तो मैं चाहती हूं कि जम्मू-कश्मीर के सभी लोग, जो देश की विभिन्न जेलों में बंद हैं, उन्हें जल्द से जल्द रिहा किया जाए।'
पिछले सा़ल, जब नई दिल्ली भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 और 35 'ए' को रद्द करने की तैयारी कर रहा था, महबूबा मुफ़्ती के इस बयान ने दिल्ली के राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी थी कि यदि नई दिल्ली जम्मू और कश्मीर की विशेष संवैधानिक स्थिति को हटा देती है, तो कश्मीर में, भारत के पास तिरंगा फहराने वाला कोई नहीं होगा।
गुपकार घोषणा
4 अगस्त को सर्वदलीय बैठक में महबूबा मुफ्ती भी मौजूद थीं, जिसे फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने श्रीनगर के गुपकार रोड पर अपने आवास पर बुलाया था। बैठक में जम्मू-कश्मीर की विशेष संवैधानिक स्थिति को सुरक्षित रखने का संकल्प लिया गया। संकल्प, जिसे 'गुपकार घोषणा' के रूप में जाना जाता है, पर फ़ारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने हस्ताक्षर किए। उस रात उन सभी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था।पर्यवेक्षकों को भरोसा है कि महबूबा मुफ्ती नई दिल्ली के 8 अगस्त के फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपना संघर्ष जारी रखेंगी। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक सिबत मोहम्मद हसन कहते हैं, 'महबूबा मुफ़्ती के पास नई दिल्ली के 5 अगस्त के फ़ैसले के ख़िलाफ़ राजनीतिक अभियान शुरू करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।'
सिबत हसन ने सत्य हिंदी से कहा,
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'महबूबा मुफ़्ती के पास संघर्ष ही एकमात्र तरीका है, जिससे वह कश्मीर के लोगों के साथ अपनी विश्वसनीयता बहाल कर सकती हैं, जो बीजेपी के साथ गठबंधन सरकार बना कर खो चुकी हैं। महबूबा की पार्टी पीडीपी के अधिकांश वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है। फिलहाल, उनकी पार्टी में ज़यादा दम नहीं है।
सिबत मोहम्मद हसन, राजनीतिक विश्लेषक
इसके आगे उन्होने कहा, दूसरी ओर, 'नई दिल्ली ने भी उन्हें सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ़्ताह करके अपमानित किया है। इन सभी कारणों से, मुझे ल़गता है कि वह नई दिल्ली के ख़िलाफ़ अपने राजनीतिक अभियान को आगे बढ़ाएंगी।'
आरोप पत्र
महबूबा मुफ़्ती के ख़िलाफ़ वह आरोप पत्र, जिसके कारण उन्हें सार्वजनिक सुरक्षा क़ानून के तहत 14 महीने की कैद में रहना पड़ा, उसकी विशेषज्ञों ने आलोचना की क्योंकि इसमें कुछ हास्यास्पद आरोप लगाए गए।महबूबा के ख़िलाफ़ तैयार आरोप पत्र में, 'डैड्स गर्ल' यानी 'पिता की लाडली', 'गर्म स्वभाव वाली महिला', 'षड्यंत्रकारी', 'घाती', और 'खतरनाक' जैसे शब्दों का उपयोग किया गया था। आरोप पत्र में महबूबा मुफ़्ती के बचपन, उनके विवाह, उनका तलाक़ और उनकी दो बेटियों का भी उल्लेख किया गया था।
डोज़ियर में कहा गया था कि 'अभियुक्त (महबूबा मुफ़्ती) को लोग ख़तरनाक, षड्यंत्रकारी और उनके आक्रामक स्वभाव के कारण, बाप की लाडली के नाम से बुलाते हैं।'
कोटा रानी से तुलना
इतना ही नहीं, बल्कि इस आरोप पत्र में उनकी तुलना मध्ययुगीन (14वीं शताब्दी) की महिला शासक, कोटा रानी से की गई है। कोटा रानी कश्मीर के एक राजा सहदेव के कमांडर-इन-चीफ राम चंद्र की बेटी थीं। इतिहासकारों का कहना है कि वह कश्मीर के इतिहास में एक दमनकारी शासक थीं, जो अपने विरोधियों को ज़हर देकर मारने के बाद सत्ता में आई थीं।पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह स्पष्ट है कि महबूबा को जिस अपमानजनक तरीके से क़ैद किया गया था, अब उनके दिल में नई दिल्ली के लिए कोई नरम स्थान नहीं होगा, जबकि अन्य पीडीपी नेताओं का कहना है कि पार्टी नई दिल्ली के पिछले साल के 5 अगस्त के फ़ैसले को स्वीकार नहीं कर सकती।
रणनीति
पीडीपी नेता ताहिर मोहम्मद सईद ने सत्य हिंदी से कहा, 'हमारी पार्टी के नेता द्वारा जारी संदेश (ऑडियो क्लिप) में अपनी रिहाई के तुरंत बाद, उन्होंने स्पष्ट किया कि हमारी पार्टी नई दिल्ली के 5 अगस्त के फ़ैसले के ख़िलाफ़ लड़ेगी हमारे लिए उनका संदेश एक रणनीति है।'यह देखना है कि महबूबा मुफ़्ती और उनकी पार्टी की राजनीतिक मुहिम की शैली क्या होगी। महबूबा शुक्रवार को अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाली हैं। संभवतः इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में वह अपने संघर्ष का तरीका बताएंगी।