ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स (आईआरजीसी) ने इराक के कुर्दिस्तान क्षेत्र में इज़राइल के "जासूसी मुख्यालय" पर हमला किया। ईरानी सुरक्षा बल ने कहा कि उसने इस्लामिक स्टेट (आईएस) के ठिकाने पर सीरिया में भी हमला किया। इस घटनाक्रम से युद्ध का खतरा बढ़ गया है। ईरान ने कहा है कि वो आतंकी ठिकानों को खत्म करने के लिए अभी और हमले करेगा। अमेरिका ने ईरान के हमलों की कड़ी निन्दा की है।
7 अक्टूबर 2023 को इज़राइल और फिलिस्तीनी इस्लामी समूह हमास के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से पूरे मध्य पूर्व में फैले संघर्ष के बढ़ने की चिंताओं के बीच ये हमले हुए हैं। अब इस क्षेत्रीय संघर्ष में ईरान के सहयोगी लेबनान में हिजबुल्लाह, सीरिया, इराक और यमन युद्ध में प्रवेश कर चुके हैं। अभी तक इराक पर सिर्फ अमेरिकी ठिकानों पर हमले हुए थे लेकिन इजराइली जासूसी केंद्र पर हमली बार हमले हुए हैं।
ईरानी गार्ड्स ने एक बयान में कहा, "ज़ायोनी शासन (इजराइल) के हालिया अत्याचारों के जवाब में, जिसके कारण गार्ड्स और एक्सिस ऑफ़ रेसिस्टेंस के कमांडरों की हत्या हुई... इराक के कुर्दिस्तान क्षेत्र में मुख्य मोसाद जासूसी मुख्यालयों में से एक को बैलिस्टिक मिसाइलों से नष्ट कर दिया गया।" ईरान ने पिछले महीने सीरिया में आईआरजीसी के तीन सदस्यों की हत्या का बदला लेने की कसम खाई थी, जिसमें एक वरिष्ठ ईरानी कमांडर भी शामिल था। ईरानी कमांडर वहां सैन्य सलाहकार के रूप में तैनात था।
गार्ड्स के बयान में कहा गया है, "हम अपने देश (ईरान) को आश्वस्त करते हैं कि आईआरजीसी का आक्रामक अभियान शहीदों के खून की आखिरी बूंदों का बदला लेने तक जारी रहेगा।" इस बीच अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के पास एक आवासीय क्षेत्र में कुर्दिस्तान की राजधानी एरबिल के उत्तर-पूर्व में किए गए हमलों के अलावा, गार्ड ने कहा कि उन्होंने "सीरिया में कई बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं और इस्लामिक स्टेट सहित ईरान में आतंकवादी अभियानों के अपराधियों को नष्ट कर दिया।"
अपने कार्यालय से एक बयान में, इराकी कुर्द प्रधानमंत्री मसरूर बरज़ानी ने एरबिल पर हमले की निंदा करते हुए इसे "कुर्द लोगों के खिलाफ अपराध" बताया। कुर्दिस्तान सरकार की सुरक्षा परिषद ने एक बयान में हमले को "अपराध" बताते हुए कहा कि एरबिल पर हमलों में कम से कम चार नागरिक मारे गए और छह घायल हो गए। इराकी सुरक्षा और चिकित्सा सूत्रों ने कहा कि मृतकों में करोड़पति कुर्द व्यवसायी पेशरव डिज़ायी और उनके परिवार के कई सदस्य शामिल थे। रॉकेट हमले में उनका घर तबाह हो गया और वो मारा गया।
डिज़ायी, जो सत्तारूढ़ बरज़ानी समूह के करीबी थे, के पास ऐसे व्यवसाय थे जो कुर्दिस्तान में प्रमुख रियल एस्टेट परियोजनाओं का नेतृत्व करते थे। सुरक्षा सूत्रों ने बताया कि इसके अलावा, एक रॉकेट एक वरिष्ठ कुर्द ख़ुफ़िया अधिकारी के घर पर और दूसरा कुर्द ख़ुफ़िया केंद्र पर गिरा था। आईआरजीसी के मुताबिक हालांकि ये सभी केंद्र इजराइल द्वारा संचालित थे और यहां से मोसाद की गतिविधियां इराक और ईरान में चलाई जा रही थीं।
ईरान ने अतीत में इराक के उत्तरी कुर्दिस्तान क्षेत्र में हमले किए हैं। उसका कहना है कि इस क्षेत्र का उपयोग ईरानी अलगाववादी समूहों के साथ-साथ उसके कट्टर दुश्मन इज़राइल के एजेंटों के लिए एक मंच के रूप में किया जाता है। बगदाद ने 2023 में तेहरान के साथ हुए सुरक्षा समझौते के हिस्से के रूप में कुछ सदस्यों को स्थानांतरित करने के लिए पहाड़ी सीमा क्षेत्र में अलगाववादी समूहों पर ईरानी चिंताओं को दूर करने की कोशिश की थी।
सीरिया में आतंकी समूह आईएस के ठिकानों पर हमलेः आईआरजीसी ने बैलिस्टिक मिसाइलों के साथ सीरिया में टारगेट को भी निशाना बनाया। जिसमें मुख्य रूप से इस्लामिक स्टेट समूह से संबंधित कमांडरों और आतंकियों की बैठक के स्थान" शामिल हैं। आईएस यहां से अपने ऑपरेशन को संचालित करता था। ईरान की ओर से कहा गया है कि सीरिया पर हमला आतंकवादी समूहों के हालिया हमलों के उस जवाब में था, जिसमें ईरान के दक्षिणी शहरों करमान और रस्क में ईरानियों की विस्फोट में मौत हो गई थी। सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स वॉर मॉनिटर ने कहा कि अलेप्पो और उसके ग्रामीण इलाकों में विस्फोटों की आवाज सुनी गई, जहां "भूमध्य सागर की दिशा से आई कम से कम 4 मिसाइलें गिरीं।" बता दें कि 3 जनवरी को ईरान के करमान में आईआरजीसी के जनरल कासिम सुलेमानी की कब्र के पास मजलिस के लिए लोग जमा हुए थे। उसी दौरान वहां विस्फोट हुआ, जिसमें 90 लोग मारे गए थे। इन हमलों की जिम्मेदारी आतंकी समूह आईएस ने ली थी। ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खामनेई ने उसी समय इन हत्याओं का बदला लेने की घोषणा की थी।
अमेरिका ने ईरान के हमलों की निंदा की है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने एक बयान में कहा, "यूएसए आज एरबिल में ईरान के हमलों की कड़ी निंदा करता है और मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता है। हम ईरान के लापरवाह मिसाइल हमलों का विरोध करते हैं, जो इराक की स्थिरता को कमजोर करते हैं।"
हालांकि अमेरिका ईरानी जनरल के मारे जाने पर चुप रहा था। उसने ईरान और सीरिया में हाल की घटनाओं की निन्दा तक नहीं की थी। फिलिस्तीन में इजराइली हमलों को भी वो अपने हिसाब से उनकी आलोचना करता है। बहरहाल, ईरान के इन दोनों हमलों से सबसे ज्यादा नुकसान में इजराइल ही है। क्योंकि इराक के कुर्दिस्तान और सीरिया में उसी के समर्थक गुटों का ऑपरेशन चल रहा था, जिन्हें ईरान ने तबाह कर दिया है। इन हमलों पर फिलहाल इजराइल ने चुप्पी साधी हुई है।