देश में थोक महंगाई दर मई महीने में और कम हो गई है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने बुधवार को कहा है कि मई में भारत की थोक मुद्रास्फीति साल-दर-साल (-) 3.48 प्रतिशत गिर गई। यह अप्रैल में (-) 0.92 प्रतिशत थी।
मई का थोक मूल्य इंडेक्स यानी डब्ल्यूपीआई (-) 3.48 प्रतिशत मई 2020 के बाद से दर्ज की गयी सबसे कम थोक मुद्रास्फीति है। तीन साल पहले यह थोक मुद्रास्फीति (-) 3.37 प्रतिशत थी। थोक मुद्रास्फीति में गिरावट मई की खुदरा मुद्रास्फीति में कमी के अनुरूप ही है। खुदरा महंगाई 25 महीने के निचले स्तर 4.25 प्रतिशत पर पहुँच गई। सोमवार को ही यह आँकड़ा भी सामने आया है।
बहलहाल, पिछले साल मई में थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर 16.63 फीसदी थी। मंत्रालय ने कहा है कि पिछले महीने थोक मूल्य सूचकांक की दर में गिरावट मुख्य रूप से खनिज तेलों, बुनियादी धातुओं, खाद्य उत्पादों, कपड़ा, गैर-खाद्य सामग्री, कच्चे पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस और रासायनिक उत्पाद की कीमतों में गिरावट के कारण हुई। हालाँकि, सबसे महत्वपूर्ण गिरावट खाद्य सामग्री में होना बताया जा रहा है। मई में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति घटकर 1.51 प्रतिशत रही, जो अप्रैल में 3.54 प्रतिशत थी।
खुदरा महंगाई भी दो साल के निचले स्तर पर
अप्रैल 2023 में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति दर 4.7 प्रतिशत रही थी। वहीं एक साल पहले मई, 2022 में खुदरा मुद्रास्फीति 7.04 प्रतिशत के स्तर पर थी। खुदरा महंगाई अप्रैल 2021 में 4.23 प्रतिशत पर थी।
इस तरह यह लगातार चौथा महीना है जब महंगाई दर में कमी आई है। यह लगातार तीसरा महीना है जब खुदरा मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय सीमा के अंदर है। आरबीआई ने खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत के अंतराल के साथ चार प्रतिशत पर यानी 2-6 के बीच में रखने की रणनीति बनाई है।