आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि रेपो रेट बढ़ाकर 4.40 करने का फ़ैसला 2 से 4 मई के बीच हुई एक अहम बैठक में लिया गया है। उन्होंने कहा कि यह फ़ैसला बढ़ती महंगाई, दुनिया भर में चल रहे राजनीतिक तनाव, कच्चे तेल की क़ीमतों में बढ़ोतरी और वैश्विक स्तर पर वस्तुओं की कमी की वजह से लिया गया है।
यानी साफ़ तौर पर कहें तो आरबीआई का जोर इस पर है कि महंगाई बढ़ रही है और इसको काबू में करना है। आम तौर पर रेपो रेट बढ़ाने का मतलब होता है कि बैंकों को रिजर्व बैंक अब कर्ज ज़्यादा ब्याज पर देगा। यानी इसका एक मतलब यह भी होता है कि अर्थव्यवस्था में पैसे की कमी की जाए और इससे लोग ख़र्च कम करना शुरू करेंगे और महंगाई काबू में आएगी। सरकार ने भले ही विकास दर से समझौता करते हुए महंगाई को काबू में करने की तरकीब निकाली हो, लेकिन इसका सीधा असर भी लोगों पर पड़ेगा।
रिज़र्व बैंक के इस नीतिगत बदलाव से सभी तरह के कर्ज प्रभावित होंगे। चाहे वह गृह ऋण, कार ऋण या व्यक्तिगत ऋण हो।
उधार लेने वालों पर असर
यदि आप कोई ऋण लेने की योजना बना रहे हैं तो आप इसे जल्द ही कर लें, क्योंकि ऋण पर ब्याज दर जल्द ही बढ़ना शुरू हो सकती है। यह वृद्धि मौजूदा उधार लेने वालों के साथ-साथ बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के लिए बुरी खब़र है। वे जल्द ही ऋण पर ब्याज दरें बढ़ाना शुरू कर देंगे और जिसका अर्थ है कि ऋण ईएमआई भी बढ़ जाएगी। मिसाल के तौर पर यदि आप 30 लाख का 20 वर्षों के लिए कर्ज लेंगे तो आपको जो कर्ज मौजूदा ईएमआई 22900 पर मिलेगा वही बढ़ोतरी के बाद 23620 रुपये में मिलेगा।
कार और व्यक्तिगत ऋण के मामले में ईएमआई आम तौर पर वही रहती है जो कर्ज लेने के दौरान तय हुई हो। ऐसे ऋण पर मौजूदा ब्याज दर बढ़ाने का असर नहीं होगा। यानी इस सेगमेंट में जो भी नये ऋण लेने वाले होंगे वही इससे प्रभावित होंगे।
हालाँकि गृह ऋण के साथ ऐसा नहीं है। यदि आपने पहले से ही यह कर्ज ले रखा है तो भी मौजूदा ब्याज दर बढ़ने पर आपकी ब्याज दर बढ़ जाएगी और आपकी ईएमआई भी। ऐसा इसलिए है कि गृह ऋण फ्लोटिंग रेट पर दिए जाते हैं।
शॉर्ट टर्म डिपॉजिट की दरें बढ़ सकती हैं
जब भी ब्याज दर में बढ़ोतरी होती है तो आमतौर पर छोटी से मध्यम अवधि की ब्याज दरों के पहले बढ़ने की संभावना होती है। जहां तक लंबी अवधि की ब्याज दरों का सवाल है तो इन दरों में उल्लेखनीय वृद्धि होने में थोड़ा अधिक समय लगता है।
बता दें कि यह असर इसलिए होने के आसार हैं क्योंकि रिजर्व बैंक ने रेपो रेट बढ़ाया है। इससे पहले आरबीआई ने लगातार 10 बार तक रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया था। ऐसा इसलिए कि रेपो रेट बढ़ाने पर विकास दर के प्रभावित होने की आशंका थी। लेकिन अब महंगाई दर इतनी बढ़ गई है कि सरकार की चिंता इसको लेकर ज़्यादा बढ़ गई थी। रेपो रेट कम होने का मतलब होता है कि बैंक से मिलने वाले सभी तरह के लोन सस्ते हो जाते हैं जबकि रेपो रेट ज्यादा होने का मतलब है कि लोन चुकाने के लिए आपको ज्यादा पैसे देने पड़ेंगे।
यही वजह है कि आरबीआई द्वारा रेपो रेट बढ़ाए जाने की घोषणा का असर शेयर बाजार पर भी हुआ और सेंसेक्स 1000 से अधिक अंक गिर गया।