भारत में आर्थिक असमानता बढ़ी, 1% लोगों के पास 22% आय, 50% के पास 13%

02:11 pm Dec 08, 2021 | सत्य ब्यूरो

आर्थिक सुधार की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था तेज़ी से उभरी है और देश ने आर्थिक विकास भी किया है, पर इसके साथ ही ग़रीब और अमीरों के बीच की खाई भी पहले से अधिक चौड़ी हुई है। नतीजा यह निकला है कि आर्थिक विकास का एक बड़ा हिस्सा पहले से संपन्न लोगों के पास ही है। 

विश्व असमानता रिपोर्ट (वर्ल्ड इनइक्वेलिटी रिपोर्ट) 2022 पर एक नज़र डालने से यह अधिक उजागर होता है। इसके मुताबिक, 'भारत ग़रीब व असमानता वाला देश है, जहां  कुलीन वर्ग संपन्न है।'

यह असमानता इतनी ज़्यादा है कि संपन्न 10 प्रतिशत लोगों के पास कुल राष्ट्रीय आय का 57 प्रतिशत है। दूसरी ओर, 50 प्रतिशत यानी कुल आबादी के आधे लोगों के पास 13 प्रतिशत आमदनी है।

ग़रीब और ग़रीब हुए?

विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 में कहा गया है कि कम आमदनी वाले देशों की आमदनी पहले से और कम हुई है, यह दक्षिण व दक्षिण-पूर्व के देशों में, खास कर भारत में पाया गया है। 

इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यदि भारत को इससे अलग कर दिया जाए तो विश्व की कुल आय पहले से थोड़ी अधिक ही दिखती है। यानी, भारत में आमदनी में ज़्यादा कमी आई है और यह धनी-ग़रीब के बीच की खाई भी पहले से ज़्यादा चौड़ी हुई है। 

विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 में कहा गया है, 

भारत के शीर्ष के एक प्रतिशत लोगों के पास 22 प्रतिशत आय है तो 10 प्रतिशत लोगों के पास 57 प्रतिशत है, लेकिन आधी आबादी की आय कुल आय की सिर्फ 13 प्रतिशत है।


विश्व असमानता रिपोर्ट, 2022

औसत आय

वर्ल्ड इनइक्वेलिटी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत की वयस्क आबादी की औसत राष्ट्रीय आय 2,04,200 रुपये है। आधी आबादी की आय 53,610 रुपये है और शीर्ष 10 फीसदी आबादी की आय इससे करीब 20 गुना यानी 11,66,520 रुपये ज़्यादा है।

भारत में औसत घरेलू संपत्ति 9,83,010 रुपये है।

क्या कहना है नीति आयोग का?

बता दें कि कुछ दिन पहले ही नीति आयोग ने  बहुआयामी गरीबी सूचकांक यानी मल्टीडाइमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स (एमपीआई) जारी की थी। 

इसके अनुसार, उत्तर प्रदेश में 37.79 प्रतिशत आबादी ग़रीब है। इस मामले में वह पूरे देश में तीसरे स्थान पर है।

बिहार की 51.91 प्रतिशत जनसंख्या गरीब है।  झारखंड में 42.16 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 36.65 प्रतिशत लोग ग़रीब है।

मेघालय में ग़रीबी रेखा से नीचे 32.67 प्रतिशत लोग हैं।

सबसे ग़रीब राज्य

 

देश के सबसे ग़रीब पाँच राज्यों में से चार में बीजेपी की सरकार है। ये हैं, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और मेघालय।

इनमें से यूपी व एमपी में बीजेपी की बहुमत की सरकार है जबकि बिहार और मेघालय में बीजेपी गठबंधन सरकार में शामिल है।

यह भी कह सकते हैं कि फटेहाल पाँच राज्यों में से चार राज्यों में डबल इंजन की सरकार है।

दूसरी ओर, सीपीआईएम के नेतृत्व वाली सरकार के राज्य केरल में सबसे कम 0.71 प्रतिशत गरीबी है।