भारत में आर्थिक मंदी ज़्यादा, नई आईएमएफ़ प्रमुख ने जताई चिंता

04:58 pm Oct 09, 2019 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

भारत की आर्थिक मंदी पर विदेशी विशेषज्ञों और संस्थानों ने बार-बार चिंता जताई है। अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की नव निर्वाचित प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जीवा ने कहा है कि भारत जैसे विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक मंदी ज़्यादा प्रभावी और साफ़ दिख रही है।

जॉर्जीवा ने मुद्रा कोष और विश्व बैंक की अगले हफ़्ते होने वाली साझा बैठक के पहले यह बात कही। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था का 90 प्रतिशत हिस्सा अगले साल मंदी की चपेट में आ जाएगा। उन्होंने कहा कि वित्तीय  वर्ष 2019-2020 के दौरान वैश्विक वृद्धि दर अब तक के न्यूनतम स्तर पर आ पहुँच जाएगी।

आईएमएफ़ प्रमुख ने कहा, 'अमेरिका और जर्मनी में बेरोज़गारी ऐतिहासिक रूप से न्यूनतम स्तर पर है। लेकिन भारत और ब्राजील जैसी सबसे तेज़ी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में मंदी उससे भी अधिक साफ़ दिख रही है।'

क्रिस्टलीना जॉर्जीवा ने क्रिस्टीन लगार्द से पदभार ग्रहण किया है। लगार्द फ्रांस की राजनेता हैं और लंबे समय से आईएमएफ़ की प्रमुख रही हैं। 

इसके पहले आईएमएफ़ ने साल 2019 के लिए 3.2 प्रतिशत और साल 2020 के लिए 3.5 प्रतिशत वैश्विक वृद्धि दर का अनुमान लगाया था। लेकिन जॉर्जीवा ने कहा कि इस अनुमान में कटौती की जाएगी। मुद्रा कोष 15 अक्टूबर को नया विश्व आर्थिक आउटलुक जारी करेगा। समझा जाता है कि नया अनुमान साल 2019 के लिए 3 प्रतिशत और 2020 के लिए 3.2 प्रतिशत रखा जाएगा। 

आईएमएफ़ ने इस साल भारत के आर्थिक विकास दर के और कम होने की आशंका जताई है। इसने साल 2019 और 2020 के लिए आर्थिक विकास दर के अनुमान में 0.3 प्रतिशत की कटौती कर दी है।

मुद्रा कोष ने भारत के सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि की दर 2019 और 2020 के लिए 7.2 प्रतिशत से 7 प्रतिशत कर दिया है। 

भारत सरकार के आँकड़ों के हिसाब से जून में ख़त्म हुई तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5 प्रतिशत दर्ज की गई। यह मार्च 2013 के बाद से न्यूनतम है। उस समय  जीडीपी वृद्धि दर 4.7 प्रतिशत पर पहुँच गई थी। 

ख़ुद भारत सरकार की एजेंसियों के आँकड़े उत्साहवर्द्धक नहीं हैं। ताज़ा आँकड़ों के मुताबिक़, अगस्त महीने में 8 कोर सेक्‍टर की विकास दर में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। लेकिन इससे भी बड़ी चिंता की बात यह है कि 5 कोर सेक्टर में निगेटिव ग्रोथ हुआ है, यानी विकास शून्य से भी कम हुआ है। ये क्षेत्र हैं बिजली, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, कोयला और सीमेंट। यह बड़ी चिंता की बात इसलिए है कि इससे यह साफ़ है कि अर्थव्यवस्था अब मंदी के चरण में प्रवेश कर चुकी है। 

ताजा आँकड़ों के मुताबिक़, अगस्त में इस विकास दर में 0.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। अगर इसकी तुलना पिछले साल से करें तो अगस्त 2018 में 8 कोर सेक्‍टर की विकास दर 4.7 फ़ीसदी थी।