वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जब यह दावा किया कि अर्थव्यवस्था धीमी ज़रूर हो गई है, पर मंदी न आई है और न इसकी कोई आशंका है, उसके दो दिन बाद ही सरकारी एजेन्सी ने जो आँकड़ा पेश किया, वह उनके दावे को तार-तार करने के लिए काफ़ी है।
शुक्रवार को जारी आँकड़ों के मुताबिक़, दूसरी छमाही में सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि की दर 4.5 प्रतिशत दर्ज की गई। यह 6 साल की न्यूनतम विकास दर है।
इसके पहले चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5 प्रतिशत थी। दूसरी तिमाही में कुल मिला कर सकल घरेलू उत्पाद 49.64 लाख करोड़ रुपए दर्ज किया गया। सबसे तेज़ गति से विकास कृषि, वाणिकी और मत्स्य पालन में रहा, जहाँ 7.4 प्रतिशत वृद्धि देखी गई। लेकिन सबसे बुरा हाल खनन क्षेत्र का रहा, जिसमें विकास दर -4.4 प्रतिशत देखी गई। इसी तरह उत्पादन क्षेत्र में -1.1 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई। बिजली, गैस, जल आपूर्ति में 2.3 प्रतिशत तो निर्माण में 4.2 प्रतिशत विकास देखा गया।
इसके पहले 2012-13 की जनवरी-मार्च की तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि की दर 4.3 प्रतिशत देखी गई थी। इसे इसके पहले का न्यूनतम जीडीपी वृद्धि दर माना गया था।
यह जीडीपी वृद्धि दर पहले के अनुमान से भी कम है। केंद्रीय बैंक ने जो अनुमान लगाया था, उससे भी कम जीडीपी यह बताता है कि अर्थव्यवस्था वाकई बहुत ही बुरी हाल में है।
क्या कहा था रिज़र्व बैंक ने
रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने 8 अगस्त को अप्रैल-सितंबर के दौरान अर्थव्यवस्था के 5.8-6.6 फ़ीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद जताई थी। हालाँकि यह उसके जून की 6.4-6.7 फ़ीसदी के अनुमान से भी कम थी। भारतीय रिज़र्व बैंक ने 4 अक्टूबर को इस वित्तीय वर्ष की अनुमानित जीडीपी वृद्धि दर जारी की। उसने जीडीपी वृद्धि दर में कटौती कर दी है। आरबीआई ने इसे 6.9 प्रतिशत से कम कर 6.1 प्रतिशत कर दिया है।
सही था स्टेट बैंक
देश के सबसे बड़े भारतीय बैंक स्टेट बैंक ने 12 नवंबर को अपनी रिपोर्ट जारी की। इस सरकारी बैंक ने अपनी ताज़ा रपट में कहा है कि चालू वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही में सकल घरेल उत्पाद की वृद्धि दर घट कर 4.2 प्रतिशत पर आ सकती है।
बैंक का कहना है कि गाड़ियों की कम बिक्री, हवाई यात्रा में गिरावट, कोर सेक्टर की बदहाली और निर्माण व ढाँचागत सुविधाओं के क्षेत्र में कम निवेश की वजह से ऐसा होने की संभावना है। अगले वित्तीय वर्ष में विकास दर 6.1 प्रतिशत से गिर कर 5 प्रतिशत पर आ जाएगा।
स्टेट बैंक ने अपनी रपट में कहा है कि इस साल सितंबर में अर्थव्यवस्था के 33 बड़े इन्डीकेटर सिर्फ़ 17 प्रतिशत कामकाज ही दिखा रहे थे। ये इन्डीकेटर साल 2018 के अक्टूबर महीने में 85 प्रतिशत कामकाज पर थे।